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आतिथ्यका सुफल  [Spiritual Story]
हिन्दी कथा - हिन्दी कहानी (बोध कथा)

जापानके किसी नगरमें एक वृद्ध व्यक्ति रहता था । वह और उसकी पत्नी दोनों बड़े उदार थे। पशु पक्षियोंके प्रति उनके हृदयमें बड़ा प्रेम था। दोनोंने एक गौरैया पक्षी पाल रखा था। वह नित्यप्रति उड़कर उनके आँगन में आया करता था और दाना चुगकर चला जाता था। उन दोनोंके कंधोंपर बैठकर वह मीठे स्वरसे चहचहाया करता था।

एक दिन वह बूढ़ी औरत अपने बगीचेमें थी कि उसकी दुष्ट पड़ोसिनने कहा कि 'तुम अपने प्राणप्यारे गौरैयेको फिर कभी नहीं देख सकोगी। मैंने उसकीजीभ काट डाली है। वह मेरी धानकी खेती नष्ट कर दिया करता था।' द्वेषी पड़ोसिन हँसने लगी ।

वृद्ध दम्पति इस घटनासे बहुत दुःखी हुए। उन्होंने अपनी पड़ोसिनपर रोष प्रकट किये बिना ही जंगलमें गौरैयेकी खोजमें घूमना आरम्भ किया। वे भयभीत थे कि ऐसा न हो कि गौरैया भूखसे तड़प-तड़पकर प्राण दे दे। दैवयोगसे एक हरे भरे खेतके निकट गौरैयेका घोंसला मिल गया। गौरैया अपने प्रेमदाताओंको देखकर आनन्दसे नाच उठा।

'आज मेरा सौभाग्य है कि मेरे प्रेमदाता अतिथिरूपमेंमेरे निवासस्थानपर उपस्थित हैं।' गौरैयेने अपनी पत्नीसे कहा और वे अपने बच्चोंसहित वृद्ध दम्पतिके स्वागत सत्कारमें लग गये। दो-चार दिनोंतक आमोद-प्रमोद होता रहा।

वृद्ध दम्पतिके चलते समय गौरैयेने दो टोकरियाँ उनके सामने रख दीं और पूछा कि 'आप छोटी टोकरी साथ ले जायँगे या बड़ी?' दोनों बूढ़े हो चले थे, इसलिये दूरतक हाथसे ढोनेमें सुविधाके नाते उन्होंने छोटी टोकरी पसंद की; पर रास्तेमें वह एक पेटीके रूपमें परिणत हो गयी। घर आकर उन्होंने पेटी खोली तो उसमें रेशमी कपड़े तथा अन्य उपयोगी सामान देखकर आश्चर्यचकित हो गये ।

बूढ़ी पड़ोसिनको जब इस बातका पता चला, तबउसने झूठ-मूठ रोकर कहा कि 'कभी-कभी मनुष्यकी बुद्धि बिगड़ जाती है और वह अकारण क्रोध कर बैठता है। गौरैया मुझे अवश्य क्षमा कर देगा।' यों | सोचकर उसे धोखा देनेके लिये वह भी घोंसलेपर जा पहुँची। गौरैयेने बिना स्वागत-सत्कार किये ही दो | टोकरी सामने रखकर प्रश्न किया, 'बड़ी लोगी या छोटी ?"

'बड़ी।' बुढ़ियाका उत्तर था। वह बड़ी टोकरी लेकर चल पड़ी। रास्तेमें वह अपने मनपर नियन्त्रण नहीं रख सकी। उसने यह देखनेके लिये कि टोकरीमें कितने | कीमती सामान और रेशमी कपड़े हैं, टोकरी खोल ली। दैवी प्रेरणासे उसमेंसे दो भूत निकलते दीख पड़े और उस स्थानपर उसे उड़ाकर ले गये, जिसमें पशु पक्षियोंके सतानेवालोंको यातना दी जाती है।

- रा0 श्री0



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aatithyaka suphala

jaapaanake kisee nagaramen ek vriddh vyakti rahata tha . vah aur usakee patnee donon bada़e udaar the. pashu pakshiyonke prati unake hridayamen bada़a prem thaa. dononne ek gauraiya pakshee paal rakha thaa. vah nityaprati uda़kar unake aangan men aaya karata tha aur daana chugakar chala jaata thaa. un dononke kandhonpar baithakar vah meethe svarase chahachahaaya karata thaa.

ek din vah boodha़ee aurat apane bageechemen thee ki usakee dusht pada़osinane kaha ki 'tum apane praanapyaare gauraiyeko phir kabhee naheen dekh sakogee. mainne usakeejeebh kaat daalee hai. vah meree dhaanakee khetee nasht kar diya karata thaa.' dveshee pada़osin hansane lagee .

vriddh dampati is ghatanaase bahut duhkhee hue. unhonne apanee pada़osinapar rosh prakat kiye bina hee jangalamen gauraiyekee khojamen ghoomana aarambh kiyaa. ve bhayabheet the ki aisa n ho ki gauraiya bhookhase tada़pa-tada़pakar praan de de. daivayogase ek hare bhare khetake nikat gauraiyeka ghonsala mil gayaa. gauraiya apane premadaataaonko dekhakar aanandase naach uthaa.

'aaj mera saubhaagy hai ki mere premadaata atithiroopamenmere nivaasasthaanapar upasthit hain.' gauraiyene apanee patneese kaha aur ve apane bachchonsahit vriddh dampatike svaagat satkaaramen lag gaye. do-chaar dinontak aamoda-pramod hota rahaa.

vriddh dampatike chalate samay gauraiyene do tokariyaan unake saamane rakh deen aur poochha ki 'aap chhotee tokaree saath le jaayange ya bada़ee?' donon boodha़e ho chale the, isaliye dooratak haathase dhonemen suvidhaake naate unhonne chhotee tokaree pasand kee; par raastemen vah ek peteeke roopamen parinat ho gayee. ghar aakar unhonne petee kholee to usamen reshamee kapada़e tatha any upayogee saamaan dekhakar aashcharyachakit ho gaye .

boodha़ee pada़osinako jab is baataka pata chala, tabausane jhootha-mooth rokar kaha ki 'kabhee-kabhee manushyakee buddhi bigada़ jaatee hai aur vah akaaran krodh kar baithata hai. gauraiya mujhe avashy kshama kar degaa.' yon | sochakar use dhokha deneke liye vah bhee ghonsalepar ja pahunchee. gauraiyene bina svaagata-satkaar kiye hee do | tokaree saamane rakhakar prashn kiya, 'bada़ee logee ya chhotee ?"

'baड़ee.' budha़iyaaka uttar thaa. vah bada़ee tokaree lekar chal pada़ee. raastemen vah apane manapar niyantran naheen rakh sakee. usane yah dekhaneke liye ki tokareemen kitane | keematee saamaan aur reshamee kapada़e hain, tokaree khol lee. daivee preranaase usamense do bhoot nikalate deekh pada़e aur us sthaanapar use uda़aakar le gaye, jisamen pashu pakshiyonke sataanevaalonko yaatana dee jaatee hai.

- raa0 shree0

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