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पेट-दर्दकी विचित्र औषध  [Hindi Story]
आध्यात्मिक कहानी - प्रेरक कथा (आध्यात्मिक कथा)

प्रायः भगवान् श्रीकृष्णकी पटरानियाँ व्रजगोपिकाओंके नामसे नाक-भौं सिकोड़ने लगतीं। इनके अहंकारको भङ्ग करनेके लिये प्रभुने एक बार एक लीला रची।नित्य निरामय भगवान् बीमारीका नाटक कर पड़ गये। नारदजी आये। वे भगवान्के मनोभावको समझ गये । उन्होंने बतलाया कि इस रोगकी औषध तो है, परउसका अनुपान प्रेमी भक्तकी चरण-रज ही हो सकती है । रुक्मिणी, सत्यभामा, सभीसे पूछा गया। पर पदरज कौन दे प्रभुको । भगवान्ने कहा- 'एक बार व्रज जाकर देखिये तो ।'

'नारदजी श्यामसुन्दरके पाससे आये हैं' यह सुनते ही श्रीराधाजीके साथ सारी व्रजाङ्गनाएँ बासी मुँह ही दौड़ पड़ीं। कुशल पूछनेपर नारदजीने श्रीकृष्णकी बीमारीकी बात सुनायी। गोपियोंके तो प्राण ही सूख गये। उन्होंने तुरंत पूछा- 'क्या वहाँ कोई वैद्य नहीं है ?' 'वैद्य भी हैं, दवा भी है, पर अनुपान नहीं मिलता।'

'ऐसा क्या अनुपान है ?'

'अनुपान बहुत दुर्लभ है; उसे कौन दे ? है तो वह सभीके पास, पर कोई उसे देना नहीं चाहता सम्पूर्ण जगत् में चक्कर लगा आया, पर व्यर्थ ।

'सभीके पास है! क्या हमलोगोंके पास भी है ?"

'है क्यों नहीं, पर तुम भी दे न सकोगी।'

'प्रियतम श्रीकृष्णको न दे सकें, ऐसी हमारे पास कोई वस्तु ही नहीं रह सकती।'

'अच्छा, तो क्या श्रीकृष्णको अपने चरणोंकी धूलि दे सकोगी ? यही है वह अनुपान, जिसके साथ दवा देनेसे उनकी बीमारी दूर होगी ! '

'यह कौन-सी बड़ी कठिन बात है, मुनि महाराज !
लो, हम पैर बढ़ाये देती हैं; जितनी चाहिये, चरण-धूलि अभी ले जाओ।'

'अरी यह क्या करती हो ?' नारदजी घबराये। 'क्या तुम यह नहीं जानती कि श्रीकृष्ण भगवान् हैं? भला, उन्हें खानेको अपने पैरोंकी धूल ? क्या तुम्हें नरकका भय नहीं है ?'

'नारदजी! हमारे सुख-सम्पत्ति, भोग, मोक्ष- सब कुछ हमारे प्रियतम श्रीकृष्ण ही हैं। अनन्त नरकोंमें जाकर भी हम श्रीकृष्णको स्वस्थ कर सकें-उनको तनिक-सा भी सुख पहुँचा सकें तो हम ऐसे मनचाहे नरकका नित्य भजन करें। हमारे अघासुर (अघ+ असुर), नरकासुर (नरक+असुर) तो उन्होंने कभीके मार रखे हैं।'

नारदजी विह्वल हो गये। उन्होंने श्रीराधारानी तथा उनकी कायव्यूहरूपा गोपियोंकी परम पावन चरणरजकी पोटली बाँधी, अपनेको भी उससे अभिषिक्त किया। लेकर नाचते हुए द्वारका पधारे। भगवान्‌ने दवा ली। पटरानियाँ यह सब सुनकर लज्जासे गड़-सी गयीं। उनका प्रेमका अहंकार समाप्त हो गया। वे समझ गयीं कि हम उन गोपियोंके सामने सर्वथा नगण्य हैं। उन्होंने उन्हें मन-ही-मन निर्मल तथा श्रद्धापूत मनसे नमस्कार किया।

-जा0 श0 (उज्ज्वल भारत)



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peta-dardakee vichitr aushadha

praayah bhagavaan shreekrishnakee pataraaniyaan vrajagopikaaonke naamase naaka-bhaun sikoda़ne lagateen. inake ahankaarako bhang karaneke liye prabhune ek baar ek leela rachee.nity niraamay bhagavaan beemaareeka naatak kar pada़ gaye. naaradajee aaye. ve bhagavaanke manobhaavako samajh gaye . unhonne batalaaya ki is rogakee aushadh to hai, parausaka anupaan premee bhaktakee charana-raj hee ho sakatee hai . rukminee, satyabhaama, sabheese poochha gayaa. par padaraj kaun de prabhuko . bhagavaanne kahaa- 'ek baar vraj jaakar dekhiye to .'

'naaradajee shyaamasundarake paasase aaye hain' yah sunate hee shreeraadhaajeeke saath saaree vrajaanganaaen baasee munh hee dauda़ pada़een. kushal poochhanepar naaradajeene shreekrishnakee beemaareekee baat sunaayee. gopiyonke to praan hee sookh gaye. unhonne turant poochhaa- 'kya vahaan koee vaidy naheen hai ?' 'vaidy bhee hain, dava bhee hai, par anupaan naheen milataa.'

'aisa kya anupaan hai ?'

'anupaan bahut durlabh hai; use kaun de ? hai to vah sabheeke paas, par koee use dena naheen chaahata sampoorn jagat men chakkar laga aaya, par vyarth .

'sabheeke paas hai! kya hamalogonke paas bhee hai ?"

'hai kyon naheen, par tum bhee de n sakogee.'

'priyatam shreekrishnako n de saken, aisee hamaare paas koee vastu hee naheen rah sakatee.'

'achchha, to kya shreekrishnako apane charanonkee dhooli de sakogee ? yahee hai vah anupaan, jisake saath dava denese unakee beemaaree door hogee ! '

'yah kauna-see bada़ee kathin baat hai, muni mahaaraaj !
lo, ham pair badha़aaye detee hain; jitanee chaahiye, charana-dhooli abhee le jaao.'

'aree yah kya karatee ho ?' naaradajee ghabaraaye. 'kya tum yah naheen jaanatee ki shreekrishn bhagavaan hain? bhala, unhen khaaneko apane paironkee dhool ? kya tumhen narakaka bhay naheen hai ?'

'naaradajee! hamaare sukha-sampatti, bhog, moksha- sab kuchh hamaare priyatam shreekrishn hee hain. anant narakonmen jaakar bhee ham shreekrishnako svasth kar saken-unako tanika-sa bhee sukh pahuncha saken to ham aise manachaahe narakaka nity bhajan karen. hamaare aghaasur (agha+ asura), narakaasur (naraka+asura) to unhonne kabheeke maar rakhe hain.'

naaradajee vihval ho gaye. unhonne shreeraadhaaraanee tatha unakee kaayavyooharoopa gopiyonkee param paavan charanarajakee potalee baandhee, apaneko bhee usase abhishikt kiyaa. lekar naachate hue dvaaraka padhaare. bhagavaan‌ne dava lee. pataraaniyaan yah sab sunakar lajjaase gada़-see gayeen. unaka premaka ahankaar samaapt ho gayaa. ve samajh gayeen ki ham un gopiyonke saamane sarvatha nagany hain. unhonne unhen mana-hee-man nirmal tatha shraddhaapoot manase namaskaar kiyaa.

-jaa0 sha0 (ujjval bhaarata)

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