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नम्रता एवं सादगीके प्रतीक महात्मा गाँधी  [Hindi Story]
Spiritual Story - Moral Story (प्रेरक कहानी)

(3) नम्रता एवं सादगीके प्रतीक महात्मा गाँधी

राजकोटमें काठियावाड़ राज्य प्रजा परिषद्का अधिवेशन हो रहा था। बापू अन्य नेताओंके साथ मंचपर बैठे थे। इसी बीच उनकी निगाह दूर बैठे एक वृद्धपर पड़ी। स्मृतिपर जोर दिया, तो लगा अरे! ये तो मेरे बचपनके अध्यापक हैं। बापू मंचसे उतरकर उनके पास गये, प्रणाम करके उनके चरणोंके पास बैठ गये, परिवारका कुशलक्षेम पूछा। गद्गद शिक्षकने अनुरोध किया- 'अब आप ऊपर मंचपर चले जायँ।' पर गाँधीजी मंचपर न जाकर वहीं
बैठे। सभा समाप्त होनेपर गाँधीजीको आशीष मिला 'तुम जैसा अहंकाररहित ही महान् कहलानेका सच्चा अधिकारी हो सकता है। खूब आगे बढ़ो।'



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namrata evan saadageeke prateek mahaatma gaandhee

(3) namrata evan saadageeke prateek mahaatma gaandhee

raajakotamen kaathiyaavaada़ raajy praja parishadka adhiveshan ho raha thaa. baapoo any netaaonke saath manchapar baithe the. isee beech unakee nigaah door baithe ek vriddhapar pada़ee. smritipar jor diya, to laga are! ye to mere bachapanake adhyaapak hain. baapoo manchase utarakar unake paas gaye, pranaam karake unake charanonke paas baith gaye, parivaaraka kushalakshem poochhaa. gadgad shikshakane anurodh kiyaa- 'ab aap oopar manchapar chale jaayan.' par gaandheejee manchapar n jaakar vaheen
baithe. sabha samaapt honepar gaandheejeeko aasheesh mila 'tum jaisa ahankaararahit hee mahaan kahalaaneka sachcha adhikaaree ho sakata hai. khoob aage badha़o.'

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तेरा गम रहे सलामत मेरे दिल को क्या कमी
यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है
तेरे बगैर सांवरिया जिया नही जाये
तुम आके बांह पकड लो तो कोई बात बने‌॥
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
राधे राधे बोल, श्याम भागे चले आयंगे।
एक बार आ गए तो कबू नहीं जायेंगे ॥
रंग डालो ना बीच बाजार
श्याम मैं तो मर जाऊंगी
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
मुझे चढ़ गया राधा रंग रंग, मुझे चढ़ गया
श्री राधा नाम का रंग रंग, श्री राधा नाम
ज़रा छलके ज़रा छलके वृदावन देखो
ज़रा हटके ज़रा हटके ज़माने से देखो
कहना कहना आन पड़ी मैं तेरे द्वार ।
मुझे चाकर समझ निहार ॥
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
राधे राधे बोल, राधे राधे बोल,
बरसाने मे दोल, के मुख से राधे राधे बोल,
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
हे राम, हे राम, हे राम, हे राम
जग में साचे तेरो नाम । हे राम...
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
तेरे संग में बांके बिहारी कृष्ण
मेरा आपकी कृपा से,
सब काम हो रहा है
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
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श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री
मेरे बांके बिहारी बड़े प्यारे लगते
कही नज़र न लगे इनको हमारी
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
हर पल तेरे साथ मैं रहता हूँ,
डरने की क्या बात? जब मैं बैठा हूँ
मेरे जीवन की जुड़ गयी डोर, किशोरी तेरे
किशोरी तेरे चरणन में, महारानी तेरे
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
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फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
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