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नित्य-नियमका कठोर आचरण  [हिन्दी कहानी]
Short Story - प्रेरक कहानी (हिन्दी कथा)

बाशीं नगरमें जोगा परमानन्द नामक प्रसिद्ध हरिभक्त नित्य पूजाके बाद गीताका एक-एक श्लोक कहकर पंढरिको 700 बार साष्टाङ्ग नमस्कार करता । नमस्कार किये बिना कभी उसने अन्न जल ग्रहण नहीं किया। एक बार महाद्वारमें एक व्यापारी आया। रातमें पानी बरसनेसे कीचड़ हो गया था। जोगा नित्यकी तरह उस दिन भी आया और उसने नमस्कार शुरू कर दिये। उसकी देह कीचड़से सन गयी।

व्यापारी यह स्थिति देख अत्यन्त प्रभावित हुआ। पासकी दूकानसे एक बहुमूल्य पीताम्बर खरीदकर वह जोगाको देने लगा। जोगाने कहा 'भाई! मुझपर दयाआती हो तो कोई फटा-पुराना वस्त्र दे दो। यह बहुमूल्य वस्त्र तो भगवान्‌को ही फबता है। इसे भगवान्‌को ही चढ़ाओ।' व्यापारी नहीं माना, उसका अत्याग्रह और निष्ठा देख जोगाने पीताम्बर स्वीकार कर लिया।

दूसरे दिन जोगा पीताम्बर पहनकर नमस्कार करने लगा। उसका मन रह-रहकर पीताम्बरको कीचड़से बचानेमें ही लग जाता । फलतः मध्याह्न हो गया, पर उसके नमस्कार पूरे नहीं हुए। जोगाको यह बात ध्यानमें आते देर न लगी। पीताम्बरके कारण नित्यके नियममें विघ्न पड़ते देख वह बड़ा दुखी हुआ और सोच-विचार करता भगवान्‌के महाद्वारके बाहर आ अनमना-सा बैठगया। अपने कियेपर पश्चात्तापके कारण उसकी आँखोंसे अविरल अश्रुधारा बह चली।

इसी बीच एक किसान सुन्दर बैलोंकी जोड़ीपर हलकी धुरा रखे जाता दीख पड़ा। जोगा अपने अपराधके प्रायश्चित्तकी एक अद्भुत कल्पना अनायास सूझ पड़नेसे उछल पड़ा। उसने हरवाहेको रोककर कहा—'भैया! यह बहुमूल्य पीताम्बर ले लो और यह बैलोंकी जोड़ी मुझे दे दो। कृपाकर मुझे हलमें बाँध दो और बिगड़कर बैलोंको दो चाबुक जड़ो, ताकि बैल मुझे घसीटते दूर ले जायँ । फिर तुम आकर बैलोंको ले जाना।'

पीताम्बर बैलोंसे अधिक मूल्यका देख किसान लोभमें आ गया और ‘लोभमूलानि पापानि'– उसे कुछ भी करनेमें विवेक नहीं रहा। हलमें जोगाको बाँध उसनेबैलोंपर चाबुक फटकारा। बैल प्राण लेकर भाग निकले।

बहुत दूर घोर जंगलमें पहुँचकर बैल रुके। पत्थरों, कंकड़ों और काँटोंसे जोगाका सारा शरीर लहू-लुहान हो गया था । प्राण निकलना ही चाहते थे कि जोगाने अपनेको सँभालकर भगवान्‌की अन्तिम स्तुति आरम्भ की। भक्तकी नियमनिष्ठा पूरी हो गयी । भक्तवत्सलसे अब रहा नहीं गया। पीताम्बर पहने वनमाली बैलोंके बीच आविर्भूत हो गये और उन्होंने उसे हलके बन्धनसे मुक्त किया।

भगवान्‌ के श्रीहस्तका स्पर्श होते ही जोगाकी सारी पीड़ा, सारे घाव हवा हो गये। नित्य-नियमका कठोर आचरण करनेवाले अपने इस भक्तको भगवान्ने सदाके लिये अपना बना लिया।

-गो0 न0 बै0 (भक्तिविजय, अध्याय 20)



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nitya-niyamaka kathor aacharana

baasheen nagaramen joga paramaanand naamak prasiddh haribhakt nity poojaake baad geetaaka eka-ek shlok kahakar pandhariko 700 baar saashtaang namaskaar karata . namaskaar kiye bina kabhee usane ann jal grahan naheen kiyaa. ek baar mahaadvaaramen ek vyaapaaree aayaa. raatamen paanee barasanese keechada़ ho gaya thaa. joga nityakee tarah us din bhee aaya aur usane namaskaar shuroo kar diye. usakee deh keechada़se san gayee.

vyaapaaree yah sthiti dekh atyant prabhaavit huaa. paasakee dookaanase ek bahumooly peetaambar khareedakar vah jogaako dene lagaa. jogaane kaha 'bhaaee! mujhapar dayaaaatee ho to koee phataa-puraana vastr de do. yah bahumooly vastr to bhagavaan‌ko hee phabata hai. ise bhagavaan‌ko hee chadha़aao.' vyaapaaree naheen maana, usaka atyaagrah aur nishtha dekh jogaane peetaambar sveekaar kar liyaa.

doosare din joga peetaambar pahanakar namaskaar karane lagaa. usaka man raha-rahakar peetaambarako keechada़se bachaanemen hee lag jaata . phalatah madhyaahn ho gaya, par usake namaskaar poore naheen hue. jogaako yah baat dhyaanamen aate der n lagee. peetaambarake kaaran nityake niyamamen vighn pada़te dekh vah bada़a dukhee hua aur socha-vichaar karata bhagavaan‌ke mahaadvaarake baahar a anamanaa-sa baithagayaa. apane kiyepar pashchaattaapake kaaran usakee aankhonse aviral ashrudhaara bah chalee.

isee beech ek kisaan sundar bailonkee joda़eepar halakee dhura rakhe jaata deekh pada़aa. joga apane aparaadhake praayashchittakee ek adbhut kalpana anaayaas soojh pada़nese uchhal pada़aa. usane haravaaheko rokakar kahaa—'bhaiyaa! yah bahumooly peetaambar le lo aur yah bailonkee joda़ee mujhe de do. kripaakar mujhe halamen baandh do aur bigada़kar bailonko do chaabuk jada़o, taaki bail mujhe ghaseetate door le jaayan . phir tum aakar bailonko le jaanaa.'

peetaambar bailonse adhik moolyaka dekh kisaan lobhamen a gaya aur ‘lobhamoolaani paapaani'– use kuchh bhee karanemen vivek naheen rahaa. halamen jogaako baandh usanebailonpar chaabuk phatakaaraa. bail praan lekar bhaag nikale.

bahut door ghor jangalamen pahunchakar bail ruke. pattharon, kankaड़on aur kaantonse jogaaka saara shareer lahoo-luhaan ho gaya tha . praan nikalana hee chaahate the ki jogaane apaneko sanbhaalakar bhagavaan‌kee antim stuti aarambh kee. bhaktakee niyamanishtha pooree ho gayee . bhaktavatsalase ab raha naheen gayaa. peetaambar pahane vanamaalee bailonke beech aavirbhoot ho gaye aur unhonne use halake bandhanase mukt kiyaa.

bhagavaan‌ ke shreehastaka sparsh hote hee jogaakee saaree peeda़a, saare ghaav hava ho gaye. nitya-niyamaka kathor aacharan karanevaale apane is bhaktako bhagavaanne sadaake liye apana bana liyaa.

-go0 na0 bai0 (bhaktivijay, adhyaay 20)

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