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प्रेमका झरना  [Spiritual Story]
Short Story - Moral Story (हिन्दी कहानी)

संत बोनीफेसके जीवनकी एक सरस कथा है। उनका पालन-पोषण देवनके पहाड़ी वातावरणमें हुआ था। बचपनसे ही वे एकान्तमें निवास कर भगवान्के प्रेमामृतका रसास्वादन किया करते थे। उनके पिताने बोनीफेसको पूर्ण स्वतन्त्रता दे दी थी कि वे आजीवनभगवान्का भजन करते रहें तथा दीन-दु:खियों और असहायोंकी सेवामें लगे रहें। उनका जीवन पूर्ण भागवत था।

एक समयकी बात है। वे भगवान्‌की मधुर भक्तिका प्रचार करनेके लिये जर्मनीके किसी देहातीक्षेत्रमें जा रहे थे। दैवयोगसे काले वन (ब्लैक फोरेस्ट)-में पहुँच गये। वे थकावट और प्याससे परिश्रान्त थे सारा शरीर शिथिल हो गया था । पानीके लिये व्याकुल थे, पर उस निर्जन वनमें पानी मिलना कठिन ही था।

'माँ! थोड़ा-सा दूध मुझे भी दे दो, नहीं तो प्राण निकल जायँगे।' संतने एक महिलासे निवेदन किया जो थोड़ी दूरपर गाय दुह रही थी। बोनीफेसको देखकर उसके हृदयमें दयाके घन उमड़ आये। वह दूध देनेवाली ही थी कि उसका पति आ गया और उसे ऐसा करनेसे रोक दिया।

बोनीफेस धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे! वे गिरते पड़ते कुछ दूर गये ही थे कि एक शिलाखण्डके निकट पहुँचते ही पृथ्वीसे एक सोता फूट निकला, जिसकाजल अत्यन्त निर्मल और शीतल था। बोनीफेसने भगवान्‌की कृपाको धन्यवाद दिया और उस प्रेम निर्झरिणीके मनोरम तटपर बैठकर अपनी प्यास शान्त की ।

वह महिला भी जलको देखकर प्रसन्नतासे नाच उठी और घड़ा लेकर पहुँच गयी।

'माँ! तुम्हारे हृदयमें दीन-दुःखियोंके लिये अपार दया है। तुम इस प्रेमके झरनेका पानी ले सकती हो। पर स्मरण रखो कि द्वेषी, अक्षमाशील और दूसरोंसे घृणा करनेवाले व्यक्तिका कर-स्पर्श होते ही निर्झरिणीका जल सूख जायगा।'

उसका नाम बोनीफेस-निर्झरिणी है और उसके तटपर जाते ही लोगोंका मन प्राणिमात्रके प्रति प्रेमभावसे सम्पन्न हो उठता है। रा0 श्री0



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premaka jharanaa

sant boneephesake jeevanakee ek saras katha hai. unaka paalana-poshan devanake pahaada़ee vaataavaranamen hua thaa. bachapanase hee ve ekaantamen nivaas kar bhagavaanke premaamritaka rasaasvaadan kiya karate the. unake pitaane boneephesako poorn svatantrata de dee thee ki ve aajeevanabhagavaanka bhajan karate rahen tatha deena-du:khiyon aur asahaayonkee sevaamen lage rahen. unaka jeevan poorn bhaagavat thaa.

ek samayakee baat hai. ve bhagavaan‌kee madhur bhaktika prachaar karaneke liye jarmaneeke kisee dehaateekshetramen ja rahe the. daivayogase kaale van (blaik phoresta)-men pahunch gaye. ve thakaavat aur pyaasase parishraant the saara shareer shithil ho gaya tha . paaneeke liye vyaakul the, par us nirjan vanamen paanee milana kathin hee thaa.

'maan! thoda़aa-sa doodh mujhe bhee de do, naheen to praan nikal jaayange.' santane ek mahilaase nivedan kiya jo thoड़ee doorapar gaay duh rahee thee. boneephesako dekhakar usake hridayamen dayaake ghan umada़ aaye. vah doodh denevaalee hee thee ki usaka pati a gaya aur use aisa karanese rok diyaa.

boneephes dheere-dheere aage badha़ne lage! ve girate pada़te kuchh door gaye hee the ki ek shilaakhandake nikat pahunchate hee prithveese ek sota phoot nikala, jisakaajal atyant nirmal aur sheetal thaa. boneephesane bhagavaan‌kee kripaako dhanyavaad diya aur us prem nirjharineeke manoram tatapar baithakar apanee pyaas shaant kee .

vah mahila bhee jalako dekhakar prasannataase naach uthee aur ghaड़a lekar pahunch gayee.

'maan! tumhaare hridayamen deena-duhkhiyonke liye apaar daya hai. tum is premake jharaneka paanee le sakatee ho. par smaran rakho ki dveshee, akshamaasheel aur doosaronse ghrina karanevaale vyaktika kara-sparsh hote hee nirjharineeka jal sookh jaayagaa.'

usaka naam boneephesa-nirjharinee hai aur usake tatapar jaate hee logonka man praanimaatrake prati premabhaavase sampann ho uthata hai. raa0 shree0

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