⮪ All Stories / कथा / कहानियाँ

मठका महंत बनना अपनेको नरकमें गिराना है  [छोटी सी कहानी]
Moral Story - Story To Read (Hindi Story)

मठका महंत बनना अपनेको नरकमें गिराना है

मर्यादापुरुषोतम महाराज श्रीरामको राजसभा इन्द्र यम और वरुण सभा समक्ष थी। उनके राज्यमें किसीको आधि-व्याधि या किसी प्रकारको भी बाधा थी ही नहीं। तथापि एक दिन श्रीलक्ष्मणको प्रभुत आज्ञा दी कि देखो बाहर कोई व्यवहारी या प्रार्थी तो उपस्थित नहीं है। कोई हो तो उसे बुलाओ, उसकी बात सुनी जाय। एक बार लक्ष्मणजी लौट गये और कहा-'दरवाजेपर कोई भी उपस्थित नहीं है।' श्रीरामने कहा- 'नहीं, तुम ध्यानसे देखो वहाँ जो कोई भी हो, उसे तत्परतापूर्वक बुला लाओ।' इस बार जब लक्ष्मणजीने देखा तो मनुष्य तो कोई दरवाजेपर था नहीं, पर एक श्वान वहाँ अवश्य खड़ा था, जो बार-बार दु:खित
होकर रो रहा था। जब लक्ष्मणजीने उससे भीतर चलनेको कहा तो उसने बताया- 'हमलोग अधम योनिमें उत्पन्न हुए हैं और राजा साक्षात् धर्मका विग्रह ही होता है, अतएव महाराज! मैं राजदरबारमें प्रवेश कैसे करूँ ?'
अन्तमें लक्ष्मणजीने महाराजसे पुन: आज्ञा लेकर उसकी प्रभुके पास पेशी करायी। श्रीरामने देखा कि उसके मस्तकमें चोट लगी हुई थी। महाराजने उसे अभयदान देकर पूछा- 'बतलाओ, तुम्हें क्या कष्ट है, निडर होकर बतलाओ, मैं तुम्हारा कार्य तत्काल सम्पन्न कर देता हूँ।'
कुत्ता बोला-'नाथ! मैंने किसी प्रकारका अपराध नहीं किया तो भी सर्वार्थसिद्धि नामक ब्राह्मणने मेरे मस्तकपर प्रहार किया है। मैं इसीका न्याय कराने श्रीमान्‌के द्वारपर आया हूँ।' महाराज रामने उस ब्राह्मणको बुलाकर पूछा- 'तुमने किस अपराधके कारण इसके मस्तकपर लाठीका प्रहारकर इसका सिर फोड़ दिया है ?'
ब्राह्मणने कहा—'प्रभो! मैं क्षुधातुर होकर भिक्षाटन के लिये जा रहा था और यह श्वान विषम ढंगसे मार्गमें आ गया। भूखसे व्याकुल होनेके कारण मुझे क्रोध आ गया।। मैं अपराधी हूँ, आप कृपापूर्वक मेरा शासन करें।'
इसपर श्रीरामने अपने सभासदोंसे न्याय व्यवस्थानुसार दण्ड बतलानेको कहा। सभासदोंने ब्राह्मणको दण्डोंद्वारा अवध्य बताया। तब कुत्तेने रामसे कहा कि 'यदि प्रभो! आप मुझपर प्रसन्न हैं और मेरी सम्मति चाहते हैं तो मेरी प्रार्थना है कि इस ब्राह्मणको कालंजर मठके कुलपतिपदपर अभिषिक्त कर दिया जाय।' कुत्तेके इच्छानुसार भिक्षुको मान-दानपूर्वक हाथीपर चढ़ाकर वहाँ भेज दिया गया। तदनन्तर सभासदाने बड़े आश्चर्यपूर्वक श्वानसे पूछा- भैया! यह तो तुमने उस भिक्षुको वर ही दे डाला, शाप नहीं।' कुत्ता बोला-'आपलोगोंको इसका रहस्य विदित नहीं है। मैं भी पूर्वजन्ममें वहींका कुलपति था। यद्यपि मैं बड़ा सावधान था और बड़ा विनीत, शीलसम्पन्न, देव-द्विजकी पूजा करनेवाला और सभी प्राणियोंका हितचिन्तक, परंतु देव-द्रव्यका भक्षक भी था। अतः कुलपतित्वके दोषसे मैं दुर्योनिको प्राप्त हुआ; फिर यह भिक्षुक तो अत्यन्त क्रोधी, असंयमी, नृशंस, मूर्ख तथा अधार्मिक है। ऐसी दशामें वहाँका कुलपतित्व इसके लिये वरदान नहीं, अपितु घोर अभिशाप है। किसी भी कल्याणकामी व्यक्तिको मठाधिपतित्वको तो भूलकर भी नहीं स्वीकार करना चाहिये। मठाधिपत्य सात पीढ़ियोंतकको नरकमें डाल देता है। जिसे नरकमें गिराना चाहे, उसे देवमन्दिरोंका आधिपत्य दे दे। जो ब्रह्मस्व, देवांश, स्त्रीधन, बालधन अथवा अपने दिये हुए धनका अपहरण करता है, वह सभी इष्ट-मित्रोंके साथ विनाशको प्राप्त होता है। जो मनसे भी इन द्रव्योंपर बुरी दृष्टि रखता है, वह घोर अवीचिमान् नामक नरकमें गिरता है। और फिर जो सक्रिय होकर इनका अपहरण करता है, उसका तो एक से दूसरे नरकोंमें बराबर पतन ही होता चलता । अतएव भूलकर भी मनुष्य ऐसा आधिपत्य न ले।'
कुत्तेकी बात सुनकर सभी महान् आश्चर्यमें डूब गये। वह कुत्ता जिधरसे आया था, उधर ही चला गया और काशी आकर प्रायोपवेशनमें बैठ गया।



You may also like these:

हिन्दी कहानी अंधा हो गया
Spiritual Story अक्रोध
Spiritual Story अच्छी फसल
आध्यात्मिक कथा अतिथिके लिये उत्सर्ग
छोटी सी कहानी अद्भुत उदारता
हिन्दी कहानी अद्भुत क्षमा
आध्यात्मिक कथा अन्यायका कुफल
छोटी सी कहानी अन्यायका पैसा


mathaka mahant banana apaneko narakamen giraana hai

mathaka mahant banana apaneko narakamen giraana hai

maryaadaapurushotam mahaaraaj shreeraamako raajasabha indr yam aur varun sabha samaksh thee. unake raajyamen kiseeko aadhi-vyaadhi ya kisee prakaarako bhee baadha thee hee naheen. tathaapi ek din shreelakshmanako prabhut aajna dee ki dekho baahar koee vyavahaaree ya praarthee to upasthit naheen hai. koee ho to use bulaao, usakee baat sunee jaaya. ek baar lakshmanajee laut gaye aur kahaa-'daravaajepar koee bhee upasthit naheen hai.' shreeraamane kahaa- 'naheen, tum dhyaanase dekho vahaan jo koee bhee ho, use tatparataapoorvak bula laao.' is baar jab lakshmanajeene dekha to manushy to koee daravaajepar tha naheen, par ek shvaan vahaan avashy khada़a tha, jo baara-baar du:khita
hokar ro raha thaa. jab lakshmanajeene usase bheetar chalaneko kaha to usane bataayaa- 'hamalog adham yonimen utpann hue hain aur raaja saakshaat dharmaka vigrah hee hota hai, ataev mahaaraaja! main raajadarabaaramen pravesh kaise karoon ?'
antamen lakshmanajeene mahaaraajase puna: aajna lekar usakee prabhuke paas peshee karaayee. shreeraamane dekha ki usake mastakamen chot lagee huee thee. mahaaraajane use abhayadaan dekar poochhaa- 'batalaao, tumhen kya kasht hai, nidar hokar batalaao, main tumhaara kaary tatkaal sampann kar deta hoon.'
kutta bolaa-'naatha! mainne kisee prakaaraka aparaadh naheen kiya to bhee sarvaarthasiddhi naamak braahmanane mere mastakapar prahaar kiya hai. main iseeka nyaay karaane shreemaan‌ke dvaarapar aaya hoon.' mahaaraaj raamane us braahmanako bulaakar poochhaa- 'tumane kis aparaadhake kaaran isake mastakapar laatheeka prahaarakar isaka sir phoda़ diya hai ?'
braahmanane kahaa—'prabho! main kshudhaatur hokar bhikshaatan ke liye ja raha tha aur yah shvaan visham dhangase maargamen a gayaa. bhookhase vyaakul honeke kaaran mujhe krodh a gayaa.. main aparaadhee hoon, aap kripaapoorvak mera shaasan karen.'
isapar shreeraamane apane sabhaasadonse nyaay vyavasthaanusaar dand batalaaneko kahaa. sabhaasadonne braahmanako dandondvaara avadhy bataayaa. tab kuttene raamase kaha ki 'yadi prabho! aap mujhapar prasann hain aur meree sammati chaahate hain to meree praarthana hai ki is braahmanako kaalanjar mathake kulapatipadapar abhishikt kar diya jaaya.' kutteke ichchhaanusaar bhikshuko maana-daanapoorvak haatheepar chadha़aakar vahaan bhej diya gayaa. tadanantar sabhaasadaane bada़e aashcharyapoorvak shvaanase poochhaa- bhaiyaa! yah to tumane us bhikshuko var hee de daala, shaap naheen.' kutta bolaa-'aapalogonko isaka rahasy vidit naheen hai. main bhee poorvajanmamen vaheenka kulapati thaa. yadyapi main bada़a saavadhaan tha aur bada़a vineet, sheelasampann, deva-dvijakee pooja karanevaala aur sabhee praaniyonka hitachintak, parantu deva-dravyaka bhakshak bhee thaa. atah kulapatitvake doshase main duryoniko praapt huaa; phir yah bhikshuk to atyant krodhee, asanyamee, nrishans, moorkh tatha adhaarmik hai. aisee dashaamen vahaanka kulapatitv isake liye varadaan naheen, apitu ghor abhishaap hai. kisee bhee kalyaanakaamee vyaktiko mathaadhipatitvako to bhoolakar bhee naheen sveekaar karana chaahiye. mathaadhipaty saat peedha़iyontakako narakamen daal deta hai. jise narakamen giraana chaahe, use devamandironka aadhipaty de de. jo brahmasv, devaansh, streedhan, baaladhan athava apane diye hue dhanaka apaharan karata hai, vah sabhee ishta-mitronke saath vinaashako praapt hota hai. jo manase bhee in dravyonpar buree drishti rakhata hai, vah ghor aveechimaan naamak narakamen girata hai. aur phir jo sakriy hokar inaka apaharan karata hai, usaka to ek se doosare narakonmen baraabar patan hee hota chalata . ataev bhoolakar bhee manushy aisa aadhipaty n le.'
kuttekee baat sunakar sabhee mahaan aashcharyamen doob gaye. vah kutta jidharase aaya tha, udhar hee chala gaya aur kaashee aakar praayopaveshanamen baith gayaa.

148 Views





Bhajan Lyrics View All

सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से
मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
कहना कहना आन पड़ी मैं तेरे द्वार ।
मुझे चाकर समझ निहार ॥
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
राधिका गोरी से ब्रिज की छोरी से ,
मैया करादे मेरो ब्याह,
प्रभु कर कृपा पावँरी दीन्हि
सादर भारत शीश धरी लीन्ही
ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे
अरे बदलो ले लूँगी दारी के,
होरी का तोहे बड़ा चाव...
हर पल तेरे साथ मैं रहता हूँ,
डरने की क्या बात? जब मैं बैठा हूँ
जय राधे राधे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
Ye Saare Khel Tumhare Hai Jag
Kahta Khel Naseebo Ka
मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुमको
याद में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥
बहुत बड़ा दरबार तेरो बहुत बड़ा दरबार,
चाकर रखलो राधा रानी तेरा बहुत बड़ा
वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार, जपे जा राधे राधे।
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया
रंगीलो राधावल्लभ लाल, जै जै जै श्री
विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री
मेरा आपकी कृपा से,
सब काम हो रहा है
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख

New Bhajan Lyrics View All

बजरंगबली संकट काटो,
तेरे द्वार खड़े सब भक्तन के,
राम नाम का बजाके डंका भगवा हम
ये है अयोध्या राम लाला की मंदिर भव्य
सब मिल खुशियाँ मनाओ, गौरी के लाला आए
दस दिन खुशियाँ मनाओ, गौरी के लाला आए
तेरी बंसी की सुन तान,
हो गया दिल दीवाना,
ओदी रज़ा च राज़ी रह भगता,
तू हर पल ध्यान लगाया कर,