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महाशंकर  [Hindi Story]
Hindi Story - Spiritual Story (हिन्दी कथा)

महाशंकर

"वृक्षोंको शंकर क्यों कहते हैं?' एक पुत्रने पितासे पूछा। पिताने वृक्षमें जल डालते हुए कहा-'बेटा! समुद्रमन्थन हुआ, तब देव और दनुजाने सब कुछ बाँट लिया, पर विष लेनेको कोई तैयार न हुआ। तब उसे शंकरजीने पीकर मानवताकी रक्षा की।
शंकरजीने तो ऐसा एक बार किया, पर मनुष्य गन्दी साँस, धुआँ और सड़ाँध उत्पन्न किया करते हैं, उन्हें जीवन भर ये वृक्ष ही तो पान करके वायु शुद्ध रखते हैं। बोलो, यह क्या हुआ ?'-'महाशंकर।' पुत्रने उत्तर दिया।



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"vrikshonko shankar kyon kahate hain?' ek putrane pitaase poochhaa. pitaane vrikshamen jal daalate hue kahaa-'betaa! samudramanthan hua, tab dev aur danujaane sab kuchh baant liya, par vish leneko koee taiyaar n huaa. tab use shankarajeene peekar maanavataakee raksha kee.
shankarajeene to aisa ek baar kiya, par manushy gandee saans, dhuaan aur sada़aandh utpann kiya karate hain, unhen jeevan bhar ye vriksh hee to paan karake vaayu shuddh rakhate hain. bolo, yah kya hua ?'-'mahaashankara.' putrane uttar diyaa.

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