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लालचका फल  [प्रेरक कहानी]
Hindi Story - Wisdom Story (आध्यात्मिक कहानी)

लालचका फल

बहुत दूर एक गाँवमें राम और श्यामू नामके दो किसान रहते थे। उनमें रामू सीधा-सादा और नेक था, जबकि श्यामू बहुत तेज और चालाक किस्मका व्यक्ति था । एकबार उनके गाँवमें एक पहुँचे हुए महात्मा आये। रामू और श्यामू दोनोंने उन्हें खेतसे लौटते समय एक पेड़के नीचे बैठे देखा। श्यामूने उनपर कोई ध्यान नहीं दिया, लेकिन रामू आग्रह करके उन्हें अपने घर ले गया। उसने महात्माजीकी खूब सेवा की। रातभर रुकनेके बाद जब महात्माजी सुबह चलने लगे तो उन्होंने रामूको एक शंख दिया और कहा- 'इससे तुम जो भी माँगोगे, यह देगा।'
अब रामूको जिस किसी चीजकी जरूरत होती, वह शंखसे माँग लिया करता था। परंतु उसने खेतोंपर जाना और वहाँ काम करना अभी भी नहीं छोड़ा था। श्यामूको जब यह बात पता चली तो वह रामूसे मन ही मन जलने लगा। इससे पहले कि वह शंख हथियानेकी कोई योजना बनाता, महात्माजीका एक बार फिर उसी गाँवमें आगमन हुआ। इस बार श्यामू उन्हें बड़े सम्मानके साथ अपने घर ले गया और उनकी खूब आवभगत की। दूसरे दिन जब महात्माजी चलने लगे तो श्यामू उनकी तरफ बड़ी आशाभरी नजरोंसे देखने लगा। यह देखकर महात्माजी मुसकराये और बोले- 'मेरे पास ये दो शंख हैं। पहला शंख सिर्फ जो माँगोगे, वही देगा और दूसरा शंख जो माँगोगे, उससे दुगुना देनेकी बात कहेगा।'
श्यामू तो था ही लालची, उसने झटसे दूसरा शंख माँग लिया। महात्माजीके जाते ही श्यामूने शंखको आजमाने की कोशिश की। उसने शंखसे एक बोरी अनाज माँगा तो शंख बोला-'हुजूर। एक बोरी क्या, दो बोरी लीजिये!' 'ठीक है. दो बोरी दे दो।'-श्यामू बोला। 'हुजूर! दो बोरी क्या चार बोरी लीजिये' शंखने जवाब दिया। श्यामू शंखकी बातें सुन सुनकर परेशान हो गया। वह जो कुछ माँगता, शंख उससे दुगुना देनेकी बात करता, पर देता कुछ भी नहीं था। महात्माजी अभी ज्यादा दूर नहीं निकले थे। वह दौड़कर गया और उनसे सारी बात कही। उसकी बात सुनकर महात्माजी मुसकराये और बोले-'यह सब तुम्हारे लालचका ही फल है। तुमने लालचमें अन्धे होकर मेरी बात ध्यानसे सुनी ही नहीं और झटसे दूसरा शंख माँग लिया। जिस तरह तुम लालची हो, उसी तरह यह ढपोरशंख धोखेबाज है।' इसके बाद श्यामूने कभी लालच न करनेकी कसम खायी।
मेहनतसे फल मिलता है. लालचसे नहीं।



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laalachaka phala

laalachaka phala

bahut door ek gaanvamen raam aur shyaamoo naamake do kisaan rahate the. unamen raamoo seedhaa-saada aur nek tha, jabaki shyaamoo bahut tej aur chaalaak kismaka vyakti tha . ekabaar unake gaanvamen ek pahunche hue mahaatma aaye. raamoo aur shyaamoo dononne unhen khetase lautate samay ek peड़ke neeche baithe dekhaa. shyaamoone unapar koee dhyaan naheen diya, lekin raamoo aagrah karake unhen apane ghar le gayaa. usane mahaatmaajeekee khoob seva kee. raatabhar rukaneke baad jab mahaatmaajee subah chalane lage to unhonne raamooko ek shankh diya aur kahaa- 'isase tum jo bhee maangoge, yah degaa.'
ab raamooko jis kisee cheejakee jaroorat hotee, vah shankhase maang liya karata thaa. parantu usane khetonpar jaana aur vahaan kaam karana abhee bhee naheen chhoda़a thaa. shyaamooko jab yah baat pata chalee to vah raamoose man hee man jalane lagaa. isase pahale ki vah shankh hathiyaanekee koee yojana banaata, mahaatmaajeeka ek baar phir usee gaanvamen aagaman huaa. is baar shyaamoo unhen bada़e sammaanake saath apane ghar le gaya aur unakee khoob aavabhagat kee. doosare din jab mahaatmaajee chalane lage to shyaamoo unakee taraph bada़ee aashaabharee najaronse dekhane lagaa. yah dekhakar mahaatmaajee musakaraaye aur bole- 'mere paas ye do shankh hain. pahala shankh sirph jo maangoge, vahee dega aur doosara shankh jo maangoge, usase duguna denekee baat kahegaa.'
shyaamoo to tha hee laalachee, usane jhatase doosara shankh maang liyaa. mahaatmaajeeke jaate hee shyaamoone shankhako aajamaane kee koshish kee. usane shankhase ek boree anaaj maanga to shankh bolaa-'hujoora. ek boree kya, do boree leejiye!' 'theek hai. do boree de do.'-shyaamoo bolaa. 'hujoora! do boree kya chaar boree leejiye' shankhane javaab diyaa. shyaamoo shankhakee baaten sun sunakar pareshaan ho gayaa. vah jo kuchh maangata, shankh usase duguna denekee baat karata, par deta kuchh bhee naheen thaa. mahaatmaajee abhee jyaada door naheen nikale the. vah dauda़kar gaya aur unase saaree baat kahee. usakee baat sunakar mahaatmaajee musakaraaye aur bole-'yah sab tumhaare laalachaka hee phal hai. tumane laalachamen andhe hokar meree baat dhyaanase sunee hee naheen aur jhatase doosara shankh maang liyaa. jis tarah tum laalachee ho, usee tarah yah dhaporashankh dhokhebaaj hai.' isake baad shyaamoone kabhee laalach n karanekee kasam khaayee.
mehanatase phal milata hai. laalachase naheen.

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