⮪ All Stories / कथा / कहानियाँ

ऋणानुबन्ध  [Hindi Story]
हिन्दी कहानी - Shikshaprad Kahani (हिन्दी कहानी)

ऋणानुबन्ध

जब शहरी लोग वातानुकूलित कक्षों या कूलरमें बैठे अड़तालीस डिग्री हो गये तापक्रम और ग्लोबल वार्मिंगपर बहस कर रहे होते हैं, तब गाँवका किसान चिलचिलाती धूपमें खेतकी जुताईकर बीज बोनेके लिये तैयारी कर रहा होता है।
मालवाके एक छोटेसे गाँवका किसान प्रह्लाद, इस बार कुछ ज्यादा ही उत्साहित था, पिछले वर्ष ठीक बुआईके समय एक बैल मर जानेसे उसका सारा साल खराब हो गया था। इस बार वह साहूकारसे व्याजपर पैसे लेकर एक बड़ा सुन्दर, पुष्ट और नौजवान बैल लेकर आया था, पर जैसी लोकमें कहावत है 'बोवाती कई व्हे कटी ने धान घरै आइ जाए जब जानो कि आपनो ।' (बुआई करनेसे ही नहीं, धान कटकर घर आ जाय, तब जानिये कि अपना है)।
प्रह्लादका भी शायद दुर्भाग्य ही था कि सुन्दर और पुष्ट बैल थोड़ी दूर चलकर फिर बैठ जाता, उठाये न उठता। सीधा-साधा प्रह्लाद न चाहकर भी उसे पीटता। आखिर बुआई करना उसके और उसके परिवारके जीवन-मरणका प्रश्न था
एक दिन कठिन दोपहरमें जब जेठ तप रहा था, प्रह्लाद खेतमें हल चला रहा था; आदतसे मजबूर बैल बैठ गया। खीझके मारे प्रह्लाद उसे बुरी तरह पीटने लगा, संयोगवश उसी समय पासकी सड़कसे शहरके एक विख्यात मठके महन्तजी हाथीपर बैठे गुजर रहे थे, उनकी दृष्टि प्रह्लाद और बैलपर पड़ी तो वे जोरसे चिल्लाकर बोले— 'भैया, उस बैलको मत मारो, रुको मैं आता हूँ।'
कुछ भयभीत, कुछ असमंजसमें प्रह्लादने हल खोल दिया। महन्तजी हाथीके हौदेसे उतरकर आये। आश्चर्यचकित रह गया प्रह्लाद। महन्तजीने बैलको सादर प्रणाम किया, फिर उसके कानमें कुछ कहा। बस, फिर क्या था, बैल तो बिजलीकी गतिसे उठ गया और
चलनेको भी तत्पर !
सीधे-साधे प्रह्लादने महन्तजीको भूमिष्ठ होकर प्रणाम किया और कहा-बाबा। यह मन्त्र मुझे भी बता दो। कई गरियाल निठल्ले बैल हैं।
पर प्रह्लादने देखा महन्तजीकी आँखोंमें आँसू हैं. और वे बड़े दुखी भी, बोले- बेटा! यह कोई मन्त्र नहींहै, यह तो 'ऋणानुबन्ध' है।
कुछ न समझा प्रह्लाद, बोला-क्या होता है बाबा! ऋणानुबन्ध ? बेटा! ये बड़ा कठिन है, जिसका लिया है, उसका किसी भी रूपमें चुकाना ही पड़ता है। पूर्वजन्मकी बात है, तुम ऐसे ही किसान थे और ये बैल-तुम्हारे गाँवके एक मठके महन्तजी, बड़ा आदर था इनका पूरा गाँव पूजता था। तुम्हारे एक बेटी थी और थोड़ी खेती, जब कभी तुम्हारे पास कुछ बचता-दो-चार-दस रुपये, तुम महन्तजीके पास रख देते, जब बेटीकी शादी होगी, काम आयेंगे।
धीरे-धीरे करके लड़की भी सयानी हो गयी और रकम भी ज्यादा।
बिटियाका रिश्ताकर तुम निश्चिन्त होकर महन्तजीके पास पहुँचे और बोले, 'बाबा! मेरा पैसा लौटा दो, मैंने बड़े अच्छे घर और वरसे बेटीका रिश्ता तय कर दिया है।'
हाय कुछ काल-कुछ दैव, रकमने महन्तजीकी नीयत खराब कर दी। वे तैशमें आकर बोले- कौनसे पैसे, काहेके पैसे?
प्रतिष्ठित महन्तजीकी बातसे सारा गाँव सहमत था- इतने पैसे गरीब किसानके पास आये ही कहाँसे ? फिर महन्तजी और बेईमानी! ना-ना !
समय कब रुकता है। तुम फिर किसान हो, बेईमानीने महन्तजीको बैल बना दिया है। गद्दीपर बैठकर माल छाननेका संस्कार उन्हें मेहनत करने नहीं देता बार-बार बैठ जाते हैं, गालियाँ और मार खाते हैं। जिसका लिया है, उसका देना तो है ही, यह प्रकृतिका कभी न बदलनेवाला नियम है, चाहे राजी खुशी दो, चाहे मार खाकर यही ऋणानुबन्ध है। यही कर्म सिद्धान्त है, मैंने वही उनके कानमें कहा कि महन्तजी ! चुकाना तो है ही, फिर अपमान और मार सहकर क्यों ? राजी-खुशी चुका दो और ऋणमुक्त होकर फिर भगवान्‌का भजन करो। उन्हें स्मरण भी हो आया है और समझ भी आ गयी। अब वे शायद कभी न बैठें, जबतक
चुकता न चुक जाय ।



You may also like these:

हिन्दी कहानी समताका भाव
आध्यात्मिक कथा सत्य-पालन
छोटी सी कहानी मोहमें दुःख
आध्यात्मिक कहानी बोध-सूक्ति- पीयूष
हिन्दी कहानी प्रतिभाकी पहचान
शिक्षदायक कहानी पापका परिणाम - दारुण रोग
आध्यात्मिक कथा परमात्माकी मृत्यु


rinaanubandha

rinaanubandha

jab shaharee log vaataanukoolit kakshon ya koolaramen baithe ada़taalees digree ho gaye taapakram aur global vaarmingapar bahas kar rahe hote hain, tab gaanvaka kisaan chilachilaatee dhoopamen khetakee jutaaeekar beej boneke liye taiyaaree kar raha hota hai.
maalavaake ek chhotese gaanvaka kisaan prahlaad, is baar kuchh jyaada hee utsaahit tha, pichhale varsh theek buaaeeke samay ek bail mar jaanese usaka saara saal kharaab ho gaya thaa. is baar vah saahookaarase vyaajapar paise lekar ek bada़a sundar, pusht aur naujavaan bail lekar aaya tha, par jaisee lokamen kahaavat hai 'bovaatee kaee vhe katee ne dhaan gharai aai jaae jab jaano ki aapano .' (buaaee karanese hee naheen, dhaan katakar ghar a jaay, tab jaaniye ki apana hai).
prahlaadaka bhee shaayad durbhaagy hee tha ki sundar aur pusht bail thoda़ee door chalakar phir baith jaata, uthaaye n uthataa. seedhaa-saadha prahlaad n chaahakar bhee use peetataa. aakhir buaaee karana usake aur usake parivaarake jeevana-maranaka prashn thaa
ek din kathin dopaharamen jab jeth tap raha tha, prahlaad khetamen hal chala raha thaa; aadatase majaboor bail baith gayaa. kheejhake maare prahlaad use buree tarah peetane laga, sanyogavash usee samay paasakee sada़kase shaharake ek vikhyaat mathake mahantajee haatheepar baithe gujar rahe the, unakee drishti prahlaad aur bailapar pada़ee to ve jorase chillaakar bole— 'bhaiya, us bailako mat maaro, ruko main aata hoon.'
kuchh bhayabheet, kuchh asamanjasamen prahlaadane hal khol diyaa. mahantajee haatheeke haudese utarakar aaye. aashcharyachakit rah gaya prahlaada. mahantajeene bailako saadar pranaam kiya, phir usake kaanamen kuchh kahaa. bas, phir kya tha, bail to bijaleekee gatise uth gaya aura
chalaneko bhee tatpar !
seedhe-saadhe prahlaadane mahantajeeko bhoomishth hokar pranaam kiya aur kahaa-baabaa. yah mantr mujhe bhee bata do. kaee gariyaal nithalle bail hain.
par prahlaadane dekha mahantajeekee aankhonmen aansoo hain. aur ve bada़e dukhee bhee, bole- betaa! yah koee mantr naheenhai, yah to 'rinaanubandha' hai.
kuchh n samajha prahlaad, bolaa-kya hota hai baabaa! rinaanubandh ? betaa! ye bada़a kathin hai, jisaka liya hai, usaka kisee bhee roopamen chukaana hee pada़ta hai. poorvajanmakee baat hai, tum aise hee kisaan the aur ye baila-tumhaare gaanvake ek mathake mahantajee, bada़a aadar tha inaka poora gaanv poojata thaa. tumhaare ek betee thee aur thoda़ee khetee, jab kabhee tumhaare paas kuchh bachataa-do-chaara-das rupaye, tum mahantajeeke paas rakh dete, jab beteekee shaadee hogee, kaam aayenge.
dheere-dheere karake lada़kee bhee sayaanee ho gayee aur rakam bhee jyaadaa.
bitiyaaka rishtaakar tum nishchint hokar mahantajeeke paas pahunche aur bole, 'baabaa! mera paisa lauta do, mainne bada़e achchhe ghar aur varase beteeka rishta tay kar diya hai.'
haay kuchh kaala-kuchh daiv, rakamane mahantajeekee neeyat kharaab kar dee. ve taishamen aakar bole- kaunase paise, kaaheke paise?
pratishthit mahantajeekee baatase saara gaanv sahamat thaa- itane paise gareeb kisaanake paas aaye hee kahaanse ? phir mahantajee aur beeemaanee! naa-na !
samay kab rukata hai. tum phir kisaan ho, beeemaaneene mahantajeeko bail bana diya hai. gaddeepar baithakar maal chhaananeka sanskaar unhen mehanat karane naheen deta baara-baar baith jaate hain, gaaliyaan aur maar khaate hain. jisaka liya hai, usaka dena to hai hee, yah prakritika kabhee n badalanevaala niyam hai, chaahe raajee khushee do, chaahe maar khaakar yahee rinaanubandh hai. yahee karm siddhaant hai, mainne vahee unake kaanamen kaha ki mahantajee ! chukaana to hai hee, phir apamaan aur maar sahakar kyon ? raajee-khushee chuka do aur rinamukt hokar phir bhagavaan‌ka bhajan karo. unhen smaran bhee ho aaya hai aur samajh bhee a gayee. ab ve shaayad kabhee n baithen, jabataka
chukata n chuk jaay .

182 Views





Bhajan Lyrics View All

मेरी रसना से राधा राधा नाम निकले,
हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
सत्यम शिवम सुन्दरम
सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
सब के संकट दूर करेगी, यह बरसाने वाली,
बजाओ राधा नाम की ताली ।
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
मेरा यार यशुदा कुंवर हो चूका है
वो दिल हो चूका है जिगर हो चूका है
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
राधे राधे बोल, राधे राधे बोल,
बरसाने मे दोल, के मुख से राधे राधे बोल,
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
मेरा आपकी कृपा से,
सब काम हो रहा है
रंगीलो राधावल्लभ लाल, जै जै जै श्री
विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री
मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
कान्हा की दीवानी बन जाउंगी,
दीवानी बन जाउंगी मस्तानी बन जाउंगी,
सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
गोवर्धन वासी सांवरे, गोवर्धन वासी
तुम बिन रह्यो न जाय, गोवर्धन वासी
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई

New Bhajan Lyrics View All

हे केवट तुम उतराई लो,
तूने गंगा पार उतारा है,
सुन माँ सुन,
माँ सुन ले विनती,
ॐ श्री साई, ॐ श्री साई, जय साई राम...
मेरे, मन में वस गयो, श्याम लला, श्याम
भाए, कैसे कोई अब, और भला
तेरा छड्ड के द्वारा जोगी चल्ले,
तू सांभ माये घर अपना,