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अनन्त इच्छाएँ ही ईशकृपामें बाधक  [प्रेरक कहानी]
हिन्दी कहानी - बोध कथा (Hindi Story)

(4)

अनन्त इच्छाएँ ही ईशकृपामें बाधक

एक फकीरके पास एक नौजवान शागिर्द (शिष्य) बननेके ख्यालसे उपस्थित हुआ। फकीर उसके साथ पानी भरनेके लिये एक बाल्टी और घड़ा लेकर कुएँपर गये। उनके हाथमें जो घड़ा था, उसे जमीनपर टिकाकर वे बाल्टी भर-भरकर पानी उसमें डालने लगे। कई बाल्टी पानी डालनेपर भी जब घड़ेमें पानी भरनेका कोई लक्षण नहीं दीखा, तब उस नौजवानसे नहीं रहा गया और उसने घड़ा उठाकर देखा उस घड़े में एक बड़ा-सा छेद था। उसने फकीरको रोका और घड़ेकी हकीकत बताने लगा। फकीर हँसा और बोला- सभी लोग यही तो कर रहे हैं। बेशुमार ख्वाहिशोंके छेदवाले घड़ोंमें अल्लाहके रहमो करमका पानी भरना चाहते हैं, और घड़ा है कि भरता ही नहीं।



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