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सफलताका रहस्य  [Hindi Story]
Moral Story - छोटी सी कहानी (शिक्षदायक कहानी)

सफलताका रहस्य

महाभारतके घमासान युद्धमें गुरु द्रोणाचार्य और अर्जुन आमने-सामने डटे हुए थे। गुरु द्रोणके शक्तिशाली बाणोंको अर्जुन बीचमें ही काट देते थे, जबकि अर्जुनके बाणोंसे गुरु द्रोणाचार्य घायल होते जा रहे थे।
अर्जुनकी शक्ति देख दुर्योधनने द्रोणाचार्यसे पूछा 'क्या कारण है कि युद्धमें गुरु हारता जा रहा है और शिष्य जीत रहा है?' गुरु द्रोणने उसे समझाते हुए कहा- लम्बा समय राजघरानेकी सुविधाएँ भोगने में लगा दिया। मेरी शक्ति अभ्यास न करनेसे क्षीण हो गयी है, जबकि अर्जुन इस बीच निरन्तर कठिनाइयोंसे जूझता रहा है। उसके अभ्यासने उसकी शक्तिको बढ़ा दिया है। सुविधासम्पन्न व्यक्ति अपनी शक्ति गवाँ देता है, पर तपस्यासे निरन्तर शक्ति बढ़ती जाती है। संघर्षों और चुनौतियोंका सामना करनेवाला निरन्तर गतिशील रहता है। अर्जुनकी सफलताका यही रहस्य है।'



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saphalataaka rahasya

saphalataaka rahasya

mahaabhaaratake ghamaasaan yuddhamen guru dronaachaary aur arjun aamane-saamane date hue the. guru dronake shaktishaalee baanonko arjun beechamen hee kaat dete the, jabaki arjunake baanonse guru dronaachaary ghaayal hote ja rahe the.
arjunakee shakti dekh duryodhanane dronaachaaryase poochha 'kya kaaran hai ki yuddhamen guru haarata ja raha hai aur shishy jeet raha hai?' guru dronane use samajhaate hue kahaa- lamba samay raajagharaanekee suvidhaaen bhogane men laga diyaa. meree shakti abhyaas n karanese ksheen ho gayee hai, jabaki arjun is beech nirantar kathinaaiyonse joojhata raha hai. usake abhyaasane usakee shaktiko badha़a diya hai. suvidhaasampann vyakti apanee shakti gavaan deta hai, par tapasyaase nirantar shakti badha़tee jaatee hai. sangharshon aur chunautiyonka saamana karanevaala nirantar gatisheel rahata hai. arjunakee saphalataaka yahee rahasy hai.'

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