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वात्सल्यवती वृद्धा  [Moral Story]
Spiritual Story - हिन्दी कथा (आध्यात्मिक कथा)

एक भक्तिमती वृद्धा श्रीराधाके बालरूपका ध्यान कर रही थी। ध्यानमें श्रीराधाने काजल न लगवानेका हट पकड़ लिया। वह भाँति-भाँति उसको फुसला रही थी। वह कह रही थी कि 'तू काजल लगाये बिना कन्हैयासे खेलने जायगी तो वह तेरी हँसीउड़ायेगा।' यह कहकर वह काजल लगानेकी कोशिश करने लगी। इससे काजल फैल गया और श्रीराधाकी आँखोंमें जल भर आया। यह देखकर वृद्धाने अपने आँचलसे उनको पोंछ दिया। जब उसकी आँखें खुलीं तब उसने देखा कि उसके आँचलमें श्रीराधाके दिव्यअश्रुओंसे सिञ्चित काजल लगा है। वह यह देखकर गद्गद हो गयी और अपने प्रति श्रीराधाकी कृपा देखकर आत्म-विस्मृत हो गयी। उसके नयनोंसे अविरल प्रेमाश्रुबहने लगे। कहते हैं कि वह दिव्य कज्जल वृद्धाके आँचलमें दस-बारह घंटेतक रहा। तदनन्तर वह स्वयमेव अन्तर्हित हो गया।



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vaatsalyavatee vriddhaa

ek bhaktimatee vriddha shreeraadhaake baalaroopaka dhyaan kar rahee thee. dhyaanamen shreeraadhaane kaajal n lagavaaneka hat pakada़ liyaa. vah bhaanti-bhaanti usako phusala rahee thee. vah kah rahee thee ki 'too kaajal lagaaye bina kanhaiyaase khelane jaayagee to vah teree hanseeuda़aayegaa.' yah kahakar vah kaajal lagaanekee koshish karane lagee. isase kaajal phail gaya aur shreeraadhaakee aankhonmen jal bhar aayaa. yah dekhakar vriddhaane apane aanchalase unako ponchh diyaa. jab usakee aankhen khuleen tab usane dekha ki usake aanchalamen shreeraadhaake divyaashruonse sinchit kaajal laga hai. vah yah dekhakar gadgad ho gayee aur apane prati shreeraadhaakee kripa dekhakar aatma-vismrit ho gayee. usake nayanonse aviral premaashrubahane lage. kahate hain ki vah divy kajjal vriddhaake aanchalamen dasa-baarah ghantetak rahaa. tadanantar vah svayamev antarhit ho gayaa.

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दुखियाँ नू सता के की लैणा
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लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
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बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
हम हाथ उठाकर कह देंगे हम हो गये राधा
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सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
सांवरिया है सेठ ,मेरी राधा जी सेठानी
यह तो सारी दुनिया जाने है
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
लाली की सुनके मैं आयी
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शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
मेरी विनती यही है राधा रानी, कृपा
मुझे तेरा ही सहारा महारानी, चरणों से
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने होगा कब हमें दीदार आपका
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
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मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
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