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शरणागत-रक्षा  [Story To Read]
आध्यात्मिक कहानी - Wisdom Story (हिन्दी कथा)

बादशाह अलाउद्दीनके दरबार में एक मंगोल सरदार था। बादशाह उसकी शूरता तथा ईमानदारीसे बहुत संतुष्ट थे; किंतु निरंकुश लोगोंकी समीपता प्रायः भयप्रद होती है। वह सरदार बादशाहका मुँहलगा हो गया था। एक दिन उससे कोई साधारण भूल हो गयी; किंतु बादशाह इतने अप्रसन्न हो गये कि उन्होंने उस सरदारको प्राणदण्डकी आज्ञा दे दी। सरदार किसी प्रकार दिल्लीसे बचकर निकल भागा। परंतु बादशाहके अपराधीको शरण देकर विपत्ति कौन मोल ले ? अनेक स्थानोंपर भटकनेपर भी किसीने उसे अपने यहाँ रहने नहीं दिया। विपत्तिका मारा सरदार रणथम्भौर पहुँचा। वहाँ उस समय सिंहासनपर थे राणा हमीर। उन्होंने उस यवन सरदारका स्वागत किया और कहा-'शरणागतकी रक्षा राजपूतका प्रथम कर्तव्य है। अतः आप यहाँ सुखपूर्वक निवास करें।'

उधर दिल्ली समाचार पहुँचा तो अलाउद्दीन क्रोधसे तिलमिला उठा। उसने संदेश भेजा—'राज्यके अपराधीको शरण देना तख्तकी तौहीन करना है। हमारा कैदी हमें दे दो, नहीं तो ईंट से ईंट बजा दी जायगी।'

राणा हमीरने उस दूतको यह उत्तर देकर लौटा दिया- 'एक आर्त मनुष्य प्राणरक्षाकी पुकार करता राजपूतके पास आयेगा तो राजपूत उसे शरण नहीं देगा, ऐसा हो नहीं सकता। हमने अपने धर्मका पालन किया। है। राज्यके विनाश या प्राणके भयसे हम शरणागतका त्याग नहीं करेंगे।'

कुछ सरदारोंने राणाको समझाया भी 'बादशाहसे शत्रुता मोल लेना उचित नहीं। यह मंगोल सरदार भी मुसलमान ही है। यह अन्तमें अपने लोगों में मिल जायगा। आप जान-बूझकर विनाशको क्यों आमन्त्रित करते हैं।'

परंतु राणा हमीरका निश्चय अटल था। उन्होंने स्पष्ट कह दिया- 'शरणागत कौन है, किस धर्म या जातिका है, उसने क्या किया है आदि देखना मेरा काम नहीं है। मैं लोभ या भयसे अपने कर्तव्यका त्याग नहीं करूँगा।'राणाका उत्तर दिल्ली पहुँचते ही बादशाहने रणथम्भौरपर चढ़ाई करनेके लिये सेना भेज दो; किंतु रणथम्भौरका दुर्ग कोई खिलौना नहीं था, जिसे खेल खेलमें ढहा दिया जाता शाही सेनाके छक्के छूट गये। बार-बारके आक्रमणोंमें सदा उसे मुँहकी खानी पड़ी। अन्तमें दुर्गपर घेरा डालकर शाही सेना जम गयी। पूरे पाँच वर्षतक शाही सेना रणथम्भौरको घेरे पड़ी रही।

इस पाँच वर्षके दीर्घकालमें दोनों पक्षोंकी भारी क्षति हुई। सैकड़ों सैनिक मारे गये; किंतु शाही सेनाको बराबर सहायता मिलती गयी। उधर रणथम्भौरके दुर्गमें सैनिक घटते गये, भोजन समाप्त हो गया। उपवास करके कबतक युद्ध चलता। उस मंगोल सरदारने राणासे प्रार्थना की- महाराज! आपने मेरे लिये जो कष्ट उठाया, जो हानि सही, उसे मैं कभी भूल नहीं सकता लेकिन मेरे लिये पूरे राज्यका विनाश अब मुझसे देखा नहीं जाता। मैं अपने-आप अलाउद्दीनके पास चला जाता हूँ।'

राणा हमीरने कहा- 'आप ऐसी बात मुखसे फिर न निकालें। एक राजपूतने आपको शरण दी है। जबतक मैं जीवित हूँ, अलाउद्दीनके पास आपको नहीं जाने दूँगा।"

दुर्गमें अन्न समाप्त हो जानेपर जब दूसरा कोई उपाय नहीं रहा तो एक भारी चिता बनायी गयी। सब नारियाँ प्रसन्नतापूर्वक चिताकी लपटोंमें कूदकर सती हो गयीं। सब पुरुषोंने केसरिया वस्त्र पहने और दुर्गका द्वार खोलकर वे निकल पड़े। युद्ध करते हुए वे शूर मारे गये। राणा हमीरने मृत्युके अन्तिम क्षणतक उस सरदारकी रक्षा की। वह सरदार भी राणाके पक्षमें युद्ध करते हुए पकड़ा गया। अलाउद्दीनके सामने जब वही बंदी बनाकर उपस्थित किया गया, तब बादशाहने उससे पूछा-'तुम्हें छोड़ दिया जाय तो क्या करोगे ?'

सरदारने निर्भीकतापूर्वक कहा-' हमीरको संतानको दिल्लीके तख्तपर बैठानेके लिये जिंदगीभर तुमसे लड़ता रहूँगा।' इतना उदार नहीं था अलाउद्दीन कि उस शूरको क्षमा कर दे। उसने उसे मरवा डाला।

-सु0 सिं0



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sharanaagata-rakshaa

baadashaah alaauddeenake darabaar men ek mangol saradaar thaa. baadashaah usakee shoorata tatha eemaanadaareese bahut santusht the; kintu nirankush logonkee sameepata praayah bhayaprad hotee hai. vah saradaar baadashaahaka munhalaga ho gaya thaa. ek din usase koee saadhaaran bhool ho gayee; kintu baadashaah itane aprasann ho gaye ki unhonne us saradaarako praanadandakee aajna de dee. saradaar kisee prakaar dilleese bachakar nikal bhaagaa. parantu baadashaahake aparaadheeko sharan dekar vipatti kaun mol le ? anek sthaanonpar bhatakanepar bhee kiseene use apane yahaan rahane naheen diyaa. vipattika maara saradaar ranathambhaur pahunchaa. vahaan us samay sinhaasanapar the raana hameera. unhonne us yavan saradaaraka svaagat kiya aur kahaa-'sharanaagatakee raksha raajapootaka pratham kartavy hai. atah aap yahaan sukhapoorvak nivaas karen.'

udhar dillee samaachaar pahuncha to alaauddeen krodhase tilamila uthaa. usane sandesh bhejaa—'raajyake aparaadheeko sharan dena takhtakee tauheen karana hai. hamaara kaidee hamen de do, naheen to eent se eent baja dee jaayagee.'

raana hameerane us dootako yah uttar dekar lauta diyaa- 'ek aart manushy praanarakshaakee pukaar karata raajapootake paas aayega to raajapoot use sharan naheen dega, aisa ho naheen sakataa. hamane apane dharmaka paalan kiyaa. hai. raajyake vinaash ya praanake bhayase ham sharanaagataka tyaag naheen karenge.'

kuchh saradaaronne raanaako samajhaaya bhee 'baadashaahase shatruta mol lena uchit naheen. yah mangol saradaar bhee musalamaan hee hai. yah antamen apane logon men mil jaayagaa. aap jaana-boojhakar vinaashako kyon aamantrit karate hain.'

parantu raana hameeraka nishchay atal thaa. unhonne spasht kah diyaa- 'sharanaagat kaun hai, kis dharm ya jaatika hai, usane kya kiya hai aadi dekhana mera kaam naheen hai. main lobh ya bhayase apane kartavyaka tyaag naheen karoongaa.'raanaaka uttar dillee pahunchate hee baadashaahane ranathambhaurapar chadha़aaee karaneke liye sena bhej do; kintu ranathambhauraka durg koee khilauna naheen tha, jise khel khelamen dhaha diya jaata shaahee senaake chhakke chhoot gaye. baara-baarake aakramanonmen sada use munhakee khaanee pada़ee. antamen durgapar ghera daalakar shaahee sena jam gayee. poore paanch varshatak shaahee sena ranathambhaurako ghere pada़ee rahee.

is paanch varshake deerghakaalamen donon pakshonkee bhaaree kshati huee. saikada़on sainik maare gaye; kintu shaahee senaako baraabar sahaayata milatee gayee. udhar ranathambhaurake durgamen sainik ghatate gaye, bhojan samaapt ho gayaa. upavaas karake kabatak yuddh chalataa. us mangol saradaarane raanaase praarthana kee- mahaaraaja! aapane mere liye jo kasht uthaaya, jo haani sahee, use main kabhee bhool naheen sakata lekin mere liye poore raajyaka vinaash ab mujhase dekha naheen jaataa. main apane-aap alaauddeenake paas chala jaata hoon.'

raana hameerane kahaa- 'aap aisee baat mukhase phir n nikaalen. ek raajapootane aapako sharan dee hai. jabatak main jeevit hoon, alaauddeenake paas aapako naheen jaane doongaa."

durgamen ann samaapt ho jaanepar jab doosara koee upaay naheen raha to ek bhaaree chita banaayee gayee. sab naariyaan prasannataapoorvak chitaakee lapatonmen koodakar satee ho gayeen. sab purushonne kesariya vastr pahane aur durgaka dvaar kholakar ve nikal pada़e. yuddh karate hue ve shoor maare gaye. raana hameerane mrityuke antim kshanatak us saradaarakee raksha kee. vah saradaar bhee raanaake pakshamen yuddh karate hue pakada़a gayaa. alaauddeenake saamane jab vahee bandee banaakar upasthit kiya gaya, tab baadashaahane usase poochhaa-'tumhen chhoda़ diya jaay to kya karoge ?'

saradaarane nirbheekataapoorvak kahaa-' hameerako santaanako dilleeke takhtapar baithaaneke liye jindageebhar tumase lada़ta rahoongaa.' itana udaar naheen tha alaauddeen ki us shoorako kshama kar de. usane use marava daalaa.

-su0 sin0

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