⮪ All Stories / कथा / कहानियाँ

शिक्षक होनेका अर्थ  [Shikshaprad Kahani]
आध्यात्मिक कहानी - Moral Story (आध्यात्मिक कहानी)

शिक्षक होनेका अर्थ

एक छोटेसे शहरके एक प्राथमिक स्कूलमें कक्षा पाँचकी एक शिक्षिका थीं। उनकी एक आदत थी कि वह कक्षा शुरू करनेसे पहले हमेशा 'आई लव यू ऑल' बोला करतीं। मगर वह जानती थीं कि वह सच नहीं बोल रही हैं। वह कक्षाके सभी बच्चोंसे उतना प्यार नहीं करती थीं। कक्षामें एक ऐसा बच्चा था, जो उनको एक आँख नहीं भाता। उसका नाम राजू था। राजू मैली कुचैली स्थितिमें स्कूल आया-जाया करता। उसके बाल खराब, जूतोंके फीते खुले, शर्टके कॉलरपर मैलके निशान होते। शिक्षिका जब पढ़ातीं तो उस दौरान भी उसका ध्यान कहीं और होता।
उनके डाँटनेपर वह चौंककर उन्हें देखने तो लग जाता" मगर उसकी खाली-खाली नजरोंसे उन्हें साफ पता लगता रहता कि राजू शारीरिक रूपसे कक्षामें उपस्थित होनेके बावजूद मानसिक रूपसे गायब है। धीरे धीरे शिक्षिकाको राजूसे नफरत सी होने लगी। क्लासमें घुसते ही राजू उनकी आलोचनाका निशाना बनने लगता । सभी बुराइयोंके उदाहरण राजूके नामपर दिये जाते। बच्चे उसपर खिलखिलाकर हँसते और शिक्षिका महोदया उसको अपमानित करके सन्तोष प्राप्त करतीं। राजूने हालाँकि किसी बातका कभी कोई जवाब नहीं दिया था।।
शिक्षिकाको वह एक बेजान पत्थरकी तरह लगता, जिसके अन्दर अहसास नामकी कोई चीज नहीं थी । प्रत्येक डाँट, व्यंग्य और सजाके जवाबमें वह बस अपनी भावनाओंसे खाली नजरोंसे उन्हें देखा करता और सिर झुका लेता। शिक्षिकाको अब उससे गम्भीर चिढ़ हो चुकी थी। पहला सेमेस्टर समाप्त हो गया और रिपोर्ट बनानेका समय आया तो उन्होंने राजूकी प्रगति रिपोर्टमें सब बुरी बातें लिख डालीं। प्रगति रिपोर्ट माता-पिताको दिखानेसे पहले हेड मिस्ट्रेसके पास जाया करती थी। उन्होंने जब राजूकी रिपोर्ट देखी तो शिक्षिकाको बुलाया और कहा - 'मिस ! प्रगति रिपोर्टमें कुछ तो प्रगति भी लिखनी चाहिये। आपने तो जो कुछ लिखा है, इससे राजूके पिता इससे बिलकुल निराश हो जायँगे।'
'मैं माफी माँगती हूँ, लेकिन राजू एक बिलकुल
ही अशिष्ट और निकम्मा बच्चा है। मुझे नहीं लगता कि मैं उसकी प्रगति के बारेमें कुछ लिख सकती हूँ', वे घृणित लहजे में बोलकर वहाँसे उठ आयीं।
हेड मिस्ट्रेसने चपरासीके हाथ शिक्षिकाकी डेस्कपर राजूकी पिछले वर्षोंकी प्रगति रिपोर्ट रखवा दी। अगले दिन उन्होंने कक्षामें प्रवेश किया तो रिपोर्टपर नजर पड़ी। | पलटकर देखा तो पता लगा कि यह राजूकी रिपोर्ट है। 'पिछली कक्षाओंमें भी उसने निश्चय ही यही गुल खिलाये होंगे।' उन्होंने सोचा और कक्षा तीन की रिपोर्ट खोली। रिपोर्टमें टिप्पणी पढ़कर उनके आश्चर्यकी कोई सीमा न रही, जब उन्होंने देखा कि रिपोर्ट उसकी तारीफोंसे भरी पड़ी है। 'राजू-जैसा बुद्धिमान् बच्चा मैंने आजतक नहीं देखा।''बेहद संवेदनशील बच्चा है, वह अपने मित्रों और शिक्षकोंसे बेहद लगाव रखता है।" अन्तिम सेमेस्टर में भी राजूने प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया है।'
शिक्षिकाने आश्चर्यको स्थितिमें कक्षा चारको रिपोर्ट खोली। 'राजूके मनपर अपनी माँकी बीमारीका बेहद प्रभाव पड़ा है। उसका ध्यान पढ़ाईसे हट रहा है। 'राजूकी माँको अन्तिम चरणका कैंसर हुआ है। घरपर उसका और कोई ध्यान रखनेवाला नहीं है, जिसका गहरा प्रभाव उसकी पढ़ाईपर पड़ा है।' 'राजूकी माँ मर चुकी है और इसके साथ ही राजूके जीवनकी चमक और रौनक भी। उसे बचाना होगा इससे पहले कि बहुत देर हो जाय।'
यह पढ़कर मिसके दिमागपर भयानक बोझ हावी हो गया। काँपते हाथोंसे उन्होंने प्रगति रिपोर्ट बन्द को, आँसू उनकी आँखोंसे एकके बाद एक गिरने लगे।
उस दिन जब वे कक्षामें दाखिल हुई तो उन्होंने अपनी आदतके अनुसार अपना पारम्परिक वाक्यांश 'आई लव यू ऑल' दोहराया। मगर वह जानती थीं कि वह आज भी झूठ बोल रही हैं; क्योंकि इसी क्लॉसमें बैठे एक उलझे बालोंवाले बच्चे राजूके लिये जो प्यार वह आज अपने दिलमें महसूस कर रही थीं वह कक्षामें बैठे और किसी भी बच्चेसे हो ही नहीं सकता था। पढ़ाते समय उन्होंने प्रतिदिनकी भाँति सवाल राजूपर दागा और हमेशा की तरह राजूने सिर झुका लिया। जब कुछ देर तक शिक्षिकासे कोई डाँट फटकार और सहपाठियोंसे हँसीकी आवाज उसके कानोंमें न पड़ी तो उसने अचम्भे में सिर उठाकर उनकी ओर देखा। उसे अप्रत्याशित लगा। उनके माथेपर आज बल न थे, वह मुसकरा रही थीं। उन्होंने राजूको अपने पास बुलाया और उसे सवालका जवाब बताकर जबरन लिये कहा। राजू तीन बार बारके आग्रहके बाद अन्ततः बोल ही पड़ा। उसके जवाब देते ही मिसने न सिर्फ खुद खुशीके अन्दाजमें तालियाँ बजायीं बल्कि सभीसे बजवायीं ।
फिर तो यह दिनचर्या बन गयी। मिस हर सवालका जवाब अपने-आप बतातीं और फिर उसकी खूब सराहना और तारीफ करतीं। प्रत्येक अच्छा उदाहरण राजूके नामपर दिया जाने लगा। धीरे-धीरे पुराना राजू सन्नाटेकी कब्र फाड़कर बाहर आ गया। अब मिसको सवालके साथ जवाब बताने की जरूरत नहीं पड़ती। वह रोज बिना त्रुटिके उत्तर देकर सभीको प्रभावित करता और नये-नये सवाल पूछकर सबको हैरान भी करता।
उसके बाल अब कुछ हदतक सुधरे हुए होते, कपड़े भी काफी हदतक साफ होते, जिन्हें शायद वह खुद धोने लगा था। देखते-ही-देखते साल समाप्त हो गया और राजूने दूसरा स्थान हासिल कर लिया यानी | वह दूसरी क्लॉस और दूसरे स्कूलमें जानेके लिये क्वालीफाई हो गया था।
विदाई समारोहमें सभी बच्चे शिक्षिकाके लिये सुन्दर उपहार लेकर आये और उनकी टेबलपर उपहारोंके ढेर लग गये। इन खूबसूरतीसे पैक हुए उपहारकि बीच एक पुराने अखवारमें बदसलीके से पैक किया हुआ एक उपहार भी पड़ा था। बच्चे उसे देखकर हँस पड़े। किसीको जाननेमें देर न लगी कि उपहारके नामपर राजू ये लाया होगा। शिक्षिकाने उपहारके इस छोटेसे पहाड़मेंसे लपककर उसे निकाला। खोलकर देखा तो उसके अन्दर एक महिलाकी इनकी आधी इस्तेमाल की हुई शोशी और एक हाथमें पहननेवाला एक बड़ा-सा कड़ा था, जिसके ज्यादातर मोती झड़ चुके थे। उन्होंने चुपचाप इस इत्रको खुदपर छिड़का और हाथमें कंगन पहन लिया। बच्चे यह दृश्य देखकर हैरान रह गये। खुद राजू भी। आखिर राजूसे रहा न गया और वह उनके पास आकर खड़ा हो गया। कुछ देर बाद उसने अटक-अटककर उन्हें बताया कि 'आज आपमेंसे मेरी माँ जैसी खुशबू आ रही है।'
समय पर लगाकर उड़ने लगा। दिन सप्ताह, सप्ताह महीने और महीने सालमें बदलते भला कहाँ देर लगती है? मगर हर सालके अन्तमें शिक्षिकाको राजूसे एक पत्र नियमित रूपसे प्राप्त होता, जिसमें लिखा होता कि 'इस साल कई नये टीचर्स से मिला। मगर आप जैसा कोई नहीं था।' फिर राजूका स्कूल समाप्त हो गया और पत्रोंका सिलसिला भी। कई साल आगे गुजरे और वे रिटायर हो गयीं।
एक दिन उन्हें अपनी मेलमें राजूका पत्र मिला, जिसमें लिखा था।' इस महीनेके अन्तमें मेरी शादी है और आपके आये बिना शादी करनेकी बात मैं नहीं सोच सकता। एक और बात मैं जीवनमें बहुत सारे लोगोंसे मिल चुका हूँ। आप जैसा कोई नहीं है डॉक्टर राजू।' साथ ही विमानका आने-जानेका टिकट भी लिफाफेमें मौजूद था। वे खुदको हरगिज न रोक सकती थीं। उन्होंने अपने पतिसे अनुमति ली और वह दूसरे शहरके लिये रवाना हो गयीं।.
शादी के दिन जब वे शादीकी जगह पहुँची तो थोड़ी लेट हो चुकी थीं। उन्हें लगा कि समारोह समाप्त हो चुका होगा मगर यह देखकर उनके आश्चर्यकी सीमा न रही कि शहरके बड़े-बड़े डॉक्टर, बिजनेसमैन और यहाँतक कि वहाँपर शादी करानेवाले पण्डितजी भी थक गये थे कि | आखिर कौन आना बाकी है मगर राजू समारोहमें शादीके मण्डपके बजाय गेटकी तरफ टकटकी लगाये उनके आनेका इन्तजार कर रहा था। फिर सबने देखा कि जैसे ही इन पुरानी शिक्षिकाने गेटसे प्रवेश किया, राजू उनकी ओर लपका और उनका वह हाथ पकड़ा, जिसमें उन्होंने अबतक वह मामूली सा कंगन पहना हुआ था और उन्हें सीधा मंचपर ले गया। माइक हाथमें पकड़कर वह कुछ यूँ बोला 'दोस्तो! आप सभी हमेशा मुझसे मेरी माँके बारेमें पूछा करते थे और मैं आप सबसे वादा किया करता था कि जल्द ही आप सबको उनसे मिलवाऊँगा यह मेरी माँ हैं।'
वास्तवमें यह कहानी सिर्फ एक शिक्षक और एक शिष्यके रिश्तेकी नहीं है, अपने आसपास देखें, राजू जैसे कई फूल मुरझा रहे हैं, जिन्हें आपका जरा-सा ध्यान, प्यार और स्नेह नया जीवन दे सकता है।



You may also like these:

आध्यात्मिक कथा सबसे सुन्दर चित्र
बोध कथा सच्चा दान
आध्यात्मिक कथा दसवें तुम्हीं हो!
हिन्दी कहानी अनूठी विरक्ति
छोटी सी कहानी छाँड़ बिरानी आस
बोध कथा समयका मूल्य
हिन्दी कहानी श्रमकी महत्ता


shikshak honeka artha

shikshak honeka artha

ek chhotese shaharake ek praathamik skoolamen kaksha paanchakee ek shikshika theen. unakee ek aadat thee ki vah kaksha shuroo karanese pahale hamesha 'aaee lav yoo ऑla' bola karateen. magar vah jaanatee theen ki vah sach naheen bol rahee hain. vah kakshaake sabhee bachchonse utana pyaar naheen karatee theen. kakshaamen ek aisa bachcha tha, jo unako ek aankh naheen bhaataa. usaka naam raajoo thaa. raajoo mailee kuchailee sthitimen skool aayaa-jaaya karataa. usake baal kharaab, jootonke pheete khule, shartake kaॉlarapar mailake nishaan hote. shikshika jab padha़aateen to us dauraan bhee usaka dhyaan kaheen aur hotaa.
unake daantanepar vah chaunkakar unhen dekhane to lag jaataa" magar usakee khaalee-khaalee najaronse unhen saaph pata lagata rahata ki raajoo shaareerik roopase kakshaamen upasthit honeke baavajood maanasik roopase gaayab hai. dheere dheere shikshikaako raajoose napharat see hone lagee. klaasamen ghusate hee raajoo unakee aalochanaaka nishaana banane lagata . sabhee buraaiyonke udaaharan raajooke naamapar diye jaate. bachche usapar khilakhilaakar hansate aur shikshika mahodaya usako apamaanit karake santosh praapt karateen. raajoone haalaanki kisee baataka kabhee koee javaab naheen diya thaa..
shikshikaako vah ek bejaan pattharakee tarah lagata, jisake andar ahasaas naamakee koee cheej naheen thee . pratyek daant, vyangy aur sajaake javaabamen vah bas apanee bhaavanaaonse khaalee najaronse unhen dekha karata aur sir jhuka letaa. shikshikaako ab usase gambheer chidha़ ho chukee thee. pahala semestar samaapt ho gaya aur riport banaaneka samay aaya to unhonne raajookee pragati riportamen sab buree baaten likh daaleen. pragati riport maataa-pitaako dikhaanese pahale hed mistresake paas jaaya karatee thee. unhonne jab raajookee riport dekhee to shikshikaako bulaaya aur kaha - 'mis ! pragati riportamen kuchh to pragati bhee likhanee chaahiye. aapane to jo kuchh likha hai, isase raajooke pita isase bilakul niraash ho jaayange.'
'main maaphee maangatee hoon, lekin raajoo ek bilakula
hee ashisht aur nikamma bachcha hai. mujhe naheen lagata ki main usakee pragati ke baaremen kuchh likh sakatee hoon', ve ghrinit lahaje men bolakar vahaanse uth aayeen.
hed mistresane chaparaaseeke haath shikshikaakee deskapar raajookee pichhale varshonkee pragati riport rakhava dee. agale din unhonne kakshaamen pravesh kiya to riportapar najar pada़ee. | palatakar dekha to pata laga ki yah raajookee riport hai. 'pichhalee kakshaaonmen bhee usane nishchay hee yahee gul khilaaye honge.' unhonne socha aur kaksha teen kee riport kholee. riportamen tippanee padha़kar unake aashcharyakee koee seema n rahee, jab unhonne dekha ki riport usakee taareephonse bharee pada़ee hai. 'raajoo-jaisa buddhimaan bachcha mainne aajatak naheen dekhaa.''behad sanvedanasheel bachcha hai, vah apane mitron aur shikshakonse behad lagaav rakhata hai." antim semestar men bhee raajoone pratham sthaan praapt kar liya hai.'
shikshikaane aashcharyako sthitimen kaksha chaarako riport kholee. 'raajooke manapar apanee maankee beemaareeka behad prabhaav pada़a hai. usaka dhyaan padha़aaeese hat raha hai. 'raajookee maanko antim charanaka kainsar hua hai. gharapar usaka aur koee dhyaan rakhanevaala naheen hai, jisaka gahara prabhaav usakee padha़aaeepar pada़a hai.' 'raajookee maan mar chukee hai aur isake saath hee raajooke jeevanakee chamak aur raunak bhee. use bachaana hoga isase pahale ki bahut der ho jaaya.'
yah padha़kar misake dimaagapar bhayaanak bojh haavee ho gayaa. kaanpate haathonse unhonne pragati riport band ko, aansoo unakee aankhonse ekake baad ek girane lage.
us din jab ve kakshaamen daakhil huee to unhonne apanee aadatake anusaar apana paaramparik vaakyaansh 'aaee lav yoo ऑla' doharaayaa. magar vah jaanatee theen ki vah aaj bhee jhooth bol rahee hain; kyonki isee klaॉsamen baithe ek ulajhe baalonvaale bachche raajooke liye jo pyaar vah aaj apane dilamen mahasoos kar rahee theen vah kakshaamen baithe aur kisee bhee bachchese ho hee naheen sakata thaa. padha़aate samay unhonne pratidinakee bhaanti savaal raajoopar daaga aur hamesha kee tarah raajoone sir jhuka liyaa. jab kuchh der tak shikshikaase koee daant phatakaar aur sahapaathiyonse hanseekee aavaaj usake kaanonmen n pada़ee to usane achambhe men sir uthaakar unakee or dekhaa. use apratyaashit lagaa. unake maathepar aaj bal n the, vah musakara rahee theen. unhonne raajooko apane paas bulaaya aur use savaalaka javaab bataakar jabaran liye kahaa. raajoo teen baar baarake aagrahake baad antatah bol hee pada़aa. usake javaab dete hee misane n sirph khud khusheeke andaajamen taaliyaan bajaayeen balki sabheese bajavaayeen .
phir to yah dinacharya ban gayee. mis har savaalaka javaab apane-aap bataateen aur phir usakee khoob saraahana aur taareeph karateen. pratyek achchha udaaharan raajooke naamapar diya jaane lagaa. dheere-dheere puraana raajoo sannaatekee kabr phaada़kar baahar a gayaa. ab misako savaalake saath javaab bataane kee jaroorat naheen pada़tee. vah roj bina trutike uttar dekar sabheeko prabhaavit karata aur naye-naye savaal poochhakar sabako hairaan bhee karataa.
usake baal ab kuchh hadatak sudhare hue hote, kapada़e bhee kaaphee hadatak saaph hote, jinhen shaayad vah khud dhone laga thaa. dekhate-hee-dekhate saal samaapt ho gaya aur raajoone doosara sthaan haasil kar liya yaanee | vah doosaree klaॉs aur doosare skoolamen jaaneke liye kvaaleephaaee ho gaya thaa.
vidaaee samaarohamen sabhee bachche shikshikaake liye sundar upahaar lekar aaye aur unakee tebalapar upahaaronke dher lag gaye. in khoobasoorateese paik hue upahaaraki beech ek puraane akhavaaramen badasaleeke se paik kiya hua ek upahaar bhee paड़a thaa. bachche use dekhakar hans pada़e. kiseeko jaananemen der n lagee ki upahaarake naamapar raajoo ye laaya hogaa. shikshikaane upahaarake is chhotese pahaada़mense lapakakar use nikaalaa. kholakar dekha to usake andar ek mahilaakee inakee aadhee istemaal kee huee shoshee aur ek haathamen pahananevaala ek bada़aa-sa kada़a tha, jisake jyaadaatar motee jhada़ chuke the. unhonne chupachaap is itrako khudapar chhida़ka aur haathamen kangan pahan liyaa. bachche yah drishy dekhakar hairaan rah gaye. khud raajoo bhee. aakhir raajoose raha n gaya aur vah unake paas aakar khada़a ho gayaa. kuchh der baad usane ataka-atakakar unhen bataaya ki 'aaj aapamense meree maan jaisee khushaboo a rahee hai.'
samay par lagaakar uda़ne lagaa. din saptaah, saptaah maheene aur maheene saalamen badalate bhala kahaan der lagatee hai? magar har saalake antamen shikshikaako raajoose ek patr niyamit roopase praapt hota, jisamen likha hota ki 'is saal kaee naye teechars se milaa. magar aap jaisa koee naheen thaa.' phir raajooka skool samaapt ho gaya aur patronka silasila bhee. kaee saal aage gujare aur ve ritaayar ho gayeen.
ek din unhen apanee melamen raajooka patr mila, jisamen likha thaa.' is maheeneke antamen meree shaadee hai aur aapake aaye bina shaadee karanekee baat main naheen soch sakataa. ek aur baat main jeevanamen bahut saare logonse mil chuka hoon. aap jaisa koee naheen hai daॉktar raajoo.' saath hee vimaanaka aane-jaaneka tikat bhee liphaaphemen maujood thaa. ve khudako haragij n rok sakatee theen. unhonne apane patise anumati lee aur vah doosare shaharake liye ravaana ho gayeen..
shaadee ke din jab ve shaadeekee jagah pahunchee to thoda़ee let ho chukee theen. unhen laga ki samaaroh samaapt ho chuka hoga magar yah dekhakar unake aashcharyakee seema n rahee ki shaharake bada़e-bada़e daॉktar, bijanesamain aur yahaantak ki vahaanpar shaadee karaanevaale panditajee bhee thak gaye the ki | aakhir kaun aana baakee hai magar raajoo samaarohamen shaadeeke mandapake bajaay getakee taraph takatakee lagaaye unake aaneka intajaar kar raha thaa. phir sabane dekha ki jaise hee in puraanee shikshikaane getase pravesh kiya, raajoo unakee or lapaka aur unaka vah haath pakada़a, jisamen unhonne abatak vah maamoolee sa kangan pahana hua tha aur unhen seedha manchapar le gayaa. maaik haathamen pakada़kar vah kuchh yoon bola 'dosto! aap sabhee hamesha mujhase meree maanke baaremen poochha karate the aur main aap sabase vaada kiya karata tha ki jald hee aap sabako unase milavaaoonga yah meree maan hain.'
vaastavamen yah kahaanee sirph ek shikshak aur ek shishyake rishtekee naheen hai, apane aasapaas dekhen, raajoo jaise kaee phool murajha rahe hain, jinhen aapaka jaraa-sa dhyaan, pyaar aur sneh naya jeevan de sakata hai.

121 Views





Bhajan Lyrics View All

हम हाथ उठाकर कह देंगे हम हो गये राधा
राधा राधा राधा राधा
एक कोर कृपा की करदो स्वामिनी श्री
दासी की झोली भर दो लाडली श्री राधे॥
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
मेरी करुणामयी सरकार, मिला दो ठाकुर से
कृपा करो भानु दुलारी, श्री राधे बरसाने
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
अरे बदलो ले लूँगी दारी के,
होरी का तोहे बड़ा चाव...
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
श्याम बुलाये राधा नहीं आये,
आजा मेरी प्यारी राधे बागो में झूला
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
मुझे चाहिए बस सहारा तुम्हारा,
के नैनों में गोविन्द नज़ारा तुम्हार
मेरा यार यशुदा कुंवर हो चूका है
वो दिल हो चूका है जिगर हो चूका है
सत्यम शिवम सुन्दरम
सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है
सब हो गए भव से पार, लेकर नाम तेरा
नाम तेरा हरि नाम तेरा, नाम तेरा हरि नाम
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम
वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
किसी को भांग का नशा है मुझे तेरा नशा है,
भोले ओ शंकर भोले मनवा कभी न डोले,
प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥
ज़रा छलके ज़रा छलके वृदावन देखो
ज़रा हटके ज़रा हटके ज़माने से देखो
तेरे बगैर सांवरिया जिया नही जाये
तुम आके बांह पकड लो तो कोई बात बने‌॥
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
रंगीलो राधावल्लभ लाल, जै जै जै श्री
विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री
हे राम, हे राम, हे राम, हे राम
जग में साचे तेरो नाम । हे राम...

New Bhajan Lyrics View All

अरी बहना जेल में जन्मे घनश्याम भादो की
में
प्रेम की दीवानी राधा रानी हो गई,
बंसी वाले की दुनिया दीवानी हो गयी॥
नीलकंठ पे खुली है दुकान गौरा रानी क्या
के गौरा गौरा रानी क्या लोगी हो हो...
तेरे दर पे करू पुकार,
भोले विनती मेरी स्वीकार करो
भजो जाको विश्वास राखजो ,
सायब भिड़ी थांको