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जहाँ चाह, वहाँ राह  [बोध कथा]
आध्यात्मिक कथा - प्रेरक कथा (बोध कथा)

जहाँ चाह, वहाँ राह

अस्सी वर्ष पूर्व उत्तरप्रदेशके गोपामऊ नामक गाँवमें एक बालकका जन्म हुआ। उसके हाथ कलाईके पाससे जुड़े हुए थे। वह कलम नहीं पकड़ सकता था और न ही कोई चीज उठानेके काबिल था । माता-पिता दुखी थे, लेकिन बालक पढ़ना चाहता था। माँ हिंदी और संस्कृत जानती थी और पिता फारसी । बालकने अपनी माँसे अक्षर सीख लिये। अब वह श्रीरामचरितमानसकी चौपाइयाँ सुना सकता था। लेकिन दुर्भाग्य, वह लिखे, तो कैसे ?
एक दिन एक घटना घटी। पिता कुछ लिख रहे थे और बालक उसे बैठे-बैठे देख रहा था। वे थोड़ी देरके लिये अपने मित्रसे बात करनेके लिये बाहर निकले। बालकने सामने कागज रखा, कलमको एक हाथकी उँगलीमें किसी तरह दबा लिया और पैरसे उस हाथको चलाना शुरू किया। पिताने एक पन्नेपर जो लिखा था, बच्चेने उसकी हू-ब-हू नकल कर दी।
लौटकर पिताने देखा तो उनकी खुशीका ठिकाना न रहा। उन्होंने उसे एक पाठशालामें भरती करा दिया। उस समय उसकी अवस्था नौ वर्षकी थी।
यही बालक हिंदीमें एम0ए0 तथा पी-एच0 डी0 करके अंततः इलाहाबाद विश्वविद्यालयमें हिंदीका प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष बना। क्या आप जानना चाहेंगे कि कौन था वह व्यक्ति ? जी हाँ, उसका नाम था रघुवंश, जो आगे चलकर डॉ0 रघुवंशके नामसे विख्यात हुए।



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jahaan chaah, vahaan raaha

jahaan chaah, vahaan raaha

assee varsh poorv uttarapradeshake gopaamaoo naamak gaanvamen ek baalakaka janm huaa. usake haath kalaaeeke paasase juda़e hue the. vah kalam naheen pakada़ sakata tha aur n hee koee cheej uthaaneke kaabil tha . maataa-pita dukhee the, lekin baalak padha़na chaahata thaa. maan hindee aur sanskrit jaanatee thee aur pita phaarasee . baalakane apanee maanse akshar seekh liye. ab vah shreeraamacharitamaanasakee chaupaaiyaan suna sakata thaa. lekin durbhaagy, vah likhe, to kaise ?
ek din ek ghatana ghatee. pita kuchh likh rahe the aur baalak use baithe-baithe dekh raha thaa. ve thoda़ee derake liye apane mitrase baat karaneke liye baahar nikale. baalakane saamane kaagaj rakha, kalamako ek haathakee ungaleemen kisee tarah daba liya aur pairase us haathako chalaana shuroo kiyaa. pitaane ek pannepar jo likha tha, bachchene usakee hoo-ba-hoo nakal kar dee.
lautakar pitaane dekha to unakee khusheeka thikaana n rahaa. unhonne use ek paathashaalaamen bharatee kara diyaa. us samay usakee avastha nau varshakee thee.
yahee baalak hindeemen ema0e0 tatha pee-echa0 dee0 karake antatah ilaahaabaad vishvavidyaalayamen hindeeka prophesar aur vibhaagaadhyaksh banaa. kya aap jaanana chaahenge ki kaun tha vah vyakti ? jee haan, usaka naam tha raghuvansh, jo aage chalakar daॉ0 raghuvanshake naamase vikhyaat hue.

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जय राधे राधे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे
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