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शिक्षा  [प्रेरक कहानी]
प्रेरक कहानी - हिन्दी कथा (Hindi Story)

प्रेममें इतनी उन्मत्त हो गयी हूँ कि अपने तन मनकी सुधि मुझे नहीं रह गयी है, मैं उसे ढूँढ़नेके लिये बाजारमें निकल आयी हूँ, पर यह कितने आश्चर्यकी बात है कि आप प्रभुप्रेमी कहलाकर भी मेरे खुलेएक बारकी बात है। एक सुन्दर युवती घूँघट • बिना ही लज्जाशून्यकी तरह संत हुसेनसे अपने पतिकी प्रेमशून्यता और निर्ममताकी निन्दा करने लगी। संतनेकहा—'पहले अपने कपड़े सँभाल लो, मुँह तो ढक लो, फिर जो कहना हो कहो।' युवतीने असंतुष्ट होकर कहा- 'अरे; मैं तो भगवन्निर्मित एक नश्वर प्राणीकेमुँहकी सुधि रख सके।' संत हुसेन इस उत्तरसे चकित हो गये। भगवान्की दी हुई शिक्षा समझकर वे अत्यधिक तन्मयतासे उनके भजनमें लग गये। - शि0 दु0



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shikshaa

premamen itanee unmatt ho gayee hoon ki apane tan manakee sudhi mujhe naheen rah gayee hai, main use dhoondha़neke liye baajaaramen nikal aayee hoon, par yah kitane aashcharyakee baat hai ki aap prabhupremee kahalaakar bhee mere khuleek baarakee baat hai. ek sundar yuvatee ghoonghat • bina hee lajjaashoonyakee tarah sant husenase apane patikee premashoonyata aur nirmamataakee ninda karane lagee. santanekahaa—'pahale apane kapada़e sanbhaal lo, munh to dhak lo, phir jo kahana ho kaho.' yuvateene asantusht hokar kahaa- 'are; main to bhagavannirmit ek nashvar praaneekemunhakee sudhi rakh sake.' sant husen is uttarase chakit ho gaye. bhagavaankee dee huee shiksha samajhakar ve atyadhik tanmayataase unake bhajanamen lag gaye. - shi0 du0

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