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भावनापूर्ण दान  [Hindi Story]
छोटी सी कहानी - Spiritual Story (हिन्दी कहानी)

भावनापूर्ण दान

महाराज कुशलने जयतीर्थका पुनरुद्धार कार्य शुरू करवाया। नगरके धनिकोंने उसमें काफी दान देकर स्वेच्छासे सहयोग दिया। नगरकी एक मजदूरिनने, जिसके पास उस समय केवल आठ पैसे थे, सब-के सब दानमें दे दिये। जब दाताओंके नामका स्मृतिस्तम्भ तीर्थके मुख्य द्वारपर लगाया गया तो सभीने उस मजदूरिनका नाम सबसे ऊपरकी पंक्तिमें पढ़कर आश्चर्य प्रकट किया। कई क्षुद्रमना लोगोंके आपत्ति प्रकट करनेपर महाराज कुशलने बताया कि 'अन्य सभी दाताओंने तो अपनी सम्पत्तिका एक अंश ही दान किया था, लेकिन उस मजदूरिनने तो अपनी समस्त कमाई ही दानमें दे दी थी। इसलिये उसका नाम सबसे ऊपर है।'
दान और त्याग आदिकी महत्ता उसके प्रति भावनापर निर्भर करती है, भौतिक मूल्यपर नहीं। जहाँ उक्त मजदूरिनकी-सी भावना होती है, वहाँ ही यज्ञीय कृत्य पूरे हुए समझने चाहिये।



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bhaavanaapoorn daana

bhaavanaapoorn daana

mahaaraaj kushalane jayateerthaka punaruddhaar kaary shuroo karavaayaa. nagarake dhanikonne usamen kaaphee daan dekar svechchhaase sahayog diyaa. nagarakee ek majadoorinane, jisake paas us samay keval aath paise the, saba-ke sab daanamen de diye. jab daataaonke naamaka smritistambh teerthake mukhy dvaarapar lagaaya gaya to sabheene us majadoorinaka naam sabase ooparakee panktimen padha़kar aashchary prakat kiyaa. kaee kshudramana logonke aapatti prakat karanepar mahaaraaj kushalane bataaya ki 'any sabhee daataaonne to apanee sampattika ek ansh hee daan kiya tha, lekin us majadoorinane to apanee samast kamaaee hee daanamen de dee thee. isaliye usaka naam sabase oopar hai.'
daan aur tyaag aadikee mahatta usake prati bhaavanaapar nirbhar karatee hai, bhautik moolyapar naheen. jahaan ukt majadoorinakee-see bhaavana hotee hai, vahaan hee yajneey krity poore hue samajhane chaahiye.

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