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सम्पत्तिके सब साथी, विपत्तिका कोई नहीं  [शिक्षदायक कहानी]
Shikshaprad Kahani - आध्यात्मिक कहानी (Moral Story)

धनदत्त नामक सेठके घर एक भिखारी आया। सेठ उसे एक मुट्ठी अन्न देने लगे तो उसने अस्वीकार कर दिया। झुंझलाकर सेठ बोले- 'अन्न नहीं लेता, तब क्या मनुष्य लेगा ?'

भिखारी भी अद्भुत हठी था। उसे भी क्रोध आ गया। उसने कहा – 'अब तो मैं मनुष्य ही लेकर हटूंगा।' बैठ गया वह सेठके द्वारपर और अन्न-जल छोड़ दिया उसने। सेठ घबराये, उन्होंने उसे बहुत धन देना चाहा किंतु भिखारी तो हठपर आ गया था। वह अड़ा हुआथा – 'या तो मैं यहीं मरूँगा या मनुष्य लेकर उदूंगा।' सेठजी गये राजाके मन्त्री तथा अन्य अधिकारियोंके पास सम्मति लेने। सबने कहा- 'मर जाने दो उस मूर्खको ।'

सेठजी लौट आये, किंतु थे बुद्धिमान् उनके मनमें यह बात आयी कि अभी तो मन्त्री तथा राजकर्मचारी यह बात कहते हैं; किंतु यदि भिक्षुक सचमुच मर गया तो मेरी रक्षा करेंगे या नहीं, यह देख लेना चाहिये। वे फिर मन्त्रीके पास गये और बोले—'भिक्षुक तो मर गया।'मन्त्री चौंक पड़े। कहने लगे- 'सेठजी ! यह तो बुरा हुआ। आपको उसे किसी प्रकार मना लेना था। यह मृत्यु आपके द्वारपर हुई। नियमानुसार इसकी जाँच होगी और उसमें आप निमित्त सिद्ध होंगे। पता नहीं आपको क्या दण्ड मिलेगा। मेरा कर्तव्य है इस काण्डकी सूचना राजाको दे देना। आप मुझे क्षमा करें। सरकारी कर्मचारी होनेसे मैं आपको कोई सलाह नहीं दे सकता।' सेठजीने कहा-' धन्यवाद! मैं हँसी कर रहा था।वह अभी जीवित है । '

घर लौटकर सेठजीने कुछ सोचा और पत्नीको ले जाकर भिक्षुकके सामने खड़ी करके बोले - 'तुम्हें मनुष्य ही लेना है न ? इनको ले जाओ।'

भिक्षुक उठ खड़ा हुआ। वह बोला-'ये तो मेरी माता हैं। मैं अपनी बात सत्य करनेको अड़ा था, वह सत्य हो गयी। भगवान् आपका मङ्गल करें।' वह चला गया वहाँसे । - सु0 सिं0



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sampattike sab saathee, vipattika koee naheen

dhanadatt naamak sethake ghar ek bhikhaaree aayaa. seth use ek mutthee ann dene lage to usane asveekaar kar diyaa. jhunjhalaakar seth bole- 'ann naheen leta, tab kya manushy lega ?'

bhikhaaree bhee adbhut hathee thaa. use bhee krodh a gayaa. usane kaha – 'ab to main manushy hee lekar hatoongaa.' baith gaya vah sethake dvaarapar aur anna-jal chhoda़ diya usane. seth ghabaraaye, unhonne use bahut dhan dena chaaha kintu bhikhaaree to hathapar a gaya thaa. vah ada़a huaatha – 'ya to main yaheen maroonga ya manushy lekar udoongaa.' sethajee gaye raajaake mantree tatha any adhikaariyonke paas sammati lene. sabane kahaa- 'mar jaane do us moorkhako .'

sethajee laut aaye, kintu the buddhimaan unake manamen yah baat aayee ki abhee to mantree tatha raajakarmachaaree yah baat kahate hain; kintu yadi bhikshuk sachamuch mar gaya to meree raksha karenge ya naheen, yah dekh lena chaahiye. ve phir mantreeke paas gaye aur bole—'bhikshuk to mar gayaa.'mantree chaunk pada़e. kahane lage- 'sethajee ! yah to bura huaa. aapako use kisee prakaar mana lena thaa. yah mrityu aapake dvaarapar huee. niyamaanusaar isakee jaanch hogee aur usamen aap nimitt siddh honge. pata naheen aapako kya dand milegaa. mera kartavy hai is kaandakee soochana raajaako de denaa. aap mujhe kshama karen. sarakaaree karmachaaree honese main aapako koee salaah naheen de sakataa.' sethajeene kahaa-' dhanyavaada! main hansee kar raha thaa.vah abhee jeevit hai . '

ghar lautakar sethajeene kuchh socha aur patneeko le jaakar bhikshukake saamane khada़ee karake bole - 'tumhen manushy hee lena hai n ? inako le jaao.'

bhikshuk uth khada़a huaa. vah bolaa-'ye to meree maata hain. main apanee baat saty karaneko ada़a tha, vah saty ho gayee. bhagavaan aapaka mangal karen.' vah chala gaya vahaanse . - su0 sin0

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