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इसे तो फर्क पड़ेगा न !  [हिन्दी कथा]
Shikshaprad Kahani - Spiritual Story (Hindi Story)

(3)

इसे तो फर्क पड़ेगा न !

एक झेनगुरु समुद्रतटपर टहल रहे थे। तभी जोरका तूफान आया और समुद्रकी लहरोंके साथ बहुत सी मछलियाँ तटपर आ आकर गिरने लगीं। गुरुजी स्वाभाविक करुणासे एक-एक मछलीको उठाकर समुद्रमें वापस फेंकने लगे। उधरसे गुजरते हुए एक मछुआरेने गुरुजीकी यह कार्यवाही देखकर उन्हें समझानेकी कोशिश की— इस तरहके तूफानमें अनगिनत मछलियाँ समुद्रतटपर हर बार गिरकर मर जाती हैं। इन्हें इस प्रकार वापस नहीं फेंका जा सकता। इस मेहनतसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
बड़े शान्तभावसे एक मछलीको उठाकर वापस समुद्र में फेंकते हुए झेनगुरु बोले- 'इसको तो फर्क पड़ेगा न ?'



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ise to phark pada़ega n !

(3)

ise to phark pada़ega n !

ek jhenaguru samudratatapar tahal rahe the. tabhee joraka toophaan aaya aur samudrakee laharonke saath bahut see machhaliyaan tatapar a aakar girane lageen. gurujee svaabhaavik karunaase eka-ek machhaleeko uthaakar samudramen vaapas phenkane lage. udharase gujarate hue ek machhuaarene gurujeekee yah kaaryavaahee dekhakar unhen samajhaanekee koshish kee— is tarahake toophaanamen anaginat machhaliyaan samudratatapar har baar girakar mar jaatee hain. inhen is prakaar vaapas naheen phenka ja sakataa. is mehanatase koee phark naheen pada़egaa.
bada़e shaantabhaavase ek machhaleeko uthaakar vaapas samudr men phenkate hue jhenaguru bole- 'isako to phark pada़ega n ?'

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