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सम्मान तथा मधुर भाषणसे राक्षस भी वशीभूत  [Spiritual Story]
प्रेरक कहानी - Moral Story (छोटी सी कहानी)

एक बार एक बुद्धिमान् ब्राह्मण एक निर्जन वनमें घूम रहा था। उसी समय एक राक्षसने उसे खानेकी इच्छासे पकड़ लिया। ब्राह्मण बुद्धिमान् तो था ही, विद्वान् भी था इसलिये वह न घबराया और न दुःखी ही हुआ। उसने उसके प्रति सामका प्रयोग आरम्भ किया। उसने उसकी प्रशंसा बड़े प्रभावशाली शब्दों में आरम्भको राक्षस तुम दुबले क्यों हो? मालूम होता है, तुम गुणवान्, विद्वान् और विनीत होनेपर भी सम्माननहीं पा रहे हो और मूढ़ तथा अयोग्य व्यक्तियोंको सम्मानित होते हुए देखते हो; इसीलिये तुम दुर्बल तथा क्रुद्ध-से रहते हो। यद्यपि तुम बड़े बुद्धिमान् हो तथापि अज्ञानी लोग तुम्हारी हँसी उड़ाते होंगे – इसीलिये तुम उदास तथा दुर्बल हो । '

इस प्रकार सम्मान किये जानेपर राक्षसने उसे मित्र बना लिया और बड़ा धन देकर विदा किया।

-जा0 श0 (महा0 शान्तिपर्व, आपद्धर्म)



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sammaan tatha madhur bhaashanase raakshas bhee vasheebhoota

ek baar ek buddhimaan braahman ek nirjan vanamen ghoom raha thaa. usee samay ek raakshasane use khaanekee ichchhaase pakada़ liyaa. braahman buddhimaan to tha hee, vidvaan bhee tha isaliye vah n ghabaraaya aur n duhkhee hee huaa. usane usake prati saamaka prayog aarambh kiyaa. usane usakee prashansa bada़e prabhaavashaalee shabdon men aarambhako raakshas tum dubale kyon ho? maaloom hota hai, tum gunavaan, vidvaan aur vineet honepar bhee sammaananaheen pa rahe ho aur moodha़ tatha ayogy vyaktiyonko sammaanit hote hue dekhate ho; iseeliye tum durbal tatha kruddha-se rahate ho. yadyapi tum bada़e buddhimaan ho tathaapi ajnaanee log tumhaaree hansee uda़aate honge – iseeliye tum udaas tatha durbal ho . '

is prakaar sammaan kiye jaanepar raakshasane use mitr bana liya aur bada़a dhan dekar vida kiyaa.

-jaa0 sha0 (mahaa0 shaantiparv, aapaddharma)

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