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स्वावलम्बन  [Moral Story]
बोध कथा - Wisdom Story (Hindi Story)

बंगालके एक छोटे से रेलवे स्टेशनपर ट्रेन खड़ी हुई। स्वच्छ धुले वस्त्र पहिने एक युवकने 'कुली! कुली!' पुकारना प्रारम्भ किया। युवकके पास कोई भारी सामान नहीं था। केवल एक छोटी पेटी थी। भला, देश के छोटे-से स्टेशनपर कुली कहीं परंतु एक अधेड़ व्यक्ति साधारण ग्रामीण जैसे कपड़े पहिनेयुवकके पास आ गया। युवकने उसे कुली समझकर कहा- 'तुमलोग बड़े सुस्त होते हो। ले चलो इसे । ' उस व्यक्तिने पेटी उठा ली और युवकके पीछे चुपचाप चल पड़ा। घर पहुँचकर युवकने पेटी रखवा ली और मजदूरी देने लगा। उस व्यक्तिने कहा - "धन्यवाद ! इसकी आवश्यकता नहीं है।''क्यों?' युवकने आश्चर्यसे पूछा। किंतु उसी समय युवकके बड़े भाई घरमेंसे निकले और उन्होंने उस व्यक्तिको प्रणाम किया। अब युवकको पता लगा कि वह जिससे पेटी उठवाकर लाया है, वे तो बंगालके प्रतिष्ठित विद्वान् ईश्वरचन्द्र विद्यासागर हैं। युवक उनकेपैरोंपर गिर पड़ा।

विद्यासागर बोले- 'मेरे देशवासी व्यर्थ अभिमान छोड़ दें और समझ लें कि अपने हाथों अपना काम करना गौरवकी बात है। वे स्वावलम्बी बनें, यही मेरी मजदूरी है।' -सु0 सिं0



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svaavalambana

bangaalake ek chhote se relave steshanapar tren khada़ee huee. svachchh dhule vastr pahine ek yuvakane 'kulee! kulee!' pukaarana praarambh kiyaa. yuvakake paas koee bhaaree saamaan naheen thaa. keval ek chhotee petee thee. bhala, desh ke chhote-se steshanapar kulee kaheen parantu ek adheda़ vyakti saadhaaran graameen jaise kapada़e pahineyuvakake paas a gayaa. yuvakane use kulee samajhakar kahaa- 'tumalog bada़e sust hote ho. le chalo ise . ' us vyaktine petee utha lee aur yuvakake peechhe chupachaap chal pada़aa. ghar pahunchakar yuvakane petee rakhava lee aur majadooree dene lagaa. us vyaktine kaha - "dhanyavaad ! isakee aavashyakata naheen hai.''kyon?' yuvakane aashcharyase poochhaa. kintu usee samay yuvakake bada़e bhaaee gharamense nikale aur unhonne us vyaktiko pranaam kiyaa. ab yuvakako pata laga ki vah jisase petee uthavaakar laaya hai, ve to bangaalake pratishthit vidvaan eeshvarachandr vidyaasaagar hain. yuvak unakepaironpar gir pada़aa.

vidyaasaagar bole- 'mere deshavaasee vyarth abhimaan chhoda़ den aur samajh len ki apane haathon apana kaam karana gauravakee baat hai. ve svaavalambee banen, yahee meree majadooree hai.' -su0 sin0

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ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
हर पल तेरे साथ मैं रहता हूँ,
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