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हकसे अधिक लेना तो पाप है  [Story To Read]
शिक्षदायक कहानी - Hindi Story (हिन्दी कहानी)

श्रीरामकृष्ण परमहंसदेवके अनुगतोंमें श्रीदुर्गाचरणजी नाग प्रायः नाग महाशयके नामसे जाने जाते हैं। इनके घरकी स्थिति अच्छी नहीं थी। पिता नौकरी करते थे साधारण सी और ये होमियोपैथिक दवा करते थे; लेकिन इनके अधिकांश रोगी गरीब होते थे। नाग महाशय उन्हें ओषधिके अतिरिक्त पथ्यके लिये पैसे भी प्रायः अपने पाससे दे देते थे। इनके पिता जिनके यहाँ नौकरी करते थे उस कुटुम्बकी एक महिलाको इन्होंने कष्टसाध्य रोगसेमुक्त किया। वे लोग सम्पन्न थे; नाग महाशयको उन्होंने कुछ धन देना चाहा, पर इन्होंने केवल बीस रुपये लिये । पिताको यह सब पता लगा तो वे असंतुष्ट हुए।

नाग महाशयने पितासे कहा- 'पिताजी! चौदह रुपये हुए मेरी सात दिनकी फीसके और छः रुपये औषधका मूल्य। इस प्रकार बीस रुपये ही मेरे हकके हैं। हकसे अधिक लेना तो पाप है। मैं अधिक कैसे ले सकता था।'

- सु0 सिंह



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hakase adhik lena to paap hai

shreeraamakrishn paramahansadevake anugatonmen shreedurgaacharanajee naag praayah naag mahaashayake naamase jaane jaate hain. inake gharakee sthiti achchhee naheen thee. pita naukaree karate the saadhaaran see aur ye homiyopaithik dava karate the; lekin inake adhikaansh rogee gareeb hote the. naag mahaashay unhen oshadhike atirikt pathyake liye paise bhee praayah apane paasase de dete the. inake pita jinake yahaan naukaree karate the us kutumbakee ek mahilaako inhonne kashtasaadhy rogasemukt kiyaa. ve log sampann the; naag mahaashayako unhonne kuchh dhan dena chaaha, par inhonne keval bees rupaye liye . pitaako yah sab pata laga to ve asantusht hue.

naag mahaashayane pitaase kahaa- 'pitaajee! chaudah rupaye hue meree saat dinakee pheesake aur chhah rupaye aushadhaka moolya. is prakaar bees rupaye hee mere hakake hain. hakase adhik lena to paap hai. main adhik kaise le sakata thaa.'

- su0 sinha

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