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व्रज-रजपर निछावर  [आध्यात्मिक कथा]
बोध कथा - Spiritual Story (Spiritual Story)

लगभग ढाई सौ वर्ष पहलेकी बात है। बादशाह मुहम्मदशाहके खास-कलम - मीर - मुंशी थे कविवर घनानन्द। वे व्रजरसके महान् रसिक थे। जीवनके अन्तिम दिनोंमें किसी घटना विशेषके कारण बादशाहने उन्हें दिल्ली छोड़ देनेका आदेश दे दिया। तब वे वृन्दावन चले आये और एक पेड़के नीचे संन्यास ग्रहण करके श्रीकृष्णकी भक्तिमें रँग गये।

नादिरशाहने भारतवर्षपर आक्रमण किया। उसके सैनिकोंने दिल्लीके आस-पासके जनपदोंमें भयंकर लूटपाटका दृश्य उपस्थित कर दिया। सैनिक हत्या और लूटपाट करते वृन्दावन पहुँच गये। उन्हें पता चल गया कि बादशाहके मीर-मुंशी वृन्दावनमें ही रहते हैं। वे घनानन्दके पास पहुँच गये।'जर, जर, जर ।' सैनिकोंने खजाना माँगा। उनका विश्वास था कि बादशाहके खास कलमको खजानेका पता अवश्य होगा। पर घनानन्द तो आज श्रीकृष्णके भक्ति-राज्यके खजांची थे। उनके पास परमधन व्रज रजके सिवा दूसरा पदार्थ था ही क्या।

'रज, रज, रज'-तीन बार 'रज' शब्दका उच्चारण करके रसिक संतने सैनिकोंके शरीरपर धूलि फेंक दी। सैनिकोंने समझा कि मीर-मुंशी विनोद कर रहे हैं; उन्होंने तत्काल घनानन्दका एक हाथ काट डाला।

'मेरे प्राण अधरतक आ गये हैं और सुजान श्रीकृष्णका संदेश लेकर निकलना चाहते हैं!' उनके अन्तिम शब्द थे। घनानन्दने व्रजरजपर अपने-आपको निछावर कर दिया। - रा0 श्री0



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vraja-rajapar nichhaavara

lagabhag dhaaee sau varsh pahalekee baat hai. baadashaah muhammadashaahake khaasa-kalam - meer - munshee the kavivar ghanaananda. ve vrajarasake mahaan rasik the. jeevanake antim dinonmen kisee ghatana visheshake kaaran baadashaahane unhen dillee chhoda़ deneka aadesh de diyaa. tab ve vrindaavan chale aaye aur ek peda़ke neeche sannyaas grahan karake shreekrishnakee bhaktimen rang gaye.

naadirashaahane bhaaratavarshapar aakraman kiyaa. usake sainikonne dilleeke aasa-paasake janapadonmen bhayankar lootapaataka drishy upasthit kar diyaa. sainik hatya aur lootapaat karate vrindaavan pahunch gaye. unhen pata chal gaya ki baadashaahake meera-munshee vrindaavanamen hee rahate hain. ve ghanaanandake paas pahunch gaye.'jar, jar, jar .' sainikonne khajaana maangaa. unaka vishvaas tha ki baadashaahake khaas kalamako khajaaneka pata avashy hogaa. par ghanaanand to aaj shreekrishnake bhakti-raajyake khajaanchee the. unake paas paramadhan vraj rajake siva doosara padaarth tha hee kyaa.

'raj, raj, raja'-teen baar 'raja' shabdaka uchchaaran karake rasik santane sainikonke shareerapar dhooli phenk dee. sainikonne samajha ki meera-munshee vinod kar rahe hain; unhonne tatkaal ghanaanandaka ek haath kaat daalaa.

'mere praan adharatak a gaye hain aur sujaan shreekrishnaka sandesh lekar nikalana chaahate hain!' unake antim shabd the. ghanaanandane vrajarajapar apane-aapako nichhaavar kar diyaa. - raa0 shree0

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