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परिवर्तनशीलके लिये सुख-दुःख क्या मानना  [छोटी सी कहानी]
Hindi Story - हिन्दी कथा (प्रेरक कथा)

एक सम्पन्न घरके लड़केको डाकुओंने पकड़ लिया और अरबके एक निर्दय व्यक्तिके हाथ बेच दिया। निष्ठुर अरब उस लड़केसे बहुत अधिक परिश्रम लेता था और फिर भी उसे झिड़कता और पीटता रहता था। पेटभर भोजन भी उस लड़केको नहीं मिलता था। एक व्यापारी घूमता हुआ उस नगरमें पहुँचा। वहलड़केको पहिचानता था। उसने लड़केसे पूछा 'आजकल तुम्हें बहुत क्लेश है ?'

लड़का बोला—‘जो पहले नहीं थी और आगे भी नहीं रहेगी, उस परिवर्तनशील अवस्थाके लिये क्लेश क्या मानना।'

वर्ष बीतते गये। अरब वृद्ध हुआ, मर गया। अरबकी स्त्री और अबोध बालक निराधार हो गये। उनका वह गुलाम अब युवक हो गया था। मरते समय अरबने उसे अपने दासत्वसे मुक्त कर दिया था। वही अब स्वयं उपार्जन करके अरबकी पत्नी और पुत्रका भी भरण-पोषण करता था । वह व्यापारी फिर उस नगरमें आया और युवकसे उसने पूछा- 'अब क्या दशा है ? युवक बोला- 'जो पहले नहीं थी और आगे भी नहीं रहेगी। उस परिवर्तनशील अवस्थाके लिये सुख क्या मानना और दुःख भी क्यों मानना ।'

युवक उन्नति करता गया। वह अपने कबीलेका सरदार हुआ और धीरे-धीरे उस प्रदेशका राजा हो गया। व्यापारी फिर उस नगरमें आया तो राजासे मिले बिना जा नहीं सका। मिलनेपर उसने कहा-'श्रीमान् ! आपके इस वैभवके लिये धन्यवाद ।'

राजाने शान्त स्थिर भावसे कहा- 'भाई! जो पहले नहीं थी और आगे भी नहीं रहेगी, उस परिवर्तनशील अवस्थाके लिये उल्लास क्या और खेद भी क्यों ।'



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parivartanasheelake liye sukha-duhkh kya maananaa

ek sampann gharake lada़keko daakuonne pakada़ liya aur arabake ek nirday vyaktike haath bech diyaa. nishthur arab us lada़kese bahut adhik parishram leta tha aur phir bhee use jhida़kata aur peetata rahata thaa. petabhar bhojan bhee us lada़keko naheen milata thaa. ek vyaapaaree ghoomata hua us nagaramen pahunchaa. vahalada़keko pahichaanata thaa. usane lada़kese poochha 'aajakal tumhen bahut klesh hai ?'

lada़ka bolaa—‘jo pahale naheen thee aur aage bhee naheen rahegee, us parivartanasheel avasthaake liye klesh kya maananaa.'

varsh beetate gaye. arab vriddh hua, mar gayaa. arabakee stree aur abodh baalak niraadhaar ho gaye. unaka vah gulaam ab yuvak ho gaya thaa. marate samay arabane use apane daasatvase mukt kar diya thaa. vahee ab svayan upaarjan karake arabakee patnee aur putraka bhee bharana-poshan karata tha . vah vyaapaaree phir us nagaramen aaya aur yuvakase usane poochhaa- 'ab kya dasha hai ? yuvak bolaa- 'jo pahale naheen thee aur aage bhee naheen rahegee. us parivartanasheel avasthaake liye sukh kya maanana aur duhkh bhee kyon maanana .'

yuvak unnati karata gayaa. vah apane kabeeleka saradaar hua aur dheere-dheere us pradeshaka raaja ho gayaa. vyaapaaree phir us nagaramen aaya to raajaase mile bina ja naheen sakaa. milanepar usane kahaa-'shreemaan ! aapake is vaibhavake liye dhanyavaad .'

raajaane shaant sthir bhaavase kahaa- 'bhaaee! jo pahale naheen thee aur aage bhee naheen rahegee, us parivartanasheel avasthaake liye ullaas kya aur khed bhee kyon .'

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