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भगवान्की प्राप्तिका उपाय  [Spiritual Story]
बोध कथा - हिन्दी कहानी (Wisdom Story)

'मेरा धन्य भाग्य है, भगवान् विष्णुने मुझे राजा बनाकर मेरे हृदयमें अपनी भक्ति भर दी है!' अनन्त शयनतीर्थमें शेषशायी विष्णुके श्रीविग्रहको स्वर्ण और मणियोंकी मालाओंसे समलंकृतकर महाराजा चोल मदोन्मत्त हो उठे, मानो वे अन्य भक्तोंसे कहना चाहते थे कि 'भगवान्की पूजामें मेरी स्पर्धा करना ठीक नहीं है।' वे भगवान् विष्णुका चिन्तन करने लगे । '

'यह आप क्या कर रहे हैं? देखते नहीं कि भगवान्का विग्रह रत्नोंकी मालाओंसे कितना रमणीय हो चला है नयनोंके लिये ? बार-बार तुलसीदलसे आप स्वर्ण और मणियोंको ढककर भगवान्‌का रूप असुन्दर कर रहे हैं!' महाराजाने दीन ब्राह्मण विष्णुदासके हृदयपर आघात किया धनके मदमें।

'भगवान्‌की पूजाके लिये हृदयके भाव पुष्पकी आवश्यकता है, महाराज! सोने और हीरेसे उनका महत्त्व नहीं आँका जा सकता। भगवान्‌की प्राप्ति भक्तिसे होती है।' विष्णुदासने चोलराजसे निवेदन किया। भक्त ब्राह्मण विष्णुसूक्त का पाठ करने लगे ।

'देखना है, पहले मुझे भगवान्‌का दर्शन होता है य आपकी भक्ति सफल होती है।' राजाने काञ्चीनिवारअपनी एक दरिद्र प्रजाको चुनौती दी। वे राजधानीमें लौट आये।

महाराजाने मुद्गल ऋषिको आमन्त्रितकर भगवान्के दर्शनके लिये विष्णुयज्ञका आयोजन किया। भगवती ताम्रपर्णी नदीके कलरवसे निनादित उनकी राजधानी काञ्चीमें स्वर्णयूपकी आभा ऐसी लगती थी मानो अपने दिव्य वृक्षोंसमेत चैत्ररथ वनकी साकार श्री ही धरतीपर उतर आयी हो। वेदमन्त्रोंके मधुर गानसे यज्ञ आरम्भ हो गया। काञ्ची नगरी शास्त्रज्ञ पण्डितों और मन्त्रदर्शी ऋषियोंसे परिपूर्ण हो उठी। दान-दक्षिणाकी ही चर्चा नगरीमें नित्य होने लगी।

इधर दीन ब्राह्मण भी क्षेत्र संन्यास ग्रहणकर अनन्त-शयनतीर्थमें ही भगवान् विष्णुकी आराधना और उपासना तथा व्रत आदिका अनुष्ठान करने लगे। उनका प्रण था कि जबतक भगवान्का दर्शन नहीं मिल जायगा तबतक काञ्ची नहीं जाऊँगा। वे दिनमें भोजन बनाकर भगवान्‌को भोग लगानेपर ही प्रसाद पाते थे।

एक समय सात दिनतक लगातार भोजन चोरी गया। दुबारा भोजन बनानेमें समय न लगाकर वेनिराहार रहकर भगवान्‌का भजन करने लगे। सातवें दिन वे छिपकर चोरकी राह देखने लगे। एक दुबला पतला चाण्डाल भोजन लेकर भागने लगा। करुणा द्रवीभूत होकर उसके पीछे घी लेकर दौड़ पड़े। चाण्डाल मूर्छित होकर गिर पड़ा तो विष्णुदास अपने वस्त्रसे उसपर समीरका संचार करने लगे ।

'परीक्षा हो गयी, भक्तराज !' चाण्डालके स्थानपर शङ्ख, चक्र, गदा, पद्म धारणकर साक्षात् विष्णु प्रकट हो गये। अलसीके फूलके समान श्याम शरीरकी शोभा निराली थी— हृदयपर श्रीवत्स - चिह्न था वक्षपर कौस्तुभ मणि थी। मुकुट और पीताम्बरकी झाँकी अनुपम थी। श्रीविष्णुका दर्शन करते ही विष्णुदासके हृदयमें सात्त्विक प्रेमका उदय हो गया। वे अचेत हो गये। वे उस मूर्छितअवस्थामें नारायणको प्रणाम तक न कर सके। भगवान्ने ब्राह्मणको अपना रूप दिया। विष्णुदास विमानपर बैठकर वैकुण्ठ गये। देवोंने पुष्पवृष्टि की, अप्सरा तथा गन्धर्वोंने नृत्य-गान किया।

'यज्ञ समाप्त कर दीजिये, महर्षे!' चोलराजने मुद्गलका ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने विष्णुदासको विमानपर जाते देखा। यह सोचकर कि भक्ति ही श्रेष्ठ है, महाराज धधकते यज्ञकुण्डमें कूद पड़े। विष्णुभगवान् प्रकट हो गये। उन्हें दर्शन देकर वैकुण्ठ ले गये। विष्णुदास पुण्यशील और चोलराज सुशील पार्षदके

नामसे प्रसिद्ध हैं।

- रा0 श्री0 (पद्मपुराण, उत्तर0)



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bhagavaankee praaptika upaaya

'mera dhany bhaagy hai, bhagavaan vishnune mujhe raaja banaakar mere hridayamen apanee bhakti bhar dee hai!' anant shayanateerthamen sheshashaayee vishnuke shreevigrahako svarn aur maniyonkee maalaaonse samalankritakar mahaaraaja chol madonmatt ho uthe, maano ve any bhaktonse kahana chaahate the ki 'bhagavaankee poojaamen meree spardha karana theek naheen hai.' ve bhagavaan vishnuka chintan karane lage . '

'yah aap kya kar rahe hain? dekhate naheen ki bhagavaanka vigrah ratnonkee maalaaonse kitana ramaneey ho chala hai nayanonke liye ? baara-baar tulaseedalase aap svarn aur maniyonko dhakakar bhagavaan‌ka roop asundar kar rahe hain!' mahaaraajaane deen braahman vishnudaasake hridayapar aaghaat kiya dhanake madamen.

'bhagavaan‌kee poojaake liye hridayake bhaav pushpakee aavashyakata hai, mahaaraaja! sone aur heerese unaka mahattv naheen aanka ja sakataa. bhagavaan‌kee praapti bhaktise hotee hai.' vishnudaasane cholaraajase nivedan kiyaa. bhakt braahman vishnusookt ka paath karane lage .

'dekhana hai, pahale mujhe bhagavaan‌ka darshan hota hai y aapakee bhakti saphal hotee hai.' raajaane kaancheenivaaraapanee ek daridr prajaako chunautee dee. ve raajadhaaneemen laut aaye.

mahaaraajaane mudgal rishiko aamantritakar bhagavaanke darshanake liye vishnuyajnaka aayojan kiyaa. bhagavatee taamraparnee nadeeke kalaravase ninaadit unakee raajadhaanee kaancheemen svarnayoopakee aabha aisee lagatee thee maano apane divy vrikshonsamet chaitrarath vanakee saakaar shree hee dharateepar utar aayee ho. vedamantronke madhur gaanase yajn aarambh ho gayaa. kaanchee nagaree shaastrajn panditon aur mantradarshee rishiyonse paripoorn ho uthee. daana-dakshinaakee hee charcha nagareemen nity hone lagee.

idhar deen braahman bhee kshetr sannyaas grahanakar ananta-shayanateerthamen hee bhagavaan vishnukee aaraadhana aur upaasana tatha vrat aadika anushthaan karane lage. unaka pran tha ki jabatak bhagavaanka darshan naheen mil jaayaga tabatak kaanchee naheen jaaoongaa. ve dinamen bhojan banaakar bhagavaan‌ko bhog lagaanepar hee prasaad paate the.

ek samay saat dinatak lagaataar bhojan choree gayaa. dubaara bhojan banaanemen samay n lagaakar veniraahaar rahakar bhagavaan‌ka bhajan karane lage. saataven din ve chhipakar chorakee raah dekhane lage. ek dubala patala chaandaal bhojan lekar bhaagane lagaa. karuna draveebhoot hokar usake peechhe ghee lekar dauda़ pada़e. chaandaal moorchhit hokar gir pada़a to vishnudaas apane vastrase usapar sameeraka sanchaar karane lage .

'pareeksha ho gayee, bhaktaraaj !' chaandaalake sthaanapar shankh, chakr, gada, padm dhaaranakar saakshaat vishnu prakat ho gaye. alaseeke phoolake samaan shyaam shareerakee shobha niraalee thee— hridayapar shreevats - chihn tha vakshapar kaustubh mani thee. mukut aur peetaambarakee jhaankee anupam thee. shreevishnuka darshan karate hee vishnudaasake hridayamen saattvik premaka uday ho gayaa. ve achet ho gaye. ve us moorchhitaavasthaamen naaraayanako pranaam tak n kar sake. bhagavaanne braahmanako apana roop diyaa. vishnudaas vimaanapar baithakar vaikunth gaye. devonne pushpavrishti kee, apsara tatha gandharvonne nritya-gaan kiyaa.

'yajn samaapt kar deejiye, maharshe!' cholaraajane mudgalaka dhyaan aakrisht kiyaa. unhonne vishnudaasako vimaanapar jaate dekhaa. yah sochakar ki bhakti hee shreshth hai, mahaaraaj dhadhakate yajnakundamen kood pada़e. vishnubhagavaan prakat ho gaye. unhen darshan dekar vaikunth le gaye. vishnudaas punyasheel aur cholaraaj susheel paarshadake

naamase prasiddh hain.

- raa0 shree0 (padmapuraan, uttara0)

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