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ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा  [आध्यात्मिक कहानी]
आध्यात्मिक कथा - Moral Story (Spiritual Story)

ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा

एक भारतीय परिवारके लोग जापानकी राजधानी टोक्योके एक होटलमें ठहरे। जब वे बाजार गये तो उन्हें वहाँ आकर्षक जूते दिखायी दिये। उन्होंने बच्चेके लिये एक जोड़ी जूते खरीद लिये। होटल लौटनेपर उन्हें पता चला कि जूते कहीं गिर गये।
यह सोचकर कि जूते कोई उठाकर ले गया होगा, उन्होंने जूते ढूँढ़नेका कोई प्रयास नहीं किया।
रात दस बजे होटलमें उनके कमरेका दरवाजा खटखटाया गया, दरवाजा खोला तो एक पुलिसवालेको देखकर उनको आश्चर्य हुआ। उसने उन भारतीय सज्जनको जूतोंका बण्डल दिखाते हुए पूछा कि 'क्या यह आपका है ?'
भारतीय सज्जनने आश्चर्यसे पूछा- 'आपको कैसे पता चला कि ये जूते हमारे हैं ?'
पुलिसवालेने बताया कि सड़कपर पड़े जूतोंको अनेक लोगोंने देखा, परंतु किसीने उठाया नहीं। उसने बण्डल उठा लिया। खोलकर देखा तो बच्चेके जूते थे। जूतोंके स्वामीका पता लगानेके लिये वह ऐसे जूते बेचनेवाले दुकानदारसे मिला। उसने बताया कि कुछ देर पहले उसने ये जूते एक भारतीय व्यक्तिको बेचे थे। पुलिसवालेने कई होटलोंमें फोन करके भारतीय परिवारका पता लगा लिया और वह वहाँ पहुँच गया। इस प्रकार जूते उनके स्वामीतक पहुँचा दिये गये।
कृतज्ञ भारतीयने उसे धन्यवाद देते हुए कहा-'मैं समझ गया कि परमाणु बमके हमलोंके बाद भी आज यह राष्ट्र इतना समृद्ध और विकसित क्यों है, यह आप लोगोंको कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारीका परिणाम है।'



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eemaanadaaree aur kartavyanishthaa

eemaanadaaree aur kartavyanishthaa

ek bhaarateey parivaarake log jaapaanakee raajadhaanee tokyoke ek hotalamen thahare. jab ve baajaar gaye to unhen vahaan aakarshak joote dikhaayee diye. unhonne bachcheke liye ek joda़ee joote khareed liye. hotal lautanepar unhen pata chala ki joote kaheen gir gaye.
yah sochakar ki joote koee uthaakar le gaya hoga, unhonne joote dhoonढ़neka koee prayaas naheen kiyaa.
raat das baje hotalamen unake kamareka daravaaja khatakhataaya gaya, daravaaja khola to ek pulisavaaleko dekhakar unako aashchary huaa. usane un bhaarateey sajjanako jootonka bandal dikhaate hue poochha ki 'kya yah aapaka hai ?'
bhaarateey sajjanane aashcharyase poochhaa- 'aapako kaise pata chala ki ye joote hamaare hain ?'
pulisavaalene bataaya ki sada़kapar pada़e jootonko anek logonne dekha, parantu kiseene uthaaya naheen. usane bandal utha liyaa. kholakar dekha to bachcheke joote the. jootonke svaameeka pata lagaaneke liye vah aise joote bechanevaale dukaanadaarase milaa. usane bataaya ki kuchh der pahale usane ye joote ek bhaarateey vyaktiko beche the. pulisavaalene kaee hotalonmen phon karake bhaarateey parivaaraka pata laga liya aur vah vahaan pahunch gayaa. is prakaar joote unake svaameetak pahuncha diye gaye.
kritajn bhaarateeyane use dhanyavaad dete hue kahaa-'main samajh gaya ki paramaanu bamake hamalonke baad bhee aaj yah raashtr itana samriddh aur vikasit kyon hai, yah aap logonko kartavyanishtha aur eemaanadaareeka parinaam hai.'

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