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कहानीके द्वारा वैराग्य  [आध्यात्मिक कथा]
बोध कथा - Shikshaprad Kahani (Shikshaprad Kahani)

एक दासी नित्यप्रति महारानीकी सेज बिछाया करतीं। एक दिन उसने खूब ही सजाकर सेज बिछायी। गरमीके दिन थे। नदी किनारेके महलमें ठंडी हवा आ रही थी। दासी थकी हुई थी, वह जरा सेजपर लेट गयी। लेटते ही बेचारीको नींद आ गयी। कुछ देरमें महारानी आयी उसने आते ही जो दासीको अपनी सेजपर सोये देखा तो क्रोधसे आगबबूला हो गयी और दासीको जगाया। दासी बेचारी डरके मारे काँपने लगी। महारानीने उसे कोड़े लगाने शुरू किये। दो-चार कोड़े लगे तबतक तो वह उदास रही औररोती रही। पीछे उसका मुख प्रसन्न हो गया और वह हँसने लगी। महारानीको बड़ा आश्चर्य हुआ; उसने प्रसन्नताका और हँसनेका कारण पूछा। तब दासीने कहा - 'महारानीजी ! कसूर माफ हो, मुझे इस बातपर हँसी आ गयी कि मैं एक दिन थोड़ी-सी देरके लिये इस पलंगपर सो गयी, जिससे मुझपर इतने बेभाव कोड़े पड़ रहे हैं। ये महारानी रोज इसपर सोती हैं, इनपर पता नहीं कितने कोड़े पड़ेंगे। तब भी ये समझ नहीं रही हैं और अपने भविष्यपर ध्यान न देकर मुझे मार रही हैं। आपकी इस बेसमझीपरमुझे हँसी आयी।'

एक नाईने किसी राजा साहबके तेल मलते-मलतेयह कहानी कही और इसीसे उनको वैराग्य हो गया और वे राज छोड़कर घरसे निकल पड़े।



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kahaaneeke dvaara vairaagya

ek daasee nityaprati mahaaraaneekee sej bichhaaya karateen. ek din usane khoob hee sajaakar sej bichhaayee. garameeke din the. nadee kinaareke mahalamen thandee hava a rahee thee. daasee thakee huee thee, vah jara sejapar let gayee. letate hee bechaareeko neend a gayee. kuchh deramen mahaaraanee aayee usane aate hee jo daaseeko apanee sejapar soye dekha to krodhase aagababoola ho gayee aur daaseeko jagaayaa. daasee bechaaree darake maare kaanpane lagee. mahaaraaneene use koda़e lagaane shuroo kiye. do-chaar koda़e lage tabatak to vah udaas rahee aurarotee rahee. peechhe usaka mukh prasann ho gaya aur vah hansane lagee. mahaaraaneeko baड़a aashchary huaa; usane prasannataaka aur hansaneka kaaran poochhaa. tab daaseene kaha - 'mahaaraaneejee ! kasoor maaph ho, mujhe is baatapar hansee a gayee ki main ek din thoda़ee-see derake liye is palangapar so gayee, jisase mujhapar itane bebhaav koda़e pada़ rahe hain. ye mahaaraanee roj isapar sotee hain, inapar pata naheen kitane koड़e pada़enge. tab bhee ye samajh naheen rahee hain aur apane bhavishyapar dhyaan n dekar mujhe maar rahee hain. aapakee is besamajheeparamujhe hansee aayee.'

ek naaeene kisee raaja saahabake tel malate-malateyah kahaanee kahee aur iseese unako vairaagy ho gaya aur ve raaj chhoda़kar gharase nikal pada़e.

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