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सच्चा वीर  [Short Story]
प्रेरक कथा - छोटी सी कहानी (Spiritual Story)

उस समय फ्रांस और ऑस्ट्रियामें युद्ध चल रहा था लॉटूर आवन फ्रांसकी ग्रेनेडियर सेनाका सैनिक था। वह छुट्टी लेकर अपने घर गया था छुट्टी समाप्त होनेपर जब वह लौटने लगा तब मार्गमें पता लगा कि ऑस्ट्रियाकी एक सैनिक टुकड़ी पहाड़ी मार्ग से शीघ्रतापूर्वक फ्रांसके एक छोटेसे पर्वतीय दुर्गकी ओर बढ़ी आ रही है। उस सैनिकने निश्चय किया- 'मैं शत्रुसे पहले पहुँचकर दुर्ग - रक्षकोंको सावधान कर दूंगा और वहाँसे एक सैनिक भेज दूँगा संदेश लेकर, जिससे समय पर सहायताके लिये सेना आ जाय।'

वह दौड़ता हुआ किसी प्रकार उस पहाड़ी किलेमें पहुँचा; किंतु वहाँ पहुँचकर उसने जो कुछ देखा, उससे बहुत दुःख हुआ। दुर्गका द्वार खुला हुआ था। उसके रक्षक शत्रुके आक्रमणका समाचार पाकर भाग गये थे। वे इतनी उतावलीमें भागे थे कि अपनी बंदूकें भी साथ नहीं ले गये थे। आवर्नने झटपट अपना कर्तव्य निश्चित किया। उसने दुर्गका द्वार बंद कर दिया। कुछ भोजन करके उसने सब बंदूकें एकत्र कीं। आजके समान कारतूससे चलनेवाली बंदूकें उस समय नहीं थीं।आवर्नने सब बंदूकें भरीं और उन्हें स्थान-स्थानपर जमाकर लगा दिया। प्रत्येक बंदूकके पास उसने बारूद और गोलियाँ रखीं। यह सब करके वह शत्रुकी प्रतीक्षा करने लगा।

ऑस्ट्रियन सैनिक दुर्गपर अचानक आक्रमण करना चाहते थे। रात्रिके अन्धकारमें वे जैसे ही आगे बढ़े किले के ऊपरसे एक बंदूकका धड़ाका हुआ और उनका एक सैनिक लुढ़क गया। उस समय वे पीछे हट गये। सबेरा होनेपर उनके सेनानायकने व्यूह बनाकर किलेपर आक्रमण किया; किंतु किलेसे आती गोलियोंने उस सेनाके अनेक सैनिकोंको सुला दिया। गोलियाँ कभी एक ओरसे, कभी दूसरी ओरसे, इस प्रकार किलेकी बहुत-सी खिड़कियोंसे आ रही थीं। किला ऊँचाईपर था। उसपर सीधे चढ़ जाना अत्यन्त कठिन था। दिनभर संग्राम चलता रहा; किंतु ऑस्ट्रियन सैनिक आगे नहीं बढ़ सके। उनके बहुत-से सैनिक मरे तथा घायल हुए।

उधर आवर्न दिनभरमें थककर चूर हो गया था। वह समझता था कि कल वह इसी प्रकार किलेको नहींबचा सकेगा। भागे हुए सैनिकोंने फ्रांसीसी सेनाको सावधान कर दिया होगा, यह भी वह अनुमान करता था। उसने संध्या समय पुकारकर ऑस्ट्रियन सेनाके नायकसे कहा- 'यदि दुर्गवासियोंको फ्रांसके झंडे तथा हथियारोंको लेकर निकल जानेका वचन दो तो मैं कल सबेरे किला तुम्हें सौंप दूँगा।'

सेनानायकने आवर्नकी माँग स्वीकार कर ली। प्रातः काल ऑस्ट्रियन सैनिक दो पंक्तियोंमें इस प्रकार खड़े हो गये कि उनके मध्यसे एक-एक करके दुर्गके सैनिक जा सकें। किलेका द्वार खुला। हाथमें फ्रांसका झंडा लिये कंधोंपर ढेरों बंदूकें लादे आवर्न निकला। ऑस्ट्रियन सेनानायकने पूछा- 'दूसरे सैनिक तुम्हारे पीछे आ रहे हैं ?'आवर्न हँसकर बोला- 'मैं ही सैनिक हूँ, मैं ही दुर्गपाल हूँ और मैं ही पूरी सेना हूँ।' उसके इस शौर्य से ऑस्ट्रियन सेनानायक इतना प्रभावित हुआ कि उसने - बंदूकें ले जानेको उसे अपना एक मजदूर दिया तथा एक प्रशंसापत्र लिखकर उसे दिया। इस घटनाका समाचार जब नेपोलियनको मिला तो उसने आवर्नको - फ्रांसके महान् ग्रेनेडियरकी उपाधि दी। आवर्नकी मृत्यु होनेपर भी उसका नाम सैनिक-सूचीसे पृथक् न किया जाय, यह आदेश दिया गया। उसकी मृत्युके पश्चात् भी सैनिकोंकी उपस्थिति लेते समय सैनिक अधिकारी पहले उसका नाम लेकर पुकारता था और एक सैनिक –'वे युद्धभूमिमें नियमितरूपसे उठकर उत्तर देता था - ' अनन्त यशकी शय्यापर सो रहे हैं । '



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sachcha veera

us samay phraans aur ऑstriyaamen yuddh chal raha tha laॉtoor aavan phraansakee grenediyar senaaka sainik thaa. vah chhuttee lekar apane ghar gaya tha chhuttee samaapt honepar jab vah lautane laga tab maargamen pata laga ki ऑstriyaakee ek sainik tukada़ee pahaada़ee maarg se sheeghrataapoorvak phraansake ek chhotese parvateey durgakee or badha़ee a rahee hai. us sainikane nishchay kiyaa- 'main shatruse pahale pahunchakar durg - rakshakonko saavadhaan kar doonga aur vahaanse ek sainik bhej doonga sandesh lekar, jisase samay par sahaayataake liye sena a jaaya.'

vah dauda़ta hua kisee prakaar us pahaada़ee kilemen pahunchaa; kintu vahaan pahunchakar usane jo kuchh dekha, usase bahut duhkh huaa. durgaka dvaar khula hua thaa. usake rakshak shatruke aakramanaka samaachaar paakar bhaag gaye the. ve itanee utaavaleemen bhaage the ki apanee bandooken bhee saath naheen le gaye the. aavarnane jhatapat apana kartavy nishchit kiyaa. usane durgaka dvaar band kar diyaa. kuchh bhojan karake usane sab bandooken ekatr keen. aajake samaan kaaratoosase chalanevaalee bandooken us samay naheen theen.aavarnane sab bandooken bhareen aur unhen sthaana-sthaanapar jamaakar laga diyaa. pratyek bandookake paas usane baarood aur goliyaan rakheen. yah sab karake vah shatrukee prateeksha karane lagaa.

ऑstriyan sainik durgapar achaanak aakraman karana chaahate the. raatrike andhakaaramen ve jaise hee aage badha़e kile ke ooparase ek bandookaka dhada़aaka hua aur unaka ek sainik ludha़k gayaa. us samay ve peechhe hat gaye. sabera honepar unake senaanaayakane vyooh banaakar kilepar aakraman kiyaa; kintu kilese aatee goliyonne us senaake anek sainikonko sula diyaa. goliyaan kabhee ek orase, kabhee doosaree orase, is prakaar kilekee bahuta-see khida़kiyonse a rahee theen. kila oonchaaeepar thaa. usapar seedhe chadha़ jaana atyant kathin thaa. dinabhar sangraam chalata rahaa; kintu ऑstriyan sainik aage naheen badha़ sake. unake bahuta-se sainik mare tatha ghaayal hue.

udhar aavarn dinabharamen thakakar choor ho gaya thaa. vah samajhata tha ki kal vah isee prakaar kileko naheenbacha sakegaa. bhaage hue sainikonne phraanseesee senaako saavadhaan kar diya hoga, yah bhee vah anumaan karata thaa. usane sandhya samay pukaarakar ऑstriyan senaake naayakase kahaa- 'yadi durgavaasiyonko phraansake jhande tatha hathiyaaronko lekar nikal jaaneka vachan do to main kal sabere kila tumhen saunp doongaa.'

senaanaayakane aavarnakee maang sveekaar kar lee. praatah kaal ऑstriyan sainik do panktiyonmen is prakaar khada़e ho gaye ki unake madhyase eka-ek karake durgake sainik ja saken. kileka dvaar khulaa. haathamen phraansaka jhanda liye kandhonpar dheron bandooken laade aavarn nikalaa. ऑstriyan senaanaayakane poochhaa- 'doosare sainik tumhaare peechhe a rahe hain ?'aavarn hansakar bolaa- 'main hee sainik hoon, main hee durgapaal hoon aur main hee pooree sena hoon.' usake is shaury se ऑstriyan senaanaayak itana prabhaavit hua ki usane - bandooken le jaaneko use apana ek majadoor diya tatha ek prashansaapatr likhakar use diyaa. is ghatanaaka samaachaar jab nepoliyanako mila to usane aavarnako - phraansake mahaan grenediyarakee upaadhi dee. aavarnakee mrityu honepar bhee usaka naam sainika-soocheese prithak n kiya jaay, yah aadesh diya gayaa. usakee mrityuke pashchaat bhee sainikonkee upasthiti lete samay sainik adhikaaree pahale usaka naam lekar pukaarata tha aur ek sainik –'ve yuddhabhoomimen niyamitaroopase uthakar uttar deta tha - ' anant yashakee shayyaapar so rahe hain . '

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