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गुरुभक्ति  [बोध कथा]
प्रेरक कथा - Story To Read (छोटी सी कहानी)

औरंगजेबकी आज्ञासे गुरु तेगबहादुरकी दिल्लीमें नृशंसतापूर्वक हत्या कर दी गयी। बादशाहको इतनेसे संतोष नहीं हुआ। उसने आज्ञा दी - 'इस मृत देहकाकिसी प्रकारका संस्कार नहीं हो सकेगा। नगरमें चौराहेपर जहाँ वध किया गया है, वहीं पड़ा पड़ा वह देह सड़ा करेगा। कोई उसे उठाने या छूनेका प्रयत्न करेगा तो उसेभी प्राणदण्ड दिया जायगा।' कुछ सैनिक नियुक्त क दिये गये वहाँ, जिससे कोई उस देहको उठा न ले जाय।

गुरु गोविन्दसिंहजी उस समय सोलह वर्षके बालक थे। 'पिताके शरीरका अन्त्येष्टि संस्कार चाहे जैसे हो, करना ही है।' इस निश्चयसे वे पंजाबसे दिल्ली जा रहे थे; किंतु क्रूर औरंगजेब उनके साथ कैसा व्यवहार करेगा, इसका कोई ठीक ठिकाना नहीं था। सभी लोगोंमें बड़ी चिन्ता व्याप्त थी। उपाय भी कुछ नहीं था; क्योंकि गुरु गोविन्दसिंहजी पिताका अन्तिम संस्कार छोड़ देनेको प्रस्तुत हों, यह कहा भी कैसे जाय।

"आप यहीं गुप्तरूपसे ठहरें! हम दोनों गुरुदेवका शरीर यहीं ले आयेंगे। दिल्ली नगरमें जाना आपके लिये किसी प्रकार निरापद नहीं है।' एक निर्धन गाड़ीवाले सिखने अपने पुत्रके साथ दिल्ली जानेका निश्चय कर लिया और उसने नगरसे कई मील दूर ही गुरु गोविन्दसिंहको रुकने का आग्रह किया। उन पिता-पुत्रके आग्रहको गुरुने स्वीकार किया।

वे पिता -पुत्र दिल्ली आये। पूछ-ताछकर उन्होंने गुरु तेगबहादुरके शरीरका पता लगा लिया। अब उस
शरीरसे तीव्र दुर्गन्ध आने लगी थी। वहाँ नियुक्त सैनिकपर्याप्त दूर हट गये थे और निश्चिन्त होकर आमोद प्रमोदमें लगे रहते थे। लोगोंने वह मार्ग प्रायः छोड़ दिया था। कोई उधरसे आता भी था तो मुख दूसरी ओर करके, नाक दबाकर दूरसे ही चला जाता था।

दोनों पिता-पुत्र जब वहाँ पहुँचे, तब पिताने पुत्रसे कहा – 'हम दोनोंमेंसे एकको प्राणत्याग करना चाहिये: क्योंकि यदि इस शवके स्थानपर दूसरा शव यहाँ ढककर नहीं रखा जायगा तो पहरेदार सैनिकोंकी दृष्टि पड़ते ही वे सावधान हो जायँगे। औरंगजेबके सैनिक सिखोंके एकमात्र आधार बालक दसवें गुरुको ढूँढने निकल पड़ेंगे। तुम युवक हो। तुम्हारा शरीर सबल है। गुरुके इस शरीरको उठाकर तुम भलीप्रकार ले जा सकते हो। इसलिये मुझे मरने दो।'

पुत्र कुछ कहे, इससे पहले तो पिताने अपनी कटार अपनी छाती में मार ली और वह गिर पड़ा। पुत्रने अपने पिताका शव वहाँ मार्गमें लिटाकर ढक लिया और गुरु तेगबहादुरका शरीर कंधेपर उठाकर चल पड़ा। वह निर्विघ्न नगरसे निकल गया; क्योंकि जहाँ इतना त्याग एवं श्रद्धा होती है, वहाँ सम्मुख आनेमें विघ्नोंके देवता के भी पैर काँपते हैं!



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gurubhakti

aurangajebakee aajnaase guru tegabahaadurakee dilleemen nrishansataapoorvak hatya kar dee gayee. baadashaahako itanese santosh naheen huaa. usane aajna dee - 'is mrit dehakaakisee prakaaraka sanskaar naheen ho sakegaa. nagaramen chauraahepar jahaan vadh kiya gaya hai, vaheen pada़a pada़a vah deh sada़a karegaa. koee use uthaane ya chhooneka prayatn karega to usebhee praanadand diya jaayagaa.' kuchh sainik niyukt k diye gaye vahaan, jisase koee us dehako utha n le jaaya.

guru govindasinhajee us samay solah varshake baalak the. 'pitaake shareeraka antyeshti sanskaar chaahe jaise ho, karana hee hai.' is nishchayase ve panjaabase dillee ja rahe the; kintu kroor aurangajeb unake saath kaisa vyavahaar karega, isaka koee theek thikaana naheen thaa. sabhee logonmen bada़ee chinta vyaapt thee. upaay bhee kuchh naheen thaa; kyonki guru govindasinhajee pitaaka antim sanskaar chhoda़ deneko prastut hon, yah kaha bhee kaise jaaya.

"aap yaheen guptaroopase thaharen! ham donon gurudevaka shareer yaheen le aayenge. dillee nagaramen jaana aapake liye kisee prakaar niraapad naheen hai.' ek nirdhan gaada़eevaale sikhane apane putrake saath dillee jaaneka nishchay kar liya aur usane nagarase kaee meel door hee guru govindasinhako rukane ka aagrah kiyaa. un pitaa-putrake aagrahako gurune sveekaar kiyaa.

ve pita -putr dillee aaye. poochha-taachhakar unhonne guru tegabahaadurake shareeraka pata laga liyaa. ab usa
shareerase teevr durgandh aane lagee thee. vahaan niyukt sainikaparyaapt door hat gaye the aur nishchint hokar aamod pramodamen lage rahate the. logonne vah maarg praayah chhoda़ diya thaa. koee udharase aata bhee tha to mukh doosaree or karake, naak dabaakar doorase hee chala jaata thaa.

donon pitaa-putr jab vahaan pahunche, tab pitaane putrase kaha – 'ham dononmense ekako praanatyaag karana chaahiye: kyonki yadi is shavake sthaanapar doosara shav yahaan dhakakar naheen rakha jaayaga to paharedaar sainikonkee drishti pada़te hee ve saavadhaan ho jaayange. aurangajebake sainik sikhonke ekamaatr aadhaar baalak dasaven guruko dhoondhane nikal pada़enge. tum yuvak ho. tumhaara shareer sabal hai. guruke is shareerako uthaakar tum bhaleeprakaar le ja sakate ho. isaliye mujhe marane do.'

putr kuchh kahe, isase pahale to pitaane apanee kataar apanee chhaatee men maar lee aur vah gir pada़aa. putrane apane pitaaka shav vahaan maargamen litaakar dhak liya aur guru tegabahaaduraka shareer kandhepar uthaakar chal pada़aa. vah nirvighn nagarase nikal gayaa; kyonki jahaan itana tyaag evan shraddha hotee hai, vahaan sammukh aanemen vighnonke devata ke bhee pair kaanpate hain!

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