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चोरके साथ चोर  [Spiritual Story]
शिक्षदायक कहानी - Spiritual Story (बोध कथा)

ग्वारिया बाबा वृन्दावनके एक प्रसिद्ध परम भक्त थे। वे पागलकी तरह रहते थे। एक दिन वे अपनी मस्तीमें कहीं पड़े थे। इसी समय दो चोर वहाँ आये 1 और ग्वारिया बाबासे उन्होंने पूछा- 'आप कौन हैं ?'

ग्वारिया बाबा- तुम कौन हो ?

चोर-हम चोर हैं।

ग्वारिया बाबा- मैं भी चोर हूँ।

चोरोंने कहा- तब तो हमारे साथ तुम भी चोरी करने चलो।

ग्वारिया बाबाने कहा-अच्छा चलो।

इतना कहकर वे उनके साथ चोरी करने चल पड़े। चोरोंने एक घरमें सेंध लगायी और वे उसके अंदर घुस गये। वहाँ उन्होंने सामान बाँधना शुरू कर दिया। ग्वारिया बाबा चुपचाप एक ओर बैठे रहे। जब चोरोंने उनको सामान बाँधनेके लिये कहा, तब - 'तुम्हीं बाँधो' कहकर चुप हो रहे। इतनेमें उन्होंने देखा कि वहाँ एक ढोलक पड़ी है। मौज ही तो थी। उसे उठाकर लगे जोरोंसे बजाने। ढोलककी आवाज सुनकर सब घरवाले जग गये। चोर-चोरका हल्ला मचा। हल्ला मचते ही चोर तो भाग गये। लोगोंने बिना समझे बूझे ग्वारिया बाबापर मारकी बौछार शुरू कर दी। बाबाजीने न तो उनको मना किया और न ढोलक बजानी ही बंद की। कुछ देर बाद उनका सिर फट गया और वे लहू-लुहान होकर बेहोश हो गये। फिर कुछ होश आनेपर लोगोंने उनको पहचाना कि-'अरे, ये तो ग्वारिया बाबा हैं।' तब उन्होंने बाबासे पूछा कि 'वे यहाँ कैसे आ गये ?' ग्वारिया बाबाने कहा- 'आया कैसे!' श्यामसुन्दरनेकहा चलो चोरी करने; श्यामसुन्दरके साथ चोरी करने आ गया। उन्होंने तो उधर सामान बांधना शुरू कर दिया, इधर ढोलक देखकर मेरी उसे बजानेकी इच्छा हो गयी। मैं उसे बजाने लगा।' यों कहकर वे हँस पड़े। तब लोगोंने उनकी मरहम-पट्टी की और अपनी असावधानीके लिये उनसे क्षमा माँगी।

अपनी मृत्युके छः महीने पहले उन्होंने अपने हाथोंमें बेड़ियाँ पहन लीं और वे सबसे कहते कि 'सखा श्यामसुन्दरने बाँध दिया है और कहता है कि अब तुझे चलना होगा।'

जब उनकी मृत्युके पाँच दिन शेष रहे, तब उन्होंने एक दिन अपनी भक्तमण्डलीको बुलाया और पूछा कि 'मैं मर जाऊँगा तब तुम कैसे रोओगे।' वे प्रत्येकके पास जाते और उससे रोकर दिखानेको कहते। इस प्रकार उस दिन उन्होंने अपनी भक्तमण्डलीसे खूब खेल किया।

अपनी मृत्युके दिन उन्होंने भक्तमण्डलीमेंसे करीब सोलह-सतरह लोगोंको कह दिया कि 'मैं आज तुम्हारी भिक्षा लूँगा।' सब बना-बनाकर ले आये। उन्होंने उस सारी भिक्षामेंसे करीब तीन हिस्सा भिक्षा खा ली। इसके बाद खूब पानी पिया। करीब दो घंटे बाद उनको दस्त लगने शुरू हुए और वे अचेत होकर पड़ गये। कुछ देर बाद उनकी नाड़ी भी धीमी पड़ने लगी। इसके थोड़ी ही देर बाद वे जोरसे हँसे और बोले-'सखा आ गया' यह कहते-कहते उनका शरीर चेतनाशून्य होकर गिर पड़ा। इधर तो करीब तीन बजे यह घटना हुई। उधर अन्तरङ्ग भक्तोंमेंसे एकको, जो उस समय वहाँसे चार मील दूर था ऐसा लगा मानो बाबा उसके पास आये और उससे बोले कि 'चल मेरे साथ आज ग्वारिया बाबाके बड़ा भारी उत्सव हो रहा है।' वह उनके साथ चल पड़ा। थोड़ी ही दूर आनेपर वे तो गायब हो गये और उसने बाबाके यहाँ जाकर देखा कि उनका शव उठानेकी तैयारी की जा रही है !



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chorake saath chora

gvaariya baaba vrindaavanake ek prasiddh param bhakt the. ve paagalakee tarah rahate the. ek din ve apanee masteemen kaheen pada़e the. isee samay do chor vahaan aaye 1 aur gvaariya baabaase unhonne poochhaa- 'aap kaun hain ?'

gvaariya baabaa- tum kaun ho ?

chora-ham chor hain.

gvaariya baabaa- main bhee chor hoon.

choronne kahaa- tab to hamaare saath tum bhee choree karane chalo.

gvaariya baabaane kahaa-achchha chalo.

itana kahakar ve unake saath choree karane chal pada़e. choronne ek gharamen sendh lagaayee aur ve usake andar ghus gaye. vahaan unhonne saamaan baandhana shuroo kar diyaa. gvaariya baaba chupachaap ek or baithe rahe. jab choronne unako saamaan baandhaneke liye kaha, tab - 'tumheen baandho' kahakar chup ho rahe. itanemen unhonne dekha ki vahaan ek dholak pada़ee hai. mauj hee to thee. use uthaakar lage joronse bajaane. dholakakee aavaaj sunakar sab gharavaale jag gaye. chora-choraka halla machaa. halla machate hee chor to bhaag gaye. logonne bina samajhe boojhe gvaariya baabaapar maarakee bauchhaar shuroo kar dee. baabaajeene n to unako mana kiya aur n dholak bajaanee hee band kee. kuchh der baad unaka sir phat gaya aur ve lahoo-luhaan hokar behosh ho gaye. phir kuchh hosh aanepar logonne unako pahachaana ki-'are, ye to gvaariya baaba hain.' tab unhonne baabaase poochha ki 've yahaan kaise a gaye ?' gvaariya baabaane kahaa- 'aaya kaise!' shyaamasundaranekaha chalo choree karane; shyaamasundarake saath choree karane a gayaa. unhonne to udhar saamaan baandhana shuroo kar diya, idhar dholak dekhakar meree use bajaanekee ichchha ho gayee. main use bajaane lagaa.' yon kahakar ve hans pada़e. tab logonne unakee marahama-pattee kee aur apanee asaavadhaaneeke liye unase kshama maangee.

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jab unakee mrityuke paanch din shesh rahe, tab unhonne ek din apanee bhaktamandaleeko bulaaya aur poochha ki 'main mar jaaoonga tab tum kaise rooge.' ve pratyekake paas jaate aur usase rokar dikhaaneko kahate. is prakaar us din unhonne apanee bhaktamandaleese khoob khel kiyaa.

apanee mrityuke din unhonne bhaktamandaleemense kareeb solaha-satarah logonko kah diya ki 'main aaj tumhaaree bhiksha loongaa.' sab banaa-banaakar le aaye. unhonne us saaree bhikshaamense kareeb teen hissa bhiksha kha lee. isake baad khoob paanee piyaa. kareeb do ghante baad unako dast lagane shuroo hue aur ve achet hokar pada़ gaye. kuchh der baad unakee naada़ee bhee dheemee pada़ne lagee. isake thoda़ee hee der baad ve jorase hanse aur bole-'sakha a gayaa' yah kahate-kahate unaka shareer chetanaashoony hokar gir pada़aa. idhar to kareeb teen baje yah ghatana huee. udhar antarang bhaktonmense ekako, jo us samay vahaanse chaar meel door tha aisa laga maano baaba usake paas aaye aur usase bole ki 'chal mere saath aaj gvaariya baabaake bada़a bhaaree utsav ho raha hai.' vah unake saath chal pada़aa. thoda़ee hee door aanepar ve to gaayab ho gaye aur usane baabaake yahaan jaakar dekha ki unaka shav uthaanekee taiyaaree kee ja rahee hai !

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