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तुकारामजीकी शान्ति  [Hindi Story]
शिक्षदायक कहानी - प्रेरक कहानी (आध्यात्मिक कहानी)

संत तुकारामजी अपने खेतसे गन्ने ला रहे थे। रास्तेमें लोगोंने गन्ने माँगे, उन्होंने दे दिये। एक गन्ना बच रहा, उसे लेकर वे घर पहुँचे। घरमें बड़ी गरीबी थी और भोजनका अभाव था। फिर, उनकी पत्नी जीजीबाई थी भी बड़े करारे स्वभावकी । उसने झुंझलाकर गन्नाउनके हाथसे छीन लिया और उसे बड़े जोरसे उनकी पीठपर दे मारा। गन्नेके दो टुकड़े हो गये। तुकारामजीने हँसकर कहा - 'हम दोनोंके खानेके लिये मुझे दो टुकड़े करने ही पड़ते। तुमने सहज ही कर दिये, बड़ा अच्छा किया।'



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tukaaraamajeekee shaanti

sant tukaaraamajee apane khetase ganne la rahe the. raastemen logonne ganne maange, unhonne de diye. ek ganna bach raha, use lekar ve ghar pahunche. gharamen bada़ee gareebee thee aur bhojanaka abhaav thaa. phir, unakee patnee jeejeebaaee thee bhee bada़e karaare svabhaavakee . usane jhunjhalaakar gannaaunake haathase chheen liya aur use bada़e jorase unakee peethapar de maaraa. ganneke do tukada़e ho gaye. tukaaraamajeene hansakar kaha - 'ham dononke khaaneke liye mujhe do tukada़e karane hee pada़te. tumane sahaj hee kar diye, bada़a achchha kiyaa.'

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