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निष्काम सेवा  [प्रेरक कहानी]
हिन्दी कथा - आध्यात्मिक कहानी (Moral Story)

निष्काम सेवा

एक बार प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टीनने एक कुम्हारकी देखा, जो बहुत सुन्दर मिट्टीके बरतन बना रहा था। आइंस्टीनको उसके बरतन बहुत अच्छे लगे। वे बोले 'ईश्वरकी खातिर कृपया मुझे एक बरतन दे दीजिये।' कुम्हारने एक सबसे सुन्दर बरतन उठाया। उसे साफ करके उसने आइंस्टीनके हाथोंमें दे दिया।
आइंस्टीनने उसकी कीमत पूछी तो वह कुम्हार बोला-'आपने ईश्वरकी खातिर बरतन देनेको कहा था, पैसोंकी खातिर नहीं।'
आइंस्टीन हमेशा इस घटनाको याद करते थे कि 'मैं जो कभी किसी विश्वविद्यालयमें नहीं सीख सका, वह मुझे उस कुम्हारने सिखा दिया। मैंने उससे निष्काम सेवा सीखी।' जीवनसे बढ़कर कोई विश्वविद्यालय नहीं है।



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nishkaam sevaa

nishkaam sevaa

ek baar prasiddh vaijnaanik aainsteenane ek kumhaarakee dekha, jo bahut sundar mitteeke baratan bana raha thaa. aainsteenako usake baratan bahut achchhe lage. ve bole 'eeshvarakee khaatir kripaya mujhe ek baratan de deejiye.' kumhaarane ek sabase sundar baratan uthaayaa. use saaph karake usane aainsteenake haathonmen de diyaa.
aainsteenane usakee keemat poochhee to vah kumhaar bolaa-'aapane eeshvarakee khaatir baratan deneko kaha tha, paisonkee khaatir naheen.'
aainsteen hamesha is ghatanaako yaad karate the ki 'main jo kabhee kisee vishvavidyaalayamen naheen seekh saka, vah mujhe us kumhaarane sikha diyaa. mainne usase nishkaam seva seekhee.' jeevanase badha़kar koee vishvavidyaalay naheen hai.

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