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पापका परिणाम - दारुण रोग  [शिक्षदायक कहानी]
प्रेरक कथा - आध्यात्मिक कथा (प्रेरक कथा)

पापका परिणाम - दारुण रोग

बात पुरानी है, परंतु है सच्ची। पुराने पंजाबके मुजफ्फरगढ़ जिलेमें जंगलके समीप एक छोटा-सा ग्राम था, वहाँ रामदास नामक एक दर्जी रहता था। आसपासके जमींदारोंके परिवारोंके कपड़े सीकर वह अपने परिवारका भरण-पोषण करता था। रामदास सीधा सच्चा भक्त था। उसका साधन था भगवन्नामकीर्तन और भगवान्‌की लीलाओंका गान कभी कपड़ा मीनेकी मशीनकी टिक-टिकके साथ उसका नामोच्चारणका तार बंध जाता, तो कभी हाथकी सिलाईके साथ लीला- पदोंका गान होता नाम कीर्तनसे उसका हृदय निर्मल हो गया था। अतः उसका श्रीभगवान से प्रेम तथा संसारसे वैराग्य हो गया। उसका जीवन शान्तिमय तथा सन्तोषपरायण था। वह हर समय प्रभुकृपाका अनुभव करने लगा।
एक असहिष्णु मुसलमान पड़ोसीको उसका शान्ति सन्तोषसे रहना बुरा लगा। वह सोचता था कि यदि इस काफिरकी मशीन न रहे, तो यह अपनी आजीविका अर्जनन कर सकेगा और तब यह और कहीं चला जायगा।
एक दिन उचित अवसर मिलनेपर उसने भक्तजीको कपड़ा सीनेकी मशीन चुरा ली।
भक्तजी सोचने लगे कि 'मेरे प्रभुको मशीनकी टिक-टिक अच्छी नहीं लगती होगी, तभी तो उन्होंने उसे उठवा दिया है।' वे प्रसन्नचित्तसे हाथसे ही कपड़े सोने लगे। उन्होंने मशीनके चले जानेकी सूचना भी पुलिसमें नहीं दी।
इधर भगवान्‌की भक्तवत्सलता जाग्रत् हुई। उनसे भक्तकी यह हानि न देखी गयी। चोरीके दूसरे ही दिन चोरके दायें हाथ की हथेलीमें एक भीषण फोड़ा निकला, जिसमें इतनी पीड़ा थी कि न दिनको चैन, न रातको नींद आती थी। दूसरे ही दिन उसे सरकारी अस्पतालमें जाना पड़ा। डॉक्टरने नश्तर लगाकर पट्टी बाँध दी। औषध प्रयोगसे जब फोड़ा कुछ अच्छा होने लगता, तब दूसरा फोड़ा निकल आता डॉक्टरकी समझमें नहीं आ रहा था कि सारे प्रयत्न करनेपर भी उसका हाथ क्यों नहीं अच्छा होता। अन्तमें वह इस निश्चयपर पहुँचा कि रोगीने अवश्य ही इस हाथसे कोई घोर पाप किया है।
उसने रोगीसे स्पष्ट कह दिया कि तुमने इस हाथसे कोई घोर पाप किया है, जिसके कारण मेरी अनुभवसिद्ध औषधियोंका प्रयोग करनेपर भी लाभ नहीं होता। तुम्हें अल्लाहसे अपना अपराध क्षमा कराना होगा।
रोगी समझ गया कि रामदासकी कपड़ा सीनेकी मशीन चुरानेसे ही उसे कष्ट भुगतना पड़ा है। उसने ग्राममें आकर उचित अवसरपर मशीन भक्तजीके घरपर रख दी और उसके हाथका फोड़ा भी शीघ्र ही ठीक हो गया। [ श्रीनिरंजनदासजी 'धीर' ]



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paapaka parinaam - daarun roga

paapaka parinaam - daarun rog

baat puraanee hai, parantu hai sachchee. puraane panjaabake mujaphpharagaढ़ jilemen jangalake sameep ek chhotaa-sa graam tha, vahaan raamadaas naamak ek darjee rahata thaa. aasapaasake jameendaaronke parivaaronke kapada़e seekar vah apane parivaaraka bharana-poshan karata thaa. raamadaas seedha sachcha bhakt thaa. usaka saadhan tha bhagavannaamakeertan aur bhagavaan‌kee leelaaonka gaan kabhee kapada़a meenekee masheenakee tika-tikake saath usaka naamochchaaranaka taar bandh jaata, to kabhee haathakee silaaeeke saath leelaa- padonka gaan hota naam keertanase usaka hriday nirmal ho gaya thaa. atah usaka shreebhagavaan se prem tatha sansaarase vairaagy ho gayaa. usaka jeevan shaantimay tatha santoshaparaayan thaa. vah har samay prabhukripaaka anubhav karane lagaa.
ek asahishnu musalamaan pada़oseeko usaka shaanti santoshase rahana bura lagaa. vah sochata tha ki yadi is kaaphirakee masheen n rahe, to yah apanee aajeevika arjanan kar sakega aur tab yah aur kaheen chala jaayagaa.
ek din uchit avasar milanepar usane bhaktajeeko kapada़a seenekee masheen chura lee.
bhaktajee sochane lage ki 'mere prabhuko masheenakee tika-tik achchhee naheen lagatee hogee, tabhee to unhonne use uthava diya hai.' ve prasannachittase haathase hee kapada़e sone lage. unhonne masheenake chale jaanekee soochana bhee pulisamen naheen dee.
idhar bhagavaan‌kee bhaktavatsalata jaagrat huee. unase bhaktakee yah haani n dekhee gayee. choreeke doosare hee din chorake daayen haath kee hatheleemen ek bheeshan phoda़a nikala, jisamen itanee peeda़a thee ki n dinako chain, n raatako neend aatee thee. doosare hee din use sarakaaree aspataalamen jaana pada़aa. daॉktarane nashtar lagaakar pattee baandh dee. aushadh prayogase jab phoda़a kuchh achchha hone lagata, tab doosara phoda़a nikal aata daॉktarakee samajhamen naheen a raha tha ki saare prayatn karanepar bhee usaka haath kyon naheen achchha hotaa. antamen vah is nishchayapar pahuncha ki rogeene avashy hee is haathase koee ghor paap kiya hai.
usane rogeese spasht kah diya ki tumane is haathase koee ghor paap kiya hai, jisake kaaran meree anubhavasiddh aushadhiyonka prayog karanepar bhee laabh naheen hotaa. tumhen allaahase apana aparaadh kshama karaana hogaa.
rogee samajh gaya ki raamadaasakee kapada़a seenekee masheen churaanese hee use kasht bhugatana pada़a hai. usane graamamen aakar uchit avasarapar masheen bhaktajeeke gharapar rakh dee aur usake haathaka phoda़a bhee sheeghr hee theek ho gayaa. [ shreeniranjanadaasajee 'dheera' ]

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