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न्यूटनकी निरभिमानता  [प्रेरक कहानी]
Short Story - हिन्दी कहानी (आध्यात्मिक कहानी)

लन्दनके वेस्ट मिनिस्टरके विशाल मन्दिरमें आइजक न्यूटनकी समाधि है। वहाँ बहुत-से स्त्री-पुरुष और बच्चे उसकी समाधिके पास जाकर कुछ क्षण रुक जाते हैं, कुछ चिन्तन करते हैं; क्योंकि उसे बड़ा भारी प्रतिभाशाली और चिन्तनशील व्यक्ति समझते हैं और वह था भी ऐसा ही।न्यूटनका जन्म 1642 के 25वीं दिसम्बरको हुआ था। दुनिया भरकी विपत्तियोंके बावजूद भी उसने केवल बाईस वर्षकी अवस्थामें ही (Binomeal theorem) बीजगणितके द्विपद सिद्धान्तका आविष्कार किया था। उसने प्रकृतिका गम्भीर अध्ययन किया और 'गुरुत्वाकर्षण' (Theforce of gravitation) आदि सिद्धान्तोंका आविष्कार किया। सूर्यकी किरणों में सात रंग क्यों हैं। सूर्य-चन्द्रमाकी क्षीणता और पूर्णता के कारण समुद्रमें ज्वार-भाटा क्यों होता है; ये सभी गुरुत्वाकर्षणसिद्धान्तके अन्तर्गत समझे जाते हैं। न्यूटनकी विद्या - बुद्धिपर सारे इंग्लैंडको गर्व था और है। इतनेपर भी न्यूटनको स्वयं अपने विद्या-बुद्धिका कोई गर्व न था, लेशमात्र भी अहंकार न था।

न्यूटनको एक दिन एक महिला मिली, जिसने उसकी बड़ी भारी प्रशंसा की और उसकी विद्या बुद्धिकी मुक्त कण्ठसे सराहना की।न्यूटनने कहा- 'अरे! (तुम कहाँकी बातें कर रही हो) – मैं तो उस बच्चेके ही समान हूँ जो सत्यके विशाल समुद्रके किनारे बैठा हुआ केवल कंकड़ोंको ही चुनता रहा।' अर्थात् विद्याके अगाध वारिधिमें तो मैंने

प्रवेश ही नहीं किया*। न्यूटनके मौखिक शब्द हैं "Alas! I am only like a child picking up pebbles on the shore of the giant ocean of truth." 1.9

(F. J. Gould's Youth's Noble Path)

-जा0 श0



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nyootanakee nirabhimaanataa

landanake vest ministarake vishaal mandiramen aaijak nyootanakee samaadhi hai. vahaan bahuta-se stree-purush aur bachche usakee samaadhike paas jaakar kuchh kshan ruk jaate hain, kuchh chintan karate hain; kyonki use bada़a bhaaree pratibhaashaalee aur chintanasheel vyakti samajhate hain aur vah tha bhee aisa hee.nyootanaka janm 1642 ke 25veen disambarako hua thaa. duniya bharakee vipattiyonke baavajood bhee usane keval baaees varshakee avasthaamen hee (Binomeal theorem) beejaganitake dvipad siddhaantaka aavishkaar kiya thaa. usane prakritika gambheer adhyayan kiya aur 'gurutvaakarshana' (Theforce of gravitation) aadi siddhaantonka aavishkaar kiyaa. sooryakee kiranon men saat rang kyon hain. soorya-chandramaakee ksheenata aur poornata ke kaaran samudramen jvaara-bhaata kyon hota hai; ye sabhee gurutvaakarshanasiddhaantake antargat samajhe jaate hain. nyootanakee vidya - buddhipar saare inglaindako garv tha aur hai. itanepar bhee nyootanako svayan apane vidyaa-buddhika koee garv n tha, leshamaatr bhee ahankaar n thaa.

nyootanako ek din ek mahila milee, jisane usakee bada़ee bhaaree prashansa kee aur usakee vidya buddhikee mukt kanthase saraahana kee.nyootanane kahaa- 'are! (tum kahaankee baaten kar rahee ho) – main to us bachcheke hee samaan hoon jo satyake vishaal samudrake kinaare baitha hua keval kankada़onko hee chunata rahaa.' arthaat vidyaake agaadh vaaridhimen to mainne

pravesh hee naheen kiyaa*. nyootanake maukhik shabd hain "Alas! I am only like child picking up pebbles on the shore of the giant ocean of truth." 1.9

(F. J. Gould's Youth's Noble Path)

-jaa0 sha0

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