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पैदल यात्रा  [Moral Story]
प्रेरक कहानी - बोध कथा (Spiritual Story)

"महाराज! आपका पैदल जाना कदापि उचित नहीं है। रास्ता ऊखड़-खाबड़ है तथा शान्तिपुरसे नीलाचलतक पैदल जानेसे स्वास्थ्य बिगड़ जायगा।' शिष्योंने महात्मा विजयकृष्ण गोस्वामीसे प्रार्थना की।

'तुमलोग अपने भावके अनुसार बिलकुल ठीक कहते
हो। पर मुझे अपने पूर्वज अद्वैताचार्यका, जिन्होंने महाभावमें निमग्र महाप्रभु श्रीचैतन्यकी लीलाका रसास्वादन कियाथा, स्मरण होते ही मनमें विश्वास हो जाता है कि भगवान् जगन्नाथ मेरा प्रेमसे आलिङ्गन करनेके लिये तथा अपने चरणोंमें स्थान देनेके लिये कितने उत्सुक हैं। तुम्हें यह बात अच्छी तरह विदित ही है कि मेरे पिताने नीलाचल क्षेत्रकी दण्डौती यात्रा पूरी की थी। उनके चरणोंमें बड़े बड़े छाले पड़ गये थे, तलवेसे रक्त बह रहा था, पर उन्होंने यात्रा पूरी कर दी। अतएव मैं पैदल ही जाऊँगाकेवल लाठी लेकर; मेरे साथ कोई दूसरा नहीं जायगा।' उनका रोम-रोम पुलकित था। नयनोंसे अश्रुपात हो रहा था। वे चल पड़े। उनकी श्रद्धा साकार हो उठी।

'महाराज ! बड़े भाग्यसे इस जन्ममें हमलोगोंको आप ऐसे पुण्यात्माका साथ मिला है। हमें अपने सङ्गसे वञ्चित न कीजिये।' कुछ शिष्योंने उनके हृदयकी करुणाका दरवाजा खटखटाया। अन्तमें इस यात्रामें पचास शिष्योंने उनका साथ दिया। शेष व्यक्ति अपनेआपको नहीं सम्हाल सके। वे उनके वियोगकी आशङ्कासे फूट-फूटकर रोने लगे ।

'आपलोग यह क्या कर रहे हैं। आशीर्वाद दीजिये कि जगन्नाथदेव मुझे स्वीकार कर लें; आपलोग प्रार्थना करें कि वे मुझे अपने चरणोंमें शरण दें।'

महात्मा विजयकृष्ण गोस्वामीने पैदल यात्रा आरम्भ की। उनके जय-जयकारसे यात्रापथ धन्य हो उठा। उनके हृदयकी श्रद्धा फलवती हो उठी।

P - रा0 श्री0



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paidal yaatraa

"mahaaraaja! aapaka paidal jaana kadaapi uchit naheen hai. raasta ookhada़-khaabada़ hai tatha shaantipurase neelaachalatak paidal jaanese svaasthy bigada़ jaayagaa.' shishyonne mahaatma vijayakrishn gosvaameese praarthana kee.

'tumalog apane bhaavake anusaar bilakul theek kahate
ho. par mujhe apane poorvaj advaitaachaaryaka, jinhonne mahaabhaavamen nimagr mahaaprabhu shreechaitanyakee leelaaka rasaasvaadan kiyaatha, smaran hote hee manamen vishvaas ho jaata hai ki bhagavaan jagannaath mera premase aalingan karaneke liye tatha apane charanonmen sthaan deneke liye kitane utsuk hain. tumhen yah baat achchhee tarah vidit hee hai ki mere pitaane neelaachal kshetrakee dandautee yaatra pooree kee thee. unake charanonmen bada़e bada़e chhaale pada़ gaye the, talavese rakt bah raha tha, par unhonne yaatra pooree kar dee. ataev main paidal hee jaaoongaakeval laathee lekara; mere saath koee doosara naheen jaayagaa.' unaka roma-rom pulakit thaa. nayanonse ashrupaat ho raha thaa. ve chal pada़e. unakee shraddha saakaar ho uthee.

'mahaaraaj ! bada़e bhaagyase is janmamen hamalogonko aap aise punyaatmaaka saath mila hai. hamen apane sangase vanchit n keejiye.' kuchh shishyonne unake hridayakee karunaaka daravaaja khatakhataayaa. antamen is yaatraamen pachaas shishyonne unaka saath diyaa. shesh vyakti apaneaapako naheen samhaal sake. ve unake viyogakee aashankaase phoota-phootakar rone lage .

'aapalog yah kya kar rahe hain. aasheervaad deejiye ki jagannaathadev mujhe sveekaar kar len; aapalog praarthana karen ki ve mujhe apane charanonmen sharan den.'

mahaatma vijayakrishn gosvaameene paidal yaatra aarambh kee. unake jaya-jayakaarase yaatraapath dhany ho uthaa. unake hridayakee shraddha phalavatee ho uthee.

P - raa0 shree0

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