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ब्रह्मज्ञान कब होता है  [Hindi Story]
Story To Read - Spiritual Story (Moral Story)

दक्षिणेश्वरमें एक दिन एक अवधूत आये। उनके केश और नख बढ़े हुए थे, शरीर धूलिसे सना था, मैली फटी गुदड़ी पहन रखी थी उन्होंने जब भिखारियों को भोजन दिया जाने लगा, तब भिखारियोंने भी उनके गंदे वेशके कारण उन्हें अपनी पंक्तिमें नहीं बैठने दिया। वे चुपचाप वहाँसे हट गये। जब सब लोग भोजन कर चुके और जूठी पत्तलें फेंक दी गयीं, तब लोगोंने देखा कि एक पत्तलमें बचे अन्नको एक कुत्ता खा रहा है और कुत्तेके गलेमें एक हाथ डाले वे महात्मा भी उसी पत्तलका अन्न खा रहे हैं।परमहंस रामकृष्णदेवने 'हृदय' से कहा – 'लोग इन्हें पागल समझते हैं, किंतु ये तो परम ज्ञानी हैं। शरीराभिमानसे ये ऊपर उठ चुके हैं।'

खा-पीकर जब वे जाने लगे, तब हृदय उनके पीछे लग गया। उसने प्रार्थना की- 'महाराज! मुझे ब्रह्मज्ञान कब होगा ?'

संतने मुड़कर देखा हृदयकी ओर और अपनी मस्तीमें ही बोले - 'जब तुझे नालीके गंदे पानी और गङ्गाजलमें कुछ भेद नहीं जान पड़ेगा, तब ब्रह्मज्ञान होगा।'

-सु0 सिं0



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brahmajnaan kab hota hai

dakshineshvaramen ek din ek avadhoot aaye. unake kesh aur nakh badha़e hue the, shareer dhoolise sana tha, mailee phatee gudada़ee pahan rakhee thee unhonne jab bhikhaariyon ko bhojan diya jaane laga, tab bhikhaariyonne bhee unake gande veshake kaaran unhen apanee panktimen naheen baithane diyaa. ve chupachaap vahaanse hat gaye. jab sab log bhojan kar chuke aur joothee pattalen phenk dee gayeen, tab logonne dekha ki ek pattalamen bache annako ek kutta kha raha hai aur kutteke galemen ek haath daale ve mahaatma bhee usee pattalaka ann kha rahe hain.paramahans raamakrishnadevane 'hridaya' se kaha – 'log inhen paagal samajhate hain, kintu ye to param jnaanee hain. shareeraabhimaanase ye oopar uth chuke hain.'

khaa-peekar jab ve jaane lage, tab hriday unake peechhe lag gayaa. usane praarthana kee- 'mahaaraaja! mujhe brahmajnaan kab hoga ?'

santane muda़kar dekha hridayakee or aur apanee masteemen hee bole - 'jab tujhe naaleeke gande paanee aur gangaajalamen kuchh bhed naheen jaan pada़ega, tab brahmajnaan hogaa.'

-su0 sin0

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