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प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरेका सेवक है  [आध्यात्मिक कथा]
Shikshaprad Kahani - Hindi Story (छोटी सी कहानी)

अफ्रीकामें कमेराका हब्शी राजा बहुत अभिमानी था, वह ऐश्वर्यके उन्मादमें सदा मग्न रहता था। लोग उससे बहुत डरते थे और उसकी छोटी-से-छोटी इच्छाकी भी पूर्ति करनेमें दत्तचित्त रहते थे।

एक दिन वह अपनी राजसभामें बैठकर डींग हाँक रहा था कि सब लोग मेरे सेवक हैं। उस समय एक वृद्ध हब्शीने जो बड़ा बुद्धिमान् और कार्यकुशल था, उसके कथनका विरोध किया। उसका नाम बोकबार था ।

'प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरेका सेवक है।' वृद्धके इस कथनसे राजा सिरसे पैरतक जल उठा। 'इसका आशय यह है कि मैं तुम्हारा सेवक हूँ। मुझे विवश कर दो अपनी सेवा करनेको। मैं तुम्हेंसौ गायें पुरस्कारस्वरूप प्रदान करूँगा । यदि तुम शामतक मुझे अपना सेवक नहीं सिद्ध कर सकोगे तो मैं तुम्हें मार डालूँगा और लोगोंको समझा दूँगा कि मैं तुम्हारा मालिक हूँ।' कमेरानरेशने बोकबारको धमकी दी।

'बहुत ठीक' बोकबारने प्रणाम किया । वृद्ध होनेके नाते चलनेके लिये वह अपने पास एक छड़ी रखता था। ज्यों ही वह राज-सभासे बाहर निकल रहा था त्यों ही एक भिखारी आ पहुँचा।

'मुझे आज्ञा दीजिये कि मैं इस भिखारीको कुछ खानेके लिये दूँ।' बोकबारने राजासे निवेदन किया। दोनों हाथमें भोजनकी सामग्री लेकर वह बुढ़ापेकेकारण राजाके निकट ही थर-थर काँपने लगा। बगलसे छड़ी जमीनपर गिर पड़ी और उसके कपड़ेमें उलझ गयी तथा वह बझकर गिरनेवाला ही था कि उसने राजासे छड़ी उठा देनेकी प्रार्थना की। राजाने बिना

सोचे-समझे छड़ी उठा दी। बोकबार ठठाकर हँस पड़ा। 'आपने देखा कि सज्जन लोग एक दूसरेके सेवकहोते हैं। मैंने भिखारीकी सेवा की और आप मेरी सेवा कर रहे हैं। मुझे गायोंकी आवश्यकता नहीं है। आप उन्हें इस दीन भिखारीको दे दीजिये।' बोकबारने अपने कथनकी सत्यता प्रमाणित की । राजाने प्रसन्न होकर बोकबारको अपना मन्त्री बना लिया। - रा0 श्री0



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pratyek vyakti ek doosareka sevak hai

aphreekaamen kameraaka habshee raaja bahut abhimaanee tha, vah aishvaryake unmaadamen sada magn rahata thaa. log usase bahut darate the aur usakee chhotee-se-chhotee ichchhaakee bhee poorti karanemen dattachitt rahate the.

ek din vah apanee raajasabhaamen baithakar deeng haank raha tha ki sab log mere sevak hain. us samay ek vriddh habsheene jo baड़a buddhimaan aur kaaryakushal tha, usake kathanaka virodh kiyaa. usaka naam bokabaar tha .

'pratyek vyakti eka-doosareka sevak hai.' vriddhake is kathanase raaja sirase pairatak jal uthaa. 'isaka aashay yah hai ki main tumhaara sevak hoon. mujhe vivash kar do apanee seva karaneko. main tumhensau gaayen puraskaarasvaroop pradaan karoonga . yadi tum shaamatak mujhe apana sevak naheen siddh kar sakoge to main tumhen maar daaloonga aur logonko samajha doonga ki main tumhaara maalik hoon.' kameraanareshane bokabaarako dhamakee dee.

'bahut theeka' bokabaarane pranaam kiya . vriddh honeke naate chalaneke liye vah apane paas ek chhada़ee rakhata thaa. jyon hee vah raaja-sabhaase baahar nikal raha tha tyon hee ek bhikhaaree a pahunchaa.

'mujhe aajna deejiye ki main is bhikhaareeko kuchh khaaneke liye doon.' bokabaarane raajaase nivedan kiyaa. donon haathamen bhojanakee saamagree lekar vah budha़aapekekaaran raajaake nikat hee thara-thar kaanpane lagaa. bagalase chhada़ee jameenapar gir pada़ee aur usake kapada़emen ulajh gayee tatha vah bajhakar giranevaala hee tha ki usane raajaase chhada़ee utha denekee praarthana kee. raajaane binaa

soche-samajhe chhada़ee utha dee. bokabaar thathaakar hans pada़aa. 'aapane dekha ki sajjan log ek doosareke sevakahote hain. mainne bhikhaareekee seva kee aur aap meree seva kar rahe hain. mujhe gaayonkee aavashyakata naheen hai. aap unhen is deen bhikhaareeko de deejiye.' bokabaarane apane kathanakee satyata pramaanit kee . raajaane prasann hokar bokabaarako apana mantree bana liyaa. - raa0 shree0

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