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दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः !  [छोटी सी कहानी]
Hindi Story - Shikshaprad Kahani (आध्यात्मिक कहानी)

लोकमान्य तिलक कितने स्थितप्रज्ञ थे, यह उनके जीवनकी अनेक घटनाओंसे प्रकट है। एक बार वे अपने कार्यालयमें किसी महत्त्वपूर्ण प्रश्नपर विचार कर रहे थे। प्रश्न बड़ा ही जटिल और राजनीतिक था। इधर उनके ज्येष्ठ पुत्र कई दिनोंसे बीमार थे।

एकाएक चपरासीने आकर कहा- 'बड़े लड़के साहबकी तबीयत बहुत खराब है।' तिलकने कुछ भी ध्यान नहीं दिया। वे अपने काममें लगे रहे। थोड़ी देर बाद उनके एक सहयोगीने आकरकहा—'पुत्र इतना अस्वस्थ है कि कब क्या हो जाय कहा नहीं जा सकता। फिर भी आप अपने काममें ही उलझे हैं! तिलकने प्रश्नोत्तरोंसे काममें बाधा होती देख बड़ी | उपेक्षासे कहा-'उसके लिये डॉक्टरोंको कह दिया है। वे देख ही लेंगे। मैं जाकर क्या करूँगा। यह काम तो मुझे ही न करना है।' साथी चला गया। काम पूरा करके लोकमान्य शामको घर लौटे तो पुत्रका प्राणोत्क्रमण हो चुका था। लगे हाथ कपड़े उतार वे उसकी महायात्राकी तैयारीमें जुट पड़े।

- गो0 न0 0



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duhkheshvanudvignamanaah !

lokamaany tilak kitane sthitaprajn the, yah unake jeevanakee anek ghatanaaonse prakat hai. ek baar ve apane kaaryaalayamen kisee mahattvapoorn prashnapar vichaar kar rahe the. prashn bada़a hee jatil aur raajaneetik thaa. idhar unake jyeshth putr kaee dinonse beemaar the.

ekaaek chaparaaseene aakar kahaa- 'bada़e lada़ke saahabakee tabeeyat bahut kharaab hai.' tilakane kuchh bhee dhyaan naheen diyaa. ve apane kaamamen lage rahe. thoda़ee der baad unake ek sahayogeene aakarakahaa—'putr itana asvasth hai ki kab kya ho jaay kaha naheen ja sakataa. phir bhee aap apane kaamamen hee ulajhe hain! tilakane prashnottaronse kaamamen baadha hotee dekh bada़ee | upekshaase kahaa-'usake liye daॉktaronko kah diya hai. ve dekh hee lenge. main jaakar kya karoongaa. yah kaam to mujhe hee n karana hai.' saathee chala gayaa. kaam poora karake lokamaany shaamako ghar laute to putraka praanotkraman ho chuka thaa. lage haath kapada़e utaar ve usakee mahaayaatraakee taiyaareemen jut pada़e.

- go0 na0 0

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