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फकीरी क्यों  [Wisdom Story]
Spiritual Story - Hindi Story (बोध कथा)

इब्राहिमसे एक दिन किसीने पूछा- 'आप तो राजा थे। जगत्के समस्त वैभव आपके चरणों में सिर झुकाते थे। फिर आपने सबको ठोकर मारकर फकीरी क्यों ले ली ?' महात्मा इब्राहिमने बड़ी गम्भीरतासे उत्तर दिया'भाई! मुझे राज्यसुख अमित सुख दे रहा था, किंतु एक दिन मैंने शीशेमें देखा कि मेरे महलके स्थानमें श्मशानका प्रतिबिम्ब पड़ रहा था। उक्त श्मशान में केवल मेँ था। माता-पिता, भाई-बहिन और पत्नी-पुत्रकोई भी वहाँ नहीं थे। अत्यन्त विस्तृत एवं भयानक पथ था। वहाँ एक तेजस्वी न्यायाधीश थे। उनके सामने मेरे निर्दोष होनेका युक्तिपूर्ण दिया हुआ प्रमाण सर्वथाअनुपयुक्त सिद्ध हो रहा था । विवश, असहाय और निरुपाय था। इसी कारण सब कुछ छोड़कर मैंने फकीरी ले ली।' -शि0 दु0



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phakeeree kyon

ibraahimase ek din kiseene poochhaa- 'aap to raaja the. jagatke samast vaibhav aapake charanon men sir jhukaate the. phir aapane sabako thokar maarakar phakeeree kyon le lee ?' mahaatma ibraahimane bada़ee gambheerataase uttar diyaa'bhaaee! mujhe raajyasukh amit sukh de raha tha, kintu ek din mainne sheeshemen dekha ki mere mahalake sthaanamen shmashaanaka pratibimb pada़ raha thaa. ukt shmashaan men keval men thaa. maataa-pita, bhaaee-bahin aur patnee-putrakoee bhee vahaan naheen the. atyant vistrit evan bhayaanak path thaa. vahaan ek tejasvee nyaayaadheesh the. unake saamane mere nirdosh honeka yuktipoorn diya hua pramaan sarvathaaanupayukt siddh ho raha tha . vivash, asahaay aur nirupaay thaa. isee kaaran sab kuchh chhoda़kar mainne phakeeree le lee.' -shi0 du0

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