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भगवतीने कन्यारूपसे टटिया बाँधी  [Spiritual Story]
आध्यात्मिक कथा - Hindi Story (आध्यात्मिक कहानी)

भक्तशिरोमणि कविवर रामप्रसाद सेनने अपने जीवनकालमें ही देवी उमाका साक्षात्कार किया था। इतनी थी उनकी प्रगाढ भक्ति एवं भगवतीके चरणोंकी लवलीनता। कहा जाता है कि एक बार आपने अपनी कुटियाके लिये कुछ बाँसके डंठल, घास-फूस एवं डोरी लेकर टटिया (बेड़ा) बाँधनेका उपक्रम किया। समय था अपराह्न काल। भक्तप्रवरने सोचा कि क्यों नहीं माँ उमा (उनकी लड़कीका नाम) से ही सहायता लेकर बेड़ा बाँध लिया जाय। उन्होंने 'माँ उमा, माँ उमा' कहकर पुकारा। माँ उमा (उनकी लड़की) उस समय अपनी सखियोंके घर खेलने गयी थी। उनको इसका क्या पता था। वे तो दो-चार बार माँ उमाको पुकारकर अपने कार्यमें लग गये। सङ्गीत उनके हृदयसे निःसृत हो रहा था, जिसमें उनकी तपी तपायी भक्तिका भाव स्रोत फूट रहा था और वे थे भावमें तल्लीन। इस पारसे डोरीको उन्होंने दिया, परंतु उस ओरसे डोरी तो आनी ही चाहिये। नहीं तो, बेड़ा बँधता किस तरह! भगवती उमाने अपने बेटेके कष्ट एवं निश्छलताको देखा और माँ दौड़ पड़ी संतानकी मददके लिये। फिर तो क्या था । दोनों ओरसे डोरी आ-जा रही थी और इस तरह वह बेड़ा बँधकर सङ्गीत-लहरीके शेष होते-होते तैयार हो गया। माँकी कैसी विडम्बना? संतानकी पुकारपर क्षणभरमें दौड़ पड़ना और फिर आँखोंसे ओझल !ठीक उसी समय आती है उनकी कन्या माँ उमा। उमाने आते ही आश्चर्यसे पूछा कि 'बाबा! क्या ही बढ़ियाँ बेड़ा बाँधा है आपने, क्योंकर आपसे अकेले ऐसा सम्भव हो पाया।' पिताने स्मित हँसी हँसकर कहा कि 'बेटी! बिना तेरी मददके यह क्योंकर सम्भव हो पाता, तूने ही तो इस ओरसे डोरी दे-देकर मेरी सहायता की और तभी तो यह सुन्दर बेड़ा बँधकर सामने है।' कन्याके आश्चर्यका कोई ठिकाना नहीं रहा, जब उसने अपनी मददकी बातें सुनीं तब बतलाया कि वह तो अपनी सहेलियोंके साथ खेल रही थी। वह तो अभी अभी बेड़ाके बँध जानेपर आयी है। पहले तो रामप्रसादजीने सहसा विश्वास ही नहीं किया। परंतु कन्याके बार-बार कहनेपर उनको बड़ा ही आश्चर्य हुआ और तब भक्तने समझा कि भगवती उमाने ही आकर उनकी सहायता की थी और भक्तप्रवर फूट-फूटकर रोने लगे एवं सङ्गीतलहरी फिर पूर्वकी तरह प्रवाहित हो चली। यह उनके जीवनकी एक सच्ची किंतु अलौकिक घटना है, जिसका उनके एक तत्सम्बन्धी सङ्गीतसे भी पता चलता है

मन केन मार चरण छाड़ा ।।

ओ मन भाव शक्ति, पाबे मुक्ति, बाँधो दिया भक्ति दड़ा

समय थाकते ना देखले मन, केमन तोमार कपाल पोड़ा

मा भक्ते छलिते, तनया रूपेते बाँधेन आसि घरेर बेड़ा

जेई ध्याबे एक मने, सेई पाबे कालिका तारा

ताई देखो कन्यारूपे, रामप्रसादेर बाँधछे बेड़ा ॥ 1 ॥

अर्थ यों है

रे मन ! तुमने माँके चरणको क्यों छोड़ दिया ? ओ मन ! शक्तिरूपिणी माँका चिन्तन करो, तुम्हें मुक्ति प्राप्त होगी। भक्तिरूपी रस्सीसे उसे बाँध लो । रे मन !तुमने समय रहते माँको नहीं देख पाया, तुम्हारा कैसा जला हुआ कपाल था । भक्तको छलनेके लिये माँने कन्या रूपमें आकर घरका बेड़ा बाँध दिया। जो एक मनसे माँका ध्यान करेगा, वही माँ कालिका ताराको पायेगा। तभी तो माँ उमाने कन्यारूपसे रामप्रसादका बेड़ा बाँधा ।



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bhagavateene kanyaaroopase tatiya baandhee

bhaktashiromani kavivar raamaprasaad senane apane jeevanakaalamen hee devee umaaka saakshaatkaar kiya thaa. itanee thee unakee pragaadh bhakti evan bhagavateeke charanonkee lavaleenataa. kaha jaata hai ki ek baar aapane apanee kutiyaake liye kuchh baansake danthal, ghaasa-phoos evan doree lekar tatiya (beda़aa) baandhaneka upakram kiyaa. samay tha aparaahn kaala. bhaktapravarane socha ki kyon naheen maan uma (unakee lada़keeka naama) se hee sahaayata lekar beda़a baandh liya jaaya. unhonne 'maan uma, maan umaa' kahakar pukaaraa. maan uma (unakee lada़kee) us samay apanee sakhiyonke ghar khelane gayee thee. unako isaka kya pata thaa. ve to do-chaar baar maan umaako pukaarakar apane kaaryamen lag gaye. sangeet unake hridayase nihsrit ho raha tha, jisamen unakee tapee tapaayee bhaktika bhaav srot phoot raha tha aur ve the bhaavamen talleena. is paarase doreeko unhonne diya, parantu us orase doree to aanee hee chaahiye. naheen to, beda़a bandhata kis taraha! bhagavatee umaane apane beteke kasht evan nishchhalataako dekha aur maan dauda़ pada़ee santaanakee madadake liye. phir to kya tha . donon orase doree aa-ja rahee thee aur is tarah vah beड़a bandhakar sangeeta-lahareeke shesh hote-hote taiyaar ho gayaa. maankee kaisee vidambanaa? santaanakee pukaarapar kshanabharamen dauda़ pada़na aur phir aankhonse ojhal !theek usee samay aatee hai unakee kanya maan umaa. umaane aate hee aashcharyase poochha ki 'baabaa! kya hee badha़iyaan beda़a baandha hai aapane, kyonkar aapase akele aisa sambhav ho paayaa.' pitaane smit hansee hansakar kaha ki 'betee! bina teree madadake yah kyonkar sambhav ho paata, toone hee to is orase doree de-dekar meree sahaayata kee aur tabhee to yah sundar beda़a bandhakar saamane hai.' kanyaake aashcharyaka koee thikaana naheen raha, jab usane apanee madadakee baaten suneen tab batalaaya ki vah to apanee saheliyonke saath khel rahee thee. vah to abhee abhee beda़aake bandh jaanepar aayee hai. pahale to raamaprasaadajeene sahasa vishvaas hee naheen kiyaa. parantu kanyaake baara-baar kahanepar unako bada़a hee aashchary hua aur tab bhaktane samajha ki bhagavatee umaane hee aakar unakee sahaayata kee thee aur bhaktapravar phoota-phootakar rone lage evan sangeetalaharee phir poorvakee tarah pravaahit ho chalee. yah unake jeevanakee ek sachchee kintu alaukik ghatana hai, jisaka unake ek tatsambandhee sangeetase bhee pata chalata hai

man ken maar charan chhaada़a ..

o man bhaav shakti, paabe mukti, baandho diya bhakti daड़aa

samay thaakate na dekhale man, keman tomaar kapaal poda़aa

ma bhakte chhalite, tanaya roopete baandhen aasi gharer beda़aa

jeee dhyaabe ek mane, seee paabe kaalika taara

taaee dekho kanyaaroope, raamaprasaader baandhachhe beड़a .. 1 ..

arth yon hai

re man ! tumane maanke charanako kyon chhoda़ diya ? o man ! shaktiroopinee maanka chintan karo, tumhen mukti praapt hogee. bhaktiroopee rasseese use baandh lo . re man !tumane samay rahate maanko naheen dekh paaya, tumhaara kaisa jala hua kapaal tha . bhaktako chhalaneke liye maanne kanya roopamen aakar gharaka beda़a baandh diyaa. jo ek manase maanka dhyaan karega, vahee maan kaalika taaraako paayegaa. tabhee to maan umaane kanyaaroopase raamaprasaadaka beda़a baandha .

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