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डाइन खा गयी  [Story To Read]
Moral Story - बोध कथा (आध्यात्मिक कहानी)

दो भाई राजपूत जवान ऊँटपर चढ़कर कमाईके लिये परदेश जा रहे थे। उन्हें दूरसे ही एक साधु दौड़ता । सामने आता दिखायी दिया। पास आते-आते उसने कहा 'भाइयो! आगे मत जाना, बड़ी भयावनी डाइन बैठी है।। पास जाओगे तो खा ही जायगी।' राजपूत सवारोंने साधुसे ठहरनेको कहकर उससे इसका स्पष्टीकरण कराना चाहा, पर वह तो दौड़ता ही चला गया। ठहरा नहीं।

उसके चले जानेपर राजपूत भाइयोंने विचार किया कि 'साधु निहत्था है, डर गया है। हमारी जवान उम्र है, शरीरमें काफी बल है, बंदूक तलवार हमारे पास हैं। डाइन हमारा क्या कर लेगी। फिर, डरना तो कायका काम है। हम तो बहादुर राजपूत हैं।' यों विचारकर वे आगे चल दिये। कुछ दूर जानेपर उन्हें एक जगह सोनेकी मोहरोंकी थैलियाँ पड़ी दिखायी दीं। बै ठहर गये, ऊँटसे उतरकर देखा तो सचमुच सोनेकी मोहरें हैं और गिननेपर पूरी दस हजार मोहरें हुईं। उन्होंने कहा- 'बड़ा चालाक था वह साधु वह जरूर कोई सवारी लाने गया है। हमलोगोंको डाइनका डर दिखाकर वह चाहता था कि ये उधर न जायँ तो सवारी लाकर मैं मोहरोंको ले जाऊँ। बड़ा अच्छा हुआ जो हमलोग उसके धोखे में नहीं आये और निडर होकर वहाँतक पहुँच गये। दोनों बहुत प्रसन्न थे। अब कहीं परदेश जानेकी आवश्यकता रही ही नहीं। बिना ही कुछ किये तकदीर खुल गयी। सोचा- दिनभरके भूखे हैं कुछ खा-पी लें तो फिर घर लौटें। बड़े भाईने कहा-'गाँव ज्यादा दूर नहीं है, जाकर खानेके लिये हलवा-पूरी ले आओ तो खा लें।' छोटा भाई हलवा-पूरी लाने चला गया।

इधर दस हजार मोहरें देखकर बड़े भाईका मन ललचाया। विचार आया—'हाय इनका आधा हिस्सा हो जायगा। दसकी जगह पाँच हजार ही मुझे मिलेंगी। क्या मुझे सब नहीं मिल सकत।' लोभ पापका बाप है। लोभने बुद्धि बिगाड़ दी। तत्काल निश्चय कर लिया। मिल क्यों नहीं सकतीं। अब तो अवश्य ये दसों हजार मोहरें मेरी ही होंगी। बंदूक भरकर रख लूं। वह मिठाई | लेकर लौटता ही होगा। बस, सामने आते ही गोली दागदूंगा। वह मर ही जायगा। कौन देखता है यहाँ । यहीं कहीं गड्ढा खोदकर लाश गाड़ दूँगा। बस, फिर सारी मोहरें मेरी हो ही जायँगी। घर जाकर कह दिया जायगा -भाई हैजेसे मर गया। विचारके अनुसार ही काम हुआ। बंदूक तैयार कर ली गयी।

उधर छोटे भाईके मनमें भी लोभ जागा। उसने भी दस हजार मोहरें पूरी मिलनेकी बात सोची। उसकी भी बुद्धि बिगड़ी। उसने निश्चय करके संखिया खरीदा और उसका चूर्ण करके हलवेमें मिला दिया। सोचा 'मैं जाकर कहूँगा- भैया! तुम पहले खा लो। मैं अभी थका हूँ, पीछे खाऊँगा। वह खा ही लेगा और खाते ही काम तमाम हो जायगा। बस, यो सहज ही सारी मोहरें मेरी हो जायेंगी: फिर उसकी लाशको गाड़कर घर चला जाऊँगा।'

इसने यही किया। हलवा-पूरी लेकर ज्यों ही पहुँचा कि दनादन दो-तीन गोलियाँ लगीं। धामसे गिर पड़ा। प्राण पखेरू तत्काल उड़ गये। अब तो बड़े भाईके आनन्दका पार नहीं रहा। मनुष्य जब पाप करके सफल होता है, तब वह उसका परिणाम भूलकर प्रमत्त हो जाता है। सफलताके आनन्दमें वह मस्त हो गया; मनमें आया कि 'पहले हलवा-पूरी खा लूँ पीछे लाश गाड़नेका काम करूँगा।'

हलवा खाया। उसमें तीव्र विष था ही, खाते ही चक्कर आने लगे और वह कुछ ही क्षणोंमें वहीं देर होकर गिर पड़ा। भागवतमें ब्राह्मणने कहा है- 'इस अर्थ नामधारी अनर्थसे दूर ही रहना चाहिये। इससे पंद्रह अनर्थ पैदा होते हैं-चोरी, हिंसा, असत्य, दम्भ काम, क्रोध, गर्व, अहंकार, भेद-बुद्धि, वैर, अविश्वास, स्पर्धा, लम्पटता, जुआ और शराब बड़े प्यारे सम्बन्धी भाई बन्धु, स्त्री-पुत्र, माता-पिता आदिके मन भी एक-एक | कौड़ीको लेकर फट जाते हैं और थोड़े-से धनके लिये वे क्षुब्ध और क्रोधित होकर सारे सौहार्द-प्रेमको भूलकर एक-दूसरेका प्राण लेनेपर उतारू हो जाते हैं। यही यहाँ भी हुआ। राजपूत भाइयोंको धनरूपी डाइनने बात की बातमें खा लिया।"



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daain kha gayee

do bhaaee raajapoot javaan oontapar chadha़kar kamaaeeke liye paradesh ja rahe the. unhen doorase hee ek saadhu dauda़ta . saamane aata dikhaayee diyaa. paas aate-aate usane kaha 'bhaaiyo! aage mat jaana, bada़ee bhayaavanee daain baithee hai.. paas jaaoge to kha hee jaayagee.' raajapoot savaaronne saadhuse thaharaneko kahakar usase isaka spashteekaran karaana chaaha, par vah to dauda़ta hee chala gayaa. thahara naheen.

usake chale jaanepar raajapoot bhaaiyonne vichaar kiya ki 'saadhu nihattha hai, dar gaya hai. hamaaree javaan umr hai, shareeramen kaaphee bal hai, bandook talavaar hamaare paas hain. daain hamaara kya kar legee. phir, darana to kaayaka kaam hai. ham to bahaadur raajapoot hain.' yon vichaarakar ve aage chal diye. kuchh door jaanepar unhen ek jagah sonekee moharonkee thailiyaan pada़ee dikhaayee deen. bai thahar gaye, oontase utarakar dekha to sachamuch sonekee moharen hain aur ginanepar pooree das hajaar moharen hueen. unhonne kahaa- 'bada़a chaalaak tha vah saadhu vah jaroor koee savaaree laane gaya hai. hamalogonko daainaka dar dikhaakar vah chaahata tha ki ye udhar n jaayan to savaaree laakar main moharonko le jaaoon. bada़a achchha hua jo hamalog usake dhokhe men naheen aaye aur nidar hokar vahaantak pahunch gaye. donon bahut prasann the. ab kaheen paradesh jaanekee aavashyakata rahee hee naheen. bina hee kuchh kiye takadeer khul gayee. sochaa- dinabharake bhookhe hain kuchh khaa-pee len to phir ghar lauten. bada़e bhaaeene kahaa-'gaanv jyaada door naheen hai, jaakar khaaneke liye halavaa-pooree le aao to kha len.' chhota bhaaee halavaa-pooree laane chala gayaa.

idhar das hajaar moharen dekhakar bada़e bhaaeeka man lalachaayaa. vichaar aayaa—'haay inaka aadha hissa ho jaayagaa. dasakee jagah paanch hajaar hee mujhe milengee. kya mujhe sab naheen mil sakata.' lobh paapaka baap hai. lobhane buddhi bigaada़ dee. tatkaal nishchay kar liyaa. mil kyon naheen sakateen. ab to avashy ye dason hajaar moharen meree hee hongee. bandook bharakar rakh loon. vah mithaaee | lekar lautata hee hogaa. bas, saamane aate hee golee daagadoongaa. vah mar hee jaayagaa. kaun dekhata hai yahaan . yaheen kaheen gaddha khodakar laash gaada़ doongaa. bas, phir saaree moharen meree ho hee jaayangee. ghar jaakar kah diya jaayaga -bhaaee haijese mar gayaa. vichaarake anusaar hee kaam huaa. bandook taiyaar kar lee gayee.

udhar chhote bhaaeeke manamen bhee lobh jaagaa. usane bhee das hajaar moharen pooree milanekee baat sochee. usakee bhee buddhi bigada़ee. usane nishchay karake sankhiya khareeda aur usaka choorn karake halavemen mila diyaa. socha 'main jaakar kahoongaa- bhaiyaa! tum pahale kha lo. main abhee thaka hoon, peechhe khaaoongaa. vah kha hee lega aur khaate hee kaam tamaam ho jaayagaa. bas, yo sahaj hee saaree moharen meree ho jaayengee: phir usakee laashako gaaड़kar ghar chala jaaoongaa.'

isane yahee kiyaa. halavaa-pooree lekar jyon hee pahuncha ki danaadan do-teen goliyaan lageen. dhaamase gir pada़aa. praan pakheroo tatkaal uda़ gaye. ab to bada़e bhaaeeke aanandaka paar naheen rahaa. manushy jab paap karake saphal hota hai, tab vah usaka parinaam bhoolakar pramatt ho jaata hai. saphalataake aanandamen vah mast ho gayaa; manamen aaya ki 'pahale halavaa-pooree kha loon peechhe laash gaada़neka kaam karoongaa.'

halava khaayaa. usamen teevr vish tha hee, khaate hee chakkar aane lage aur vah kuchh hee kshanonmen vaheen der hokar gir pada़aa. bhaagavatamen braahmanane kaha hai- 'is arth naamadhaaree anarthase door hee rahana chaahiye. isase pandrah anarth paida hote hain-choree, hinsa, asaty, dambh kaam, krodh, garv, ahankaar, bheda-buddhi, vair, avishvaas, spardha, lampatata, jua aur sharaab bada़e pyaare sambandhee bhaaee bandhu, stree-putr, maataa-pita aadike man bhee eka-ek | kauda़eeko lekar phat jaate hain aur thoda़e-se dhanake liye ve kshubdh aur krodhit hokar saare sauhaarda-premako bhoolakar eka-doosareka praan lenepar utaaroo ho jaate hain. yahee yahaan bhee huaa. raajapoot bhaaiyonko dhanaroopee daainane baat kee baatamen kha liyaa."

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ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
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मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना
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