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आनन्दघनकी खीझ  [हिन्दी कथा]
बोध कथा - हिन्दी कहानी (Moral Story)

श्रीनन्दरानी अपने प्राङ्गणमें कुछ गुनगुन गाती कन्हाईके कलेककी सामग्री एकत्र करने जा रही थीं। बड़ा चञ्चल है उनका श्याम। वह दो घड़ी भी घरमें नहीं रहता। बालकोंके साथ दिनभर घूमता रहता है। परंतु उससे क्षुधा सही नहीं जाती। अभी दौड़ा आयेगा और दो क्षण भी माखन मिलनेमें देर हुई तो मचल पड़ेगा। एक बार कहीं मोहन रूठ गया तो फिर उसे मना लेना सरल नहीं होता।

'मैया! मैया!' सहसा पुकारता दौड़ा आया कन्हाई। मैया चौंक पड़ी; आज उसके लालके स्वरमें उल्लास क्यों नहीं? क्यों रोता-सा स्वर है मोहनका।

"तुझे किसने मारा है?' मैया चाहती थी कि श्याम उसकी गोदमें आ जाय। किंतु कन्हैया उसके सामने आकर खड़ा हो गया। लगभग ढाई वर्षका कृष्णचन्द्र, बिखरी अलकें, भालपर नन्हा सा गोरोचन तिलक, नेत्रोंमें कज्जल, वक्षपर छोटे मोतियोंकी माला, कटिमें पतली-सी कछनी, धूलि धूसरित अङ्ग। आज इसके बड़े-बड़े लोचन भरे-भरे-से हैं।

'दाऊ बहुत बुरा है। मैया! वह कहता है कि तू |यशोदाका पुत्र नहीं है। नन्दरानीने तो तुझे मटकीभर दही देकर खरीदा है।' मोहनने द्वारकी ओर इस प्रकार देखा मानो दाऊ पीछे खड़ा हो द्वारके ।

'मैया! वह मुझे बहुत चिढ़ाता है। कहता है कि व्रजराज और व्रजरानी तो गोरे हैं, तू साँवला क्यों है ? बता तो कि तेरा पिता कौन है ? तेरी माता ही कौन है ?'

नन्हा कन्हाई बहुत रुष्ट हो रहा है आज बड़े भाईपर 'दाऊ अकेला ही चिढ़ाता तो कोई बात भी थी, उसने सब सखाओंको सिखा दिया है। सब ताली बजाकर मेरी हँसी उड़ाते हैं। मैं उनके साथ खेलने नहीं जाऊँगा।' परंतु मैया तो कुछ बोलती नहीं, इससे श्याम उसपर भी रुष्ट हुआ 'तूने तो मुझे ही मारना सीखा है, दाऊको कभी डाँटती भी नहीं।'

'मेरे लाल!' मैयाने देखा कि अब उसका नन्हा कृष्ण मचलनेवाला है तो गोदमें खींच लिया उसे । 'बलराम तो जन्मसे ही धृष्ट है। वह व्यर्थ चुगली करता है। तू जानता है न कि व्रजकी देवता गायें हैं! उन गायोंकी शपथ ! मैं तेरी माता हूँ और तू मेरा लाल है।'



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aanandaghanakee kheejha

shreenandaraanee apane praanganamen kuchh gunagun gaatee kanhaaeeke kalekakee saamagree ekatr karane ja rahee theen. bada़a chanchal hai unaka shyaama. vah do ghada़ee bhee gharamen naheen rahataa. baalakonke saath dinabhar ghoomata rahata hai. parantu usase kshudha sahee naheen jaatee. abhee dauda़a aayega aur do kshan bhee maakhan milanemen der huee to machal pada़egaa. ek baar kaheen mohan rooth gaya to phir use mana lena saral naheen hotaa.

'maiyaa! maiyaa!' sahasa pukaarata dauda़a aaya kanhaaee. maiya chaunk pada़ee; aaj usake laalake svaramen ullaas kyon naheen? kyon rotaa-sa svar hai mohanakaa.

"tujhe kisane maara hai?' maiya chaahatee thee ki shyaam usakee godamen a jaaya. kintu kanhaiya usake saamane aakar khada़a ho gayaa. lagabhag dhaaee varshaka krishnachandr, bikharee alaken, bhaalapar nanha sa gorochan tilak, netronmen kajjal, vakshapar chhote motiyonkee maala, katimen patalee-see kachhanee, dhooli dhoosarit anga. aaj isake bada़e-bada़e lochan bhare-bhare-se hain.

'daaoo bahut bura hai. maiyaa! vah kahata hai ki too |yashodaaka putr naheen hai. nandaraaneene to tujhe matakeebhar dahee dekar khareeda hai.' mohanane dvaarakee or is prakaar dekha maano daaoo peechhe khada़a ho dvaarake .

'maiyaa! vah mujhe bahut chidha़aata hai. kahata hai ki vrajaraaj aur vrajaraanee to gore hain, too saanvala kyon hai ? bata to ki tera pita kaun hai ? teree maata hee kaun hai ?'

nanha kanhaaee bahut rusht ho raha hai aaj bada़e bhaaeepar 'daaoo akela hee chidha़aata to koee baat bhee thee, usane sab sakhaaonko sikha diya hai. sab taalee bajaakar meree hansee uda़aate hain. main unake saath khelane naheen jaaoongaa.' parantu maiya to kuchh bolatee naheen, isase shyaam usapar bhee rusht hua 'toone to mujhe hee maarana seekha hai, daaooko kabhee daantatee bhee naheen.'

'mere laala!' maiyaane dekha ki ab usaka nanha krishn machalanevaala hai to godamen kheench liya use . 'balaraam to janmase hee dhrisht hai. vah vyarth chugalee karata hai. too jaanata hai n ki vrajakee devata gaayen hain! un gaayonkee shapath ! main teree maata hoon aur too mera laal hai.'

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