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भगवन्नाममय जीवन  [Wisdom Story]
हिन्दी कहानी - Story To Read (छोटी सी कहानी)

लोग उन्हें काछी बाबा कहते थे। वे जातिके काछी थे और साधु होनेसे नहीं, वृद्ध होनेसे उस प्रदेशकी प्रथाके अनुसार बाबा कहलाते थे। वैसे वे बगीचेमें मजदूरीका काम करते थे, दिनभर परिश्रम करते शामको सरोवरके किनारे मालती-कुञ्जके नीचे रोटियाँ सेंककर खा लेते और वहीं सो रहते थे।

रात्रिमें किसीको शौच जाना हो तो मालती कुञ्जवाले घाटपर ही हाथ धोनेकी सुविधा थी। घाटपर पहुँचते ही सुनायी पड़ता था स्पष्ट–'राम, राम, राम'। यह किसीकी जप-ध्वनि नहीं थी। निद्रामग्न काछीबाबाके श्वाससे यह स्पष्ट ध्वनि आया करती थी। एक दिन काछी बाबाने नगरमें आकर बगीचेके स्वामीसे रसगुल्ला खानेकी इच्छा प्रकट की। भर-पेट रसगुल्ला खिलाया गया उन्हें दूसरे दिन फिर पूछा गया- 'काछी बाबा! रसगुल्ला खाओगे ?'

काछी बाबा बोले- 'बाबू! ऐसा पाप मैं फिर कभी नहीं करूँगा। मिठाई खानेसे मेरे रामजी रात नहीं आये।'

नित्य वे वृद्ध श्रीरामजीका दर्शन पाते थे। उन्होंने फिर कभी मिठाई खायी ही नहीं।

- सु0 सिं0



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bhagavannaamamay jeevana

log unhen kaachhee baaba kahate the. ve jaatike kaachhee the aur saadhu honese naheen, vriddh honese us pradeshakee prathaake anusaar baaba kahalaate the. vaise ve bageechemen majadooreeka kaam karate the, dinabhar parishram karate shaamako sarovarake kinaare maalatee-kunjake neeche rotiyaan senkakar kha lete aur vaheen so rahate the.

raatrimen kiseeko shauch jaana ho to maalatee kunjavaale ghaatapar hee haath dhonekee suvidha thee. ghaatapar pahunchate hee sunaayee pada़ta tha spashta–'raam, raam, raama'. yah kiseekee japa-dhvani naheen thee. nidraamagn kaachheebaabaake shvaasase yah spasht dhvani aaya karatee thee. ek din kaachhee baabaane nagaramen aakar bageecheke svaameese rasagulla khaanekee ichchha prakat kee. bhara-pet rasagulla khilaaya gaya unhen doosare din phir poochha gayaa- 'kaachhee baabaa! rasagulla khaaoge ?'

kaachhee baaba bole- 'baaboo! aisa paap main phir kabhee naheen karoongaa. mithaaee khaanese mere raamajee raat naheen aaye.'

nity ve vriddh shreeraamajeeka darshan paate the. unhonne phir kabhee mithaaee khaayee hee naheen.

- su0 sin0

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