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मांस सस्ता या महँगा  [प्रेरक कहानी]
बोध कथा - Spiritual Story (प्रेरक कथा)

एक नरेशने अपने दरबारमें सामन्तोंसे पूछा- 'मांस सस्ता है या महँगा ?'

सामन्तोंने उत्तर दिया- सस्ता है।' सामन्तोंकी बात सुनकर राजकुमारने कहा- 'पिताजी! मांस महँगा है।'

नरेशने पुत्रसे कहा- 'तुम अभी बालक हो, अनुभवहीन हो। सामन्तगण अनुभवी हैं। बात उनकी ही ठीक है।'

राजकुमार बोला- 'यदि आप कुछ दिन राजसभामेंन आयें तो मैं इस बातको सिद्ध कर दूँगा कि किसकी बात ठीक है।'

राजकुमारकी बात राजाने मान ली। दो-एक दिन बाद राजकुमार एक सामन्तके घर पहुँचे और बोले 'पिताजी बीमार हैं। राजवैद्य कहते हैं कि किसी शूर सामन्तके हृदयका मांस चाहिये। कृपा करके आप अपने हृदयका दो तोला मांस दे दें। जो भी मूल्य चाहें, आपको दिया जायगा।' सामन्तने राजकुमारको एक बड़ी रकम भेंट कीऔर कहा - 'आप मुझपर दया करें। किसी दूसरे सामन्तके पास पधारें ।'

राजकुमार क्रमशः सभी सामन्तोंके पास गये। सबने उन्हें भारी भेंट देकर दूसरेके यहाँ जानेको कहा । राजकुमारने भेंटमें प्राप्त वह विशाल धन राशि लाकर पिताके सम्मुख रख दी। सब बातें बता दीं पिताको दूसरे दिन राजसभामें राजा आये। सामन्तोंसे उन्होंने फिर पूछा- 'मांस सस्ता है या महँगा ?"

सामन्तोंने तथ्य समझ लिया। उन्होंने मस्तक झुका लिया। राजकुमार बोले

स्वमांसं दुर्लभं लोके लक्षेनापि न लभ्यते ।

अल्पमूल्येन लभ्येत पलं परशरीरजम्॥

‘पिताजी! अपना मांस संसारमें दुर्लभ है। कोई लाख रूपयेमें भी अपने शरीरका मांस देना नहीं चाहता परंतु दूसरेके शरीरका मांस तो थोड़े मूल्यमें ही मिलता है।' अपने शरीरके समान ही दूसरोंको भी उनका शरीर प्रिय है और उनके लिये उनका मांस वैसा ही बहुमूल्य जैसे अपने लिये अपना मांस। इससे किसी प्राणीकी हंसा नहीं करनी चाहिये, यह राजकुमारका तात्पर्य अब नामन्तोंकी समझमें आया । - सु0 सिं0



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maans sasta ya mahangaa

ek nareshane apane darabaaramen saamantonse poochhaa- 'maans sasta hai ya mahanga ?'

saamantonne uttar diyaa- sasta hai.' saamantonkee baat sunakar raajakumaarane kahaa- 'pitaajee! maans mahanga hai.'

nareshane putrase kahaa- 'tum abhee baalak ho, anubhavaheen ho. saamantagan anubhavee hain. baat unakee hee theek hai.'

raajakumaar bolaa- 'yadi aap kuchh din raajasabhaamenn aayen to main is baatako siddh kar doonga ki kisakee baat theek hai.'

raajakumaarakee baat raajaane maan lee. do-ek din baad raajakumaar ek saamantake ghar pahunche aur bole 'pitaajee beemaar hain. raajavaidy kahate hain ki kisee shoor saamantake hridayaka maans chaahiye. kripa karake aap apane hridayaka do tola maans de den. jo bhee mooly chaahen, aapako diya jaayagaa.' saamantane raajakumaarako ek bada़ee rakam bhent keeaur kaha - 'aap mujhapar daya karen. kisee doosare saamantake paas padhaaren .'

raajakumaar kramashah sabhee saamantonke paas gaye. sabane unhen bhaaree bhent dekar doosareke yahaan jaaneko kaha . raajakumaarane bhentamen praapt vah vishaal dhan raashi laakar pitaake sammukh rakh dee. sab baaten bata deen pitaako doosare din raajasabhaamen raaja aaye. saamantonse unhonne phir poochhaa- 'maans sasta hai ya mahanga ?"

saamantonne tathy samajh liyaa. unhonne mastak jhuka liyaa. raajakumaar bole

svamaansan durlabhan loke lakshenaapi n labhyate .

alpamoolyen labhyet palan parashareerajam..

‘pitaajee! apana maans sansaaramen durlabh hai. koee laakh roopayemen bhee apane shareeraka maans dena naheen chaahata parantu doosareke shareeraka maans to thoda़e moolyamen hee milata hai.' apane shareerake samaan hee doosaronko bhee unaka shareer priy hai aur unake liye unaka maans vaisa hee bahumooly jaise apane liye apana maansa. isase kisee praaneekee hansa naheen karanee chaahiye, yah raajakumaaraka taatpary ab naamantonkee samajhamen aaya . - su0 sin0

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