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नित्य अभिन्न  [छोटी सी कहानी]
आध्यात्मिक कथा - Hindi Story (Story To Read)

(उमा-महेश्वर)

सदा शिवानां परिभूषणायै सदा शिवानां परिभूषणाय ।

शिवान्वितायै च शिवान्विताय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

यह भी एक कथा ही है; किंतु ऐसी कथा नहीं जो हुई और समाप्त हो गयी। घटना नहीं-सत्य है यह और सत्य शाश्वत होता है।

सृष्टि थी नहीं। प्रलय था ऐसा भी नहीं कह सकते। प्रलय तो सृष्टिकी अपेक्षासे होता है। एक अनिर्वचनीय स्थिति थी। एक सच्चिदानन्दघन सत्ता और वह सत्ता सत्के साथ चित् है तथा आनन्दरूप भी है तो यह स्वतः सिद्ध है कि शक्ति-शक्तिमान्समन्वित है। शक्ति-शक्तिमान् जहाँ नित्य अभिन्न हैं । जहाँ आनन्द अनुभूति स्वरूप है।

हमारी यह सृष्टि व्यक्त हुई। सृष्टिका संकल्प और संचालन एक अनिर्वचनीय शक्तिने प्रारम्भ किया। वही शक्ति-शक्तिमान्, वही नित्य अभिन्न सच्चिदानन्दघन | परंतु जगत्के जीव कहते हैं—'वे हमारे पिता-माता हैं।' इस स्वीकृतिमें जीवोंकी सार्थकता है।सृष्टि चल रही है। सृष्टिका साक्षित्व और पालन दोनों चल रहा है। चल रहा है उसी नित्य अभिन्न परम तत्त्व एवं पराशक्तिके द्वारा। हम जगत्के प्राणी कहते हैं— 'वे हमारे त्राता हैं, आश्रय हैं।' इस स्वीकृतिमें हमारा मङ्गल है।

समय आता है-ब्रह्माण्डका यह खिलौना किसी अचिन्त्यके उद्दाम नृत्यमें चूर-चूर हो उठता है। किसीकी नेत्रज्वाला इस पिण्डको भस्मराशि बना देती है। प्रलयाब्धिमें यह बुलबुला विलीन हो जाता है। अपने-आपमें स्थित हो जाता है वह महाकाल और उससे नित्य अभिन्न हैं उनकी क्रियाशक्ति महाकाली। मानव कहते हैं कि 'वे मुक्तिप्रदाता हैं।' इस स्वीकृतिमें मानवकी मुक्ति निहित है। वह मृत्युसे परित्राण पा लेता है उन परम तत्त्वके स्मरणसे ।

जगत्की यह नित्य-कथा जिनमें निहित है, जगत्के उन आदिकारण उमा-महेश्वरके चरणोंमें बार-बार प्रणिपात ।

'जगतः पितरौ वन्दे पार्वतीपरमेश्वरौ ।'



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nity abhinna

(umaa-maheshvara)

sada shivaanaan paribhooshanaayai sada shivaanaan paribhooshanaay .

shivaanvitaayai ch shivaanvitaay namah shivaayai ch namah shivaay ..

yah bhee ek katha hee hai; kintu aisee katha naheen jo huee aur samaapt ho gayee. ghatana naheen-saty hai yah aur saty shaashvat hota hai.

srishti thee naheen. pralay tha aisa bhee naheen kah sakate. pralay to srishtikee apekshaase hota hai. ek anirvachaneey sthiti thee. ek sachchidaanandaghan satta aur vah satta satke saath chit hai tatha aanandaroop bhee hai to yah svatah siddh hai ki shakti-shaktimaansamanvit hai. shakti-shaktimaan jahaan nity abhinn hain . jahaan aanand anubhooti svaroop hai.

hamaaree yah srishti vyakt huee. srishtika sankalp aur sanchaalan ek anirvachaneey shaktine praarambh kiyaa. vahee shakti-shaktimaan, vahee nity abhinn sachchidaanandaghan | parantu jagatke jeev kahate hain—'ve hamaare pitaa-maata hain.' is sveekritimen jeevonkee saarthakata hai.srishti chal rahee hai. srishtika saakshitv aur paalan donon chal raha hai. chal raha hai usee nity abhinn param tattv evan paraashaktike dvaaraa. ham jagatke praanee kahate hain— 've hamaare traata hain, aashray hain.' is sveekritimen hamaara mangal hai.

samay aata hai-brahmaandaka yah khilauna kisee achintyake uddaam nrityamen choora-choor ho uthata hai. kiseekee netrajvaala is pindako bhasmaraashi bana detee hai. pralayaabdhimen yah bulabula vileen ho jaata hai. apane-aapamen sthit ho jaata hai vah mahaakaal aur usase nity abhinn hain unakee kriyaashakti mahaakaalee. maanav kahate hain ki 've muktipradaata hain.' is sveekritimen maanavakee mukti nihit hai. vah mrityuse paritraan pa leta hai un param tattvake smaranase .

jagatkee yah nitya-katha jinamen nihit hai, jagatke un aadikaaran umaa-maheshvarake charanonmen baara-baar pranipaat .

'jagatah pitarau vande paarvateeparameshvarau .'

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