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मिथ्याभिमान  [आध्यात्मिक कहानी]
Hindi Story - प्रेरक कहानी (Wisdom Story)

चक्रवर्ती सम्राट् भरतकी धारणा थी कि वे समस्त भूमण्डलके प्रथम चक्रवर्ती हैं-कम-से-कम वे ऐसे प्रथम चक्रवर्ती हैं, जो वृषभाचलपर पहुँच सके हैं। वे उस पर्वतके शिखरपर अपना नाम अङ्कित करना चाहते थे। उनकी धारणा थी कि यहाँ उनका यह पहला नाम होगा।

शिखरपर पहुँचकर भरतके पैर ठिठक गये। उन्होंने ऊपरसे नीचेतक पर्वतके शिखरको भलीभाँति देखा जहाँतक वे जा सकते थे, शिखरकी अन्य दिशाओंमें गये। शिखरपर इतने नाम अङ्कित थे कि कहीं भी एक नाम और लिखा जा सके, इतना स्थान नहीं था । लिखेहुए नामोंमेंसे एक भी ऐसा नाम नहीं था, जो चक्रवर्तीका नाम न हो।

भरत खिन्न हो गये। उनका अभिमान कितना मिथ्या था। उन्होंने विवश होकर वहाँ एक नाम मिटवा दिया और उस स्थानपर अपना नाम अङ्कित कराया; किंतु लौटनेपर राजपुरोहितने कहा - 'राजन् ! नामको अमर रखनेका आधार ही आपने नष्ट कर दिया। अब तो आपने नाम मिटाकर नाम लिखनेकी परम्परा प्रारम्भ कर दी। कौन कह सकता है कि वहाँ आपका नाम कौन कब मिटा देगा।'

- सु0 सिं0



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mithyaabhimaana

chakravartee samraat bharatakee dhaarana thee ki ve samast bhoomandalake pratham chakravartee hain-kama-se-kam ve aise pratham chakravartee hain, jo vrishabhaachalapar pahunch sake hain. ve us parvatake shikharapar apana naam ankit karana chaahate the. unakee dhaarana thee ki yahaan unaka yah pahala naam hogaa.

shikharapar pahunchakar bharatake pair thithak gaye. unhonne ooparase neechetak parvatake shikharako bhaleebhaanti dekha jahaantak ve ja sakate the, shikharakee any dishaaonmen gaye. shikharapar itane naam ankit the ki kaheen bhee ek naam aur likha ja sake, itana sthaan naheen tha . likhehue naamonmense ek bhee aisa naam naheen tha, jo chakravarteeka naam n ho.

bharat khinn ho gaye. unaka abhimaan kitana mithya thaa. unhonne vivash hokar vahaan ek naam mitava diya aur us sthaanapar apana naam ankit karaayaa; kintu lautanepar raajapurohitane kaha - 'raajan ! naamako amar rakhaneka aadhaar hee aapane nasht kar diyaa. ab to aapane naam mitaakar naam likhanekee parampara praarambh kar dee. kaun kah sakata hai ki vahaan aapaka naam kaun kab mita degaa.'

- su0 sin0

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