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यह संसार भी एक सपना है  [हिन्दी कहानी]
Spiritual Story - Short Story (Wisdom Story)

यह संसार भी एक सपना है

किसी देशमें एक किसान रहता था। वह बड़ा ज्ञानी था। किसानी करता था। स्त्री थी, एक लड़का बहुत दिनोंके बाद हुआ था। उसका नाम हारू था। बच्चेपर माँ और बाप, दोनोंका प्यार था; क्योंकि एकमात्र वही नीलमणि जैसा धन था। किसान धर्मात्मा था। गाँव के सब आदमी उसे चाहते थे। एक दिन वह खेतमें काम कर रहा था, किसीने आकर खबर दी, हारूको हैजा हो गया है। किसानने घर जाकर उसकी बड़ी दवादारू की, परंतु अन्तमें लड़का गुजर गया। घरके सब लोगोंको बड़ा शोक हुआ, परंतु किसानको जैसे कुछ भी न हुआ हो। उलटा वही सबको समझाता था कि शोक करनेका कोई मतलब नहीं है। फिर वह खेती करने चला गया। घर लौटकर उसने देखा, उसकी स्त्री रो रही है। उसने अपने पतिसे कहा- 'तुम बड़े निष्ठुर हो, लड़का जाता रहा और तुम्हारी आँखोंसे आँसूतक न निकले !'
तब उस किसानने स्थिर होकर कहा- 'मैं क्यों नहीं रोता, बतलाऊँ? कल मैंने एक बड़ा भारी स्वप्न देखा। देखा कि मैं राजा हुआ हूँ और मेरे आठ पुत्र हैं। बड़े सुखसे हूँ। अचानक दूसरे राजाने मेरे राज्यपर आक्रमण किया और युद्धमें मेरे आठों पुत्र मारे गये। अब मैं स्वयं युद्धभूमिमें जानेके लिये घोड़ेपर सवार हुआ और महलसे निकला। अचानक ठोकर लगनेसे घोड़ेसहित मैं भी गिर पड़ा। फिर मेरी आँख खुल गयी। देखा तो मैं चारपाईसे नीचे गिरा हूँ। अब मुझे बड़ी चिन्ता है, अपने उन आठ लड़कोंके लिये रोऊँ या तुम्हारे इस एक लड़के हारूके लिये रोऊँ ?'
किसान ज्ञानी था, इसीलिये वह देख रहा था, स्वप्नकी अवस्था जिस तरह मिथ्या थी, उसी तरह जागृतिकी अवस्था भी मिथ्या है, एक नित्य वस्तु केवल आत्मा ही है। यह संसार तो एक सपना है।



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yah sansaar bhee ek sapana hai

yah sansaar bhee ek sapana hai

kisee deshamen ek kisaan rahata thaa. vah bada़a jnaanee thaa. kisaanee karata thaa. stree thee, ek lada़ka bahut dinonke baad hua thaa. usaka naam haaroo thaa. bachchepar maan aur baap, dononka pyaar thaa; kyonki ekamaatr vahee neelamani jaisa dhan thaa. kisaan dharmaatma thaa. gaanv ke sab aadamee use chaahate the. ek din vah khetamen kaam kar raha tha, kiseene aakar khabar dee, haarooko haija ho gaya hai. kisaanane ghar jaakar usakee bada़ee davaadaaroo kee, parantu antamen lada़ka gujar gayaa. gharake sab logonko bada़a shok hua, parantu kisaanako jaise kuchh bhee n hua ho. ulata vahee sabako samajhaata tha ki shok karaneka koee matalab naheen hai. phir vah khetee karane chala gayaa. ghar lautakar usane dekha, usakee stree ro rahee hai. usane apane patise kahaa- 'tum bada़e nishthur ho, lada़ka jaata raha aur tumhaaree aankhonse aansootak n nikale !'
tab us kisaanane sthir hokar kahaa- 'main kyon naheen rota, batalaaoon? kal mainne ek bada़a bhaaree svapn dekhaa. dekha ki main raaja hua hoon aur mere aath putr hain. bada़e sukhase hoon. achaanak doosare raajaane mere raajyapar aakraman kiya aur yuddhamen mere aathon putr maare gaye. ab main svayan yuddhabhoomimen jaaneke liye ghoda़epar savaar hua aur mahalase nikalaa. achaanak thokar laganese ghoda़esahit main bhee gir pada़aa. phir meree aankh khul gayee. dekha to main chaarapaaeese neeche gira hoon. ab mujhe bada़ee chinta hai, apane un aath lada़konke liye rooon ya tumhaare is ek lada़ke haarooke liye rooon ?'
kisaan jnaanee tha, iseeliye vah dekh raha tha, svapnakee avastha jis tarah mithya thee, usee tarah jaagritikee avastha bhee mithya hai, ek nity vastu keval aatma hee hai. yah sansaar to ek sapana hai.

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