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वैराग्यका क्षण  [Hindi Story]
प्रेरक कथा - प्रेरक कहानी (Story To Read)

वाराणसीके सबसे बड़े सेठका पुत्र यश विलासी और विषय था उसके विहारके लिये ग्रीष्म, हेमन्त और वर्षाकालके तीन अमूल्य प्रासाद थे। वर्षाकालीन प्रासादमें प्रवेश करनेपर परिचारिकाओं और रमनियों तथा नर्तकियोंके राग-रंगमें वह इतना निमग्न हो जाता था कि कोठेपरसे नीचे नहीं उतरता था।

'तो क्या संसारका रूप यही है।' उसकी अन्तरात्मा टिमटिमाते दीपकके मन्द प्रकाशमें सिहर उठी रात अपने अन्तिम चरणपर थी। उसका अङ्ग पीला पड़गया; रेशमी परिधानमें शिकन पड़ गयी; कानोंके स्वर्णकुण्डल और गलेके रत्नहारोंमें विशेष कम्पनका आभास मिला उसे । क्षणभरके लिये अमित गम्भीर चिन्तामें उसने नेत्र बंद कर लिये। उसने देखा नर्तकियाँ तथा परिचारिकाएँ चेतनाशून्य थीं, नींदके वशमें थीं। किसीके मुखसे लार टपक रही थी तो किसीके अधरोंपर कफका फेनिल विकार था। कोई टेढ़ी सो रही थी तो किसीकी अनावृत भुजाएँ बीभत्सता प्रकट कर रही थीं। किसी रमणीके गलेमें मृदङ्ग था तो किसीकी अँगुली वीणाके तारोंका स्पर्श कर रही थीउसने देखा कामिनीकी कनक- कायाका कुत्सित रूप और उसका सिर घूमने लगा; नेत्रोंके सामने अँधेरा छा गया।

'मैं जिसे सत्य समझता था, वह नश्वर और असत्य दीखता है।' यश जमीन पकड़कर बैठ गया, उसके हृदयमें उसी क्षण वैराग्यका उदय हो गया। ब्रह्मवेला निकट थी।

'मुझे सत्यकी खोज करनी चाहिये।' उसने नीचे उतरकर वर्षाकालीन प्रासादका अन्तिम दरवाजा खोला। 'मुझे प्रकाश पाना चाहिये।' यश घरसे बाहर निकल गया।

'मुझे संन्यास लेना चाहिये।' यश मृगदाव ऋषिपत्तनके पथपर था। वह भगवान् बुद्धसे सम्यक् ज्ञान प्राप्त करने जा रहा था। उस समय वे ऋषिपत्तनमें ही थे। संसारकी विषय-वासनाएँ उसका पीछा कर रही थीं और वह आगे बढ़ता जा रहा था।

यशने देखा भगवान् बुद्ध ऋषिपत्तनमें टहल रहे थे। समीरकी चञ्चल गतिसे उनका गैरिक वस्त्र आन्दोलित था। वे उसे देखकर आसनपर बैठ गये।

'जगत् संतप्त है, पीड़ित है, असत्य है, भन्ते।' यश विकल था। 'जगत् असंतप्त है, अपीड़ित है, सत्य है, कुमार!' भगवान्ने उसे बैठनेकी आज्ञा दी।

'मुझे सत्यका रूप बताइये, भन्ते!' यशने स्वर्णनिर्मित
पदत्राण उतार दिये, वह उनके समीप बैठ गया। भगवान्ने आनुवर्ती कथा-दान, शील, धर्म औरवासनाक्षयपर प्रकाश डाला। उसे दुःखका कारण और उसके नाशका उपाय बताया। यशमें धर्मचक्षु उत्पन्न हुआ निर्मल वैराग्य मिला उसे।

'मेरी पत्नी, यशकी पत्नी और समस्त परिजन विकल हैं, भन्ते!' यशके पिताने भगवान् बुद्धको प्रणाम किया। उनके सांनिध्यमें सेठने धर्मचक्षु प्राप्त किया। वह उपासक बन गया।

'तेरी माँ रोती-पीटती है। तेरी पत्नी संज्ञाशून्य है। प्राणका संचार करना चाहिये, तात!' सेठने यशका आलिङ्गन करना चाहा। यश एक क्षणके वैराग्यके परिणामस्वरूप निर्मल हो गया था, दोषमुक्त था। 'अब यश कामोपभोगके योग्य नहीं है, सेठ ।'

भगवान् बुद्धने यशके पिताको सचेत किया। सेठके अनुरोधपर श्रमण यशके साथ भगवान् बुद्ध उसीके घर भिक्षा लेने गये। माताकी ममता और पत्नीकी आसक्ति निष्फल हो गयी। वे उपासिकाएँ बन गयीं। यशके अनेक मित्र और परिजनोंने भी वैराग्यके अभय और अकण्टक राज्यमें प्रवेश किया।

वैराग्यका एक क्षण यशके लिये अमृतस्वरूप हो उठा। उसे संसारकी अनित्यताका पता चल गया, सत्यलाभ किया उसने। भगवान् बुद्धने उसे प्रव्रज्या दी।

'ब्रह्मचर्यका पालन करो। यह महान् सत्य है। इससे दुःखका क्षय होता है।' यशने भगवान्के इस आदेशका आजीवन पालन किया। रा0 श्री0 (बुद्धचर्या)



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vairaagyaka kshana

vaaraanaseeke sabase bada़e sethaka putr yash vilaasee aur vishay tha usake vihaarake liye greeshm, hemant aur varshaakaalake teen amooly praasaad the. varshaakaaleen praasaadamen pravesh karanepar parichaarikaaon aur ramaniyon tatha nartakiyonke raaga-rangamen vah itana nimagn ho jaata tha ki kotheparase neeche naheen utarata thaa.

'to kya sansaaraka roop yahee hai.' usakee antaraatma timatimaate deepakake mand prakaashamen sihar uthee raat apane antim charanapar thee. usaka ang peela pada़gayaa; reshamee paridhaanamen shikan pada़ gayee; kaanonke svarnakundal aur galeke ratnahaaronmen vishesh kampanaka aabhaas mila use . kshanabharake liye amit gambheer chintaamen usane netr band kar liye. usane dekha nartakiyaan tatha parichaarikaaen chetanaashoony theen, neendake vashamen theen. kiseeke mukhase laar tapak rahee thee to kiseeke adharonpar kaphaka phenil vikaar thaa. koee tedha़ee so rahee thee to kiseekee anaavrit bhujaaen beebhatsata prakat kar rahee theen. kisee ramaneeke galemen mridang tha to kiseekee angulee veenaake taaronka sparsh kar rahee theeusane dekha kaamineekee kanaka- kaayaaka kutsit roop aur usaka sir ghoomane lagaa; netronke saamane andhera chha gayaa.

'main jise saty samajhata tha, vah nashvar aur asaty deekhata hai.' yash jameen pakada़kar baith gaya, usake hridayamen usee kshan vairaagyaka uday ho gayaa. brahmavela nikat thee.

'mujhe satyakee khoj karanee chaahiye.' usane neeche utarakar varshaakaaleen praasaadaka antim daravaaja kholaa. 'mujhe prakaash paana chaahiye.' yash gharase baahar nikal gayaa.

'mujhe sannyaas lena chaahiye.' yash mrigadaav rishipattanake pathapar thaa. vah bhagavaan buddhase samyak jnaan praapt karane ja raha thaa. us samay ve rishipattanamen hee the. sansaarakee vishaya-vaasanaaen usaka peechha kar rahee theen aur vah aage badha़ta ja raha thaa.

yashane dekha bhagavaan buddh rishipattanamen tahal rahe the. sameerakee chanchal gatise unaka gairik vastr aandolit thaa. ve use dekhakar aasanapar baith gaye.

'jagat santapt hai, peeda़it hai, asaty hai, bhante.' yash vikal thaa. 'jagat asantapt hai, apeeda़it hai, saty hai, kumaara!' bhagavaanne use baithanekee aajna dee.

'mujhe satyaka roop bataaiye, bhante!' yashane svarnanirmita
padatraan utaar diye, vah unake sameep baith gayaa. bhagavaanne aanuvartee kathaa-daan, sheel, dharm auravaasanaakshayapar prakaash daalaa. use duhkhaka kaaran aur usake naashaka upaay bataayaa. yashamen dharmachakshu utpann hua nirmal vairaagy mila use.

'meree patnee, yashakee patnee aur samast parijan vikal hain, bhante!' yashake pitaane bhagavaan buddhako pranaam kiyaa. unake saannidhyamen sethane dharmachakshu praapt kiyaa. vah upaasak ban gayaa.

'teree maan rotee-peetatee hai. teree patnee sanjnaashoony hai. praanaka sanchaar karana chaahiye, taata!' sethane yashaka aalingan karana chaahaa. yash ek kshanake vairaagyake parinaamasvaroop nirmal ho gaya tha, doshamukt thaa. 'ab yash kaamopabhogake yogy naheen hai, seth .'

bhagavaan buddhane yashake pitaako sachet kiyaa. sethake anurodhapar shraman yashake saath bhagavaan buddh useeke ghar bhiksha lene gaye. maataakee mamata aur patneekee aasakti nishphal ho gayee. ve upaasikaaen ban gayeen. yashake anek mitr aur parijanonne bhee vairaagyake abhay aur akantak raajyamen pravesh kiyaa.

vairaagyaka ek kshan yashake liye amritasvaroop ho uthaa. use sansaarakee anityataaka pata chal gaya, satyalaabh kiya usane. bhagavaan buddhane use pravrajya dee.

'brahmacharyaka paalan karo. yah mahaan saty hai. isase duhkhaka kshay hota hai.' yashane bhagavaanke is aadeshaka aajeevan paalan kiyaa. raa0 shree0 (buddhacharyaa)

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