⮪ All Stories / कथा / कहानियाँ

योग्यताकी परख  [Story To Read]
हिन्दी कहानी - छोटी सी कहानी (Shikshaprad Kahani)

यज्ञकी धूम शिखाओंसे गगन आच्छादित हो गयाः | उसकी निर्मल और स्वच्छ नीलिमामें विशेष दीप्ति अभिव्यक्त हो उठी। महाराज रथवीति दार्ध्यकी राजधानी यज्ञकर्ता ऋषियोंकी उपस्थितिसे परम पवित्र हो गयी। वे अपनी राजमहिषी और मनोरमा कन्याके साथ यज्ञवेदीके ही समीप आसनस्थ थे।

'कितनी सुशील और लावण्यमयी कन्या है!' अफ्रिके पुत्र ऋषि अर्चनानाने यज्ञकुण्डमें वैदिक मन्त्रों आहुति डालते हुए मनमें विचार किया। उनकी श्वेत दाढ़ीकी दुग्ध-धवलिमामें नवीन आभा लहराने लगी। उन्होंने वेद-वेदाङ्ग परत अपने पुत्र की ओर दृष्टिपात किया; ऋषिकुमारमें यौवनका निखार था, नयनोंमें सात्विकता थी, हृदयमें श्रद्धा और भक्ति थी।

'मैं अपनी पुत्रवधूके रूपमें आपकी कन्याकी याचना करता हूँ, महाराज!' अर्चनानाके गम्भीर भाषणसे ऋषि मण्डली चकित थी। जनता विस्मय-मग्न हो गयी।

'यह तो आपकी बहुत बड़ी कृपा है; मेरी कन्याके लिये इससे बढ़कर सौभाग्यकी दूसरी बात क्या होगी कि यह महर्षि अत्रिके आश्रम में निवास करेगी ?" महाराज रथवीतिने अर्चनानाके प्रति श्रद्धा व्यक्त की। राजकन्याने नीची दृष्टिसे ऋषिकुमार श्यावाचको देखा, मानो वह संकेत कर रही थी कि मेरा मस्तक आपके चरणपर नत होनेके लिये समुत्सुक है।

'पर हमारा कुल राजर्षियोंका है, हम अपनी कन्या मन्त्रदर्शी ऋषिको ही सौंप सकते हैं, महर्षे।' राजमहिषीने प्रस्ताव अस्वीकार किया।'पिताजी! मैं अपनी कुल-योग्यता सिद्ध करनेके लिये ऋषिपद प्राप्त करूँगा; मेरे लिये राज-कन्या उतने महत्त्वकी वस्तु नहीं है, जितने महत्त्वका विषय ऋषिपद है। यह प्रधान है, वह गौण है।' श्यावाश्वने अर्चनानाकी चरण - धूलि ली। उसका प्रण था कि बिना ऋषिपद प्राप्त किये आश्रममें न जाऊँगा। अर्चनाना चले गये। श्यावाश्च ब्रह्मचर्यपूर्वक भिक्षा माँगकर पर्यटन करने लगे।

रास्ते में महाराज विदेदश्वके पुत्र तरन्त और राजमहिषी शशीयसी तथा तरन्तके छोटे भाई पुरुमीढ़ने ऋषिकुमारका अपनी राजधानीमें स्वागत-सत्कार किया, बहुत-सी गायें दीं, अपार धन प्रदान कर श्यावाश्वकी पूजा की।

'पर अभी तो मैंने मन्त्रका दर्शन ही नहीं किया।' | श्यावाश्व आश्रममें न जा सका। वह वनमें विचरण कर रहा था कि उसकी सत्यनिष्ठासे प्रसन्न होकर रुद्रपुत्र मरुद्गणोंने उसको दर्शन दिया। उनकी कृपासे उसने मन्त्रदर्शी ऋषिपद प्राप्त किया। मरुद्गणोंने रुक्ममाला दी।
'यह तो हमारे लिये परम सौभाग्यकी बात है कि मेरी कन्या आपके पौत्रकी जीवन सङ्गिनी हो रही है।' रथसे उतरनेपर आश्रममें अत्रि ऋषिकी राजा रथवीति और राजमहिषीने पूजा की, मधुपर्क समर्पित किया। श्यावाश्व और उसकी वधूने महर्षि अत्रिकी वन्दना की। अर्चनानाका आशीर्वाद प्राप्त किया। श्यावाश्वने वेदपिता और राजकन्याने वेदमाताका पद पाया। महाराज रथवीतिने हिमालय प्रदेशमें गोमती तटपर तपस्या करनेके लिये प्रस्थान किया।

-रा0 श्री0

(बृहद्देवता अ0 5। 50-81)



You may also like these:



yogyataakee parakha

yajnakee dhoom shikhaaonse gagan aachchhaadit ho gayaah | usakee nirmal aur svachchh neelimaamen vishesh deepti abhivyakt ho uthee. mahaaraaj rathaveeti daardhyakee raajadhaanee yajnakarta rishiyonkee upasthitise param pavitr ho gayee. ve apanee raajamahishee aur manorama kanyaake saath yajnavedeeke hee sameep aasanasth the.

'kitanee susheel aur laavanyamayee kanya hai!' aphrike putr rishi archanaanaane yajnakundamen vaidik mantron aahuti daalate hue manamen vichaar kiyaa. unakee shvet daadha़eekee dugdha-dhavalimaamen naveen aabha laharaane lagee. unhonne veda-vedaang parat apane putr kee or drishtipaat kiyaa; rishikumaaramen yauvanaka nikhaar tha, nayanonmen saatvikata thee, hridayamen shraddha aur bhakti thee.

'main apanee putravadhooke roopamen aapakee kanyaakee yaachana karata hoon, mahaaraaja!' archanaanaake gambheer bhaashanase rishi mandalee chakit thee. janata vismaya-magn ho gayee.

'yah to aapakee bahut bada़ee kripa hai; meree kanyaake liye isase badha़kar saubhaagyakee doosaree baat kya hogee ki yah maharshi atrike aashram men nivaas karegee ?" mahaaraaj rathaveetine archanaanaake prati shraddha vyakt kee. raajakanyaane neechee drishtise rishikumaar shyaavaachako dekha, maano vah sanket kar rahee thee ki mera mastak aapake charanapar nat honeke liye samutsuk hai.

'par hamaara kul raajarshiyonka hai, ham apanee kanya mantradarshee rishiko hee saunp sakate hain, maharshe.' raajamahisheene prastaav asveekaar kiyaa.'pitaajee! main apanee kula-yogyata siddh karaneke liye rishipad praapt karoongaa; mere liye raaja-kanya utane mahattvakee vastu naheen hai, jitane mahattvaka vishay rishipad hai. yah pradhaan hai, vah gaun hai.' shyaavaashvane archanaanaakee charan - dhooli lee. usaka pran tha ki bina rishipad praapt kiye aashramamen n jaaoongaa. archanaana chale gaye. shyaavaashch brahmacharyapoorvak bhiksha maangakar paryatan karane lage.

raaste men mahaaraaj videdashvake putr tarant aur raajamahishee shasheeyasee tatha tarantake chhote bhaaee purumeedha़ne rishikumaaraka apanee raajadhaaneemen svaagata-satkaar kiya, bahuta-see gaayen deen, apaar dhan pradaan kar shyaavaashvakee pooja kee.

'par abhee to mainne mantraka darshan hee naheen kiyaa.' | shyaavaashv aashramamen n ja sakaa. vah vanamen vicharan kar raha tha ki usakee satyanishthaase prasann hokar rudraputr marudganonne usako darshan diyaa. unakee kripaase usane mantradarshee rishipad praapt kiyaa. marudganonne rukmamaala dee.
'yah to hamaare liye param saubhaagyakee baat hai ki meree kanya aapake pautrakee jeevan sanginee ho rahee hai.' rathase utaranepar aashramamen atri rishikee raaja rathaveeti aur raajamahisheene pooja kee, madhupark samarpit kiyaa. shyaavaashv aur usakee vadhoone maharshi atrikee vandana kee. archanaanaaka aasheervaad praapt kiyaa. shyaavaashvane vedapita aur raajakanyaane vedamaataaka pad paayaa. mahaaraaj rathaveetine himaalay pradeshamen gomatee tatapar tapasya karaneke liye prasthaan kiyaa.

-raa0 shree0

(brihaddevata a0 5. 50-81)

86 Views





Bhajan Lyrics View All

राधे राधे बोल, राधे राधे बोल,
बरसाने मे दोल, के मुख से राधे राधे बोल,
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
कान्हा की दीवानी बन जाउंगी,
दीवानी बन जाउंगी मस्तानी बन जाउंगी,
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।
राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा
श्याम देखा घनश्याम देखा
राधिका गोरी से ब्रिज की छोरी से ,
मैया करादे मेरो ब्याह,
मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
अरे बदलो ले लूँगी दारी के,
होरी का तोहे बड़ा चाव...
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
और संग में सज रही है वृषभानु की
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
सांवरिया है सेठ ,मेरी राधा जी सेठानी
यह तो सारी दुनिया जाने है
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
सब के संकट दूर करेगी, यह बरसाने वाली,
बजाओ राधा नाम की ताली ।
राधे राधे बोल, श्याम भागे चले आयंगे।
एक बार आ गए तो कबू नहीं जायेंगे ॥
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
मेरा आपकी कृपा से,
सब काम हो रहा है
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुमको
याद में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
सब हो गए भव से पार, लेकर नाम तेरा
नाम तेरा हरि नाम तेरा, नाम तेरा हरि नाम
तेरे दर पे आके ज़िन्दगी मेरी
यह तो तेरी नज़र का कमाल है,
श्यामा प्यारी मेरे साथ हैं,
फिर डरने की क्या बात है
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया,
बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया

New Bhajan Lyrics View All

चली आवे जीभ निकाल हाथ में खड़क लिए
रण में मारे किलकार हाथ में खड़क लिए
आओ करें गुणगान भोले दानी का,
शिवजी दयालु बड़े हैं कृपालु,
यह दानेदार माला मेरे किस काम की,
इसमें तस्वीर नहीं है मेरे श्री राम की...
दो नारीन के बीच गजानन एसो फस गयो रे॥
मेरा श्याम मेरे घर आवे,
आके मिठड़े बोल सुनावे के दिल दा चां