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सेवा - भाव  [Hindi Story]
छोटी सी कहानी - Spiritual Story (Story To Read)

नाग महाशयका सेवा-भाव तो अद्भुत ही था। एक दिन इन्होंने एक गरीब मनुष्यको अपनी झोपड़ी में भूमिपर पड़े देखा। आप घर गये और घरसे अपना बिछौना उठा लाये। अपने हाथसे बिछौना लगाकर उस रोगी व्यक्तिको उसपर लिटाया।

एक बार एक रोगीको जाड़ोंमें ठिठुरते देखकर नागमहाशयने उसे अपनी ऊनी चद्दर उढ़ा दी और स्वय रातभर उसके पास बैठकर उसकी सेवा करते रहे। कलकत्तेमें प्लेग पड़ा था। महामारीके उन दिनोंमें निर्धनोंकी झोंपड़ियोंमें नाग महाशयको छोड़कर और कोई झाँकनेवाला नहीं था। आप एक झोंपड़ीमें पहुँचे तो वहाँ एक मरणासन्न रोगी रो रहा था। आपने उसे आश्वासन देना चाहा; किंतु वह कह रहा था - 'मुझ पापीके भाग्यमें दो बूँद गङ्गाजल भी नहीं। मेरा कोई नहीं जो आज मुझे गङ्गा-किनारे तो पहुँचा दे।''आप रोयें नहीं। मैं ले चलता हूँ आपको।' नाग महाशयने अकेले ही उसे कंधेपर उठाया और गङ्गा किनारे ले गये। जबतक उसका शरीर छूट नहीं गया, उसे गोद लिये बैठे रहे और शरीर छूट जानेपर उसका शवदाह करके तब घर लौटे।


एक दिन नाग महाशयके घर एक अतिथि आ गये। जाड़ेके दिन थे। जोरकी वर्षा हो रही थी । घरके भीतर चार कोठरियाँ थीं; किंतु तीनमें इतना पानी चूता था कि बैठनेको भी स्थान नहीं था। केवल एक कोठरी सूखी थी। अतिथिको विश्रामके लिये आपने वह कोठरी दे दी और पत्नीके साथ स्वयं बरामदेमें आ बैठे। पत्नीसे बोले –'आज हमारा बड़ा सौभाग्य है। आओ, भगवान्का स्मरण करनेमें यह रात्रि व्यतीत करें।'

- सु0 सिं0



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seva - bhaava

naag mahaashayaka sevaa-bhaav to adbhut hee thaa. ek din inhonne ek gareeb manushyako apanee jhopada़ee men bhoomipar pada़e dekhaa. aap ghar gaye aur gharase apana bichhauna utha laaye. apane haathase bichhauna lagaakar us rogee vyaktiko usapar litaayaa.

ek baar ek rogeeko jaada़onmen thithurate dekhakar naagamahaashayane use apanee oonee chaddar udha़a dee aur svay raatabhar usake paas baithakar usakee seva karate rahe. kalakattemen pleg pada़a thaa. mahaamaareeke un dinonmen nirdhanonkee jhonpada़iyonmen naag mahaashayako chhoda़kar aur koee jhaankanevaala naheen thaa. aap ek jhonpada़eemen pahunche to vahaan ek maranaasann rogee ro raha thaa. aapane use aashvaasan dena chaahaa; kintu vah kah raha tha - 'mujh paapeeke bhaagyamen do boond gangaajal bhee naheen. mera koee naheen jo aaj mujhe gangaa-kinaare to pahuncha de.''aap royen naheen. main le chalata hoon aapako.' naag mahaashayane akele hee use kandhepar uthaaya aur ganga kinaare le gaye. jabatak usaka shareer chhoot naheen gaya, use god liye baithe rahe aur shareer chhoot jaanepar usaka shavadaah karake tab ghar laute.


ek din naag mahaashayake ghar ek atithi a gaye. jaada़eke din the. jorakee varsha ho rahee thee . gharake bheetar chaar kothariyaan theen; kintu teenamen itana paanee choota tha ki baithaneko bhee sthaan naheen thaa. keval ek kotharee sookhee thee. atithiko vishraamake liye aapane vah kotharee de dee aur patneeke saath svayan baraamademen a baithe. patneese bole –'aaj hamaara bada़a saubhaagy hai. aao, bhagavaanka smaran karanemen yah raatri vyateet karen.'

- su0 sin0

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